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Saturday, March 31, 2012

दिल में और तो क्या रखा है

दिल में और तो क्या रखा है

July 25, 2005
Lyricist: Nasir Kazmi
Singer: Ghulam Ali
दिल में और तो क्या रखा है
तेरा दर्द छुपा रखा है।
इतने दुखों की तेज़ हवा में
दिल का दीप जला रखा है।
इस नगरी के कुछ लोगों ने
दुख का नाम दवा रखा है।
वादा-ए-यार की बात न छेड़ो
ये धोखा भी खा रखा है।
भूल भी जाओ बीती बातें
इन बातों में क्या रखा है।
चुप चुप क्यों रहते हो ‘नासिर’
ये क्या रोग लगा रखा है।

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