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Saturday, March 31, 2012

नवाज़िश करम शुक्रिया मेहरबानी

नवाज़िश करम शुक्रिया मेहरबानी

October 19, 2005
Lyrics: Himayat Ali Shaer
Singer: Mehdi Hasan
नवाज़िश, करम, शुक्रिया मेहरबानी
मुझे बख़्श दी आपने ज़िन्दगानी।
जवानी की जलती हुई दोपहर में
ये ज़ुल्फ़ों के साये घनेरे-घनेरे
अजब धूप छाँव का आलम है तारी
महकता उजाला चमकते अँधेरे
ज़मीं का फ़ज़ा हो गई आसमानी
लबों की ये कलियाँ खिली-अधखिली सी
ये मख़मूर आँखें गुलाबी-गुलाबी
बदन का ये कुंदन सुनहरा-सुनहरा
ये कद है कि छूटी हुई माहताबी
हमेशा सलामत रहे या जवानी।

नवाज़िश = Kindness, Favor
तारी = Spreading, Happening
करम = Benevolence, Benignity
मख़मूर = Drunk, Intoxicated

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