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Thursday, March 22, 2012

कांग्रेस में वंशवाद पसारेगा पैर

इटली का नाम आते ही कांग्रेस के नेताओं की भवें तन जाती हैं। इसका कारण कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी का इटली मूल का होना है। राकापां के प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी ने जब इटली को गठबंधन सरकारों का घर बताया तो कांग्रेसी बिफर गए। दरअसल कांग्रेसी अपनी सुप्रीमो सोनिया को इटली से दूर रखना चाह रहे हैं। इतिहास साक्षी है कि युद्ध के बाद इटली में चार दर्जन गठबंधन सरकारें अस्तित्व में आई हैं, और सफल भी रही हैं। कांग्रेस के युवराज मंहगाई को गठबंधन सरकार से जोड़कर बयानबाजी कर रहे हैं जो केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की राकांपा को रास नहीं आ रहा है। युवराज भूल जाते हैं कि सत्तर के दशक में इंदिरा गांधी के कार्यकाल में जब कांग्रेस का एकछत्र राज कायम था तब मंहगाई ने पैर पसारे और जेपी आंदोलन का आगाज हुआ था। देखा जाए तो त्रिपाठी का कथन सही है, उन्होंने एक ही तीर से अनेक निशाने साध लिए हैं, जिनका जवाब कांग्रेस खोजने में लगी हुई है।
कांग्रेस में वंशवाद पसारेगा पैर
कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी द्वारा युवाआंे को आगे लाने की हिमायत भले ही जोर शोर से की जा रही हो, किन्तु जाने अनजाने मेें वे अपनी ही तरह महाराष्ट्र प्रदेश में राजपुत्रों को सियासत में आने के मार्ग प्रशस्त करते नजर आ रहे हैं। सूबे में अमित देशमुख,सत्यजीत तांबे, राव साहेब शेखावत, प्रणिती शिंदे, नितेश राणे जैसे नेताआंे के पुत्र जल्द ही सियासत की बिसात पर कदम ताल करते नजर आएंगे। राहुल गांधी चाहते हैं कि गैर राजनैतिक पृष्ठभूमि वाले युवाओं को राजनीति में उभरने का मौका दिया जाए। इसके लिए निष्पक्ष तरीके से चुनाव करवाकर लोकसभा, विधानसभा, प्रदेशाध्यक्ष जैसे पदों के लिए युवाओं का चयन किया जाना है। 16 फरवरी तक महाराष्ट्र में सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है, इसके उपरांत चुनाव कराया जाना सुनिश्चित है। राजनैतिक पंडितों का मानना है कि राज्य में स्थापित इन घाघ नेताओं के वारिसान अपने अपने पिताओं की लोकप्रियता का फायदा उठाकर उनके समर्थकों की फौज कार्यकर्ता के तौर पर खड़ी कर लेंगे, फिर अपने पक्ष में मतदान करवाकर अध्यक्ष के साथ ही साथ लोकसभा, विधानसभा की टिकिट भी हथिया लेंगे। हो सकता है राहुल गांधी को इस तरह का मशविरा देने वालों ने पहले ही अपनी अगली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित कर लिया गया हो। राहुल गांधी को सियासत भले ही विरासत मे मिली हो, पर वे राजनैतिक ककहरा से अभी अनिभिज्ञ ही लग रहे हैं।

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