कब मेरा नशेमन अहले चमन
In Hindiमुझे रोते हुए देखा किया वायदा फिर आने का
कि इक बहते हुए पानी पे बनिया में मकां रख दी
चमक के रगं व ने इसके दर को छोड़ दिए मुझको,
कि मेरा नशेमन अहले चमन, गुलशन में गंवारा करते हैं
गुनचे अपनी आवाजों मे 2 तुम्हीं को पुकारा करते हैं
कब मेरा नशेमन अहले चमन
उठे तो लाखों गुल है हिजाब सो आँख,
उठे तो आग लगा दें शराब सी आँखें
ये मुख्तसर मेरी बरबादियों का किस्सा है,
तबाह कर गई खाना खलाक सी आँखें
पूछो न उनके रुखसारों से , रंगीन ये हुशन को परखे कौन
पूछेंगे ये शबनम के कतरे, फूलों को निखारा करते है'2
अब मेरा नशेमन गुलशन को गवारा
अब नजंर का तालिब है मुझ पर,अपनी मुहब्बत वापस लो
जब कैद की बलबल लगती है…2
जुल्फों से गुजारा करते हैं कब मेरा नशेमन
खुल रही है सरे राह बोतल और छाये हैं रहमत के बादल
ये किसी रिन्द का है जनाजा,शेख जा तू भी कांधा लगा ले
मेरा महबूब इतना हंसी है ,नाज है, मुझको उस पर यकी है
चांद तू चाहे न निकले फलक से,वो अगर रुख में परदा हटा दे
जाहिद इक बात सुने रब को,दिन रात पुकारे करते हैं…
जो रिन्द है वो इक कतरे में…
जन्नत का नजारा करते हैं,कब मेरा नशेमन…
सहर हुई तो सितारों के साथ छोड़ दिया,
नजर मिली तो नजारों ने साथ छोड़ दिया,
खिले तो फूल बहारों ने साथ छोड़ दिया,
शगुफ्गी के इशारों ने साथ छोड़ दिया
तेरी तलाश में जितनी भी उलझने आई,
कि साथ-साथ बहारों ने साथ छोड़ दिया
(वही है जाम )2वही खुश्बू है बंशर आतिश,
पुराने पा के गुसारों के साथ छोड़ दिया
जाती हुई मय्यत पर कभी-2
बल्लाह तुम मचलकर आ न सके,जाती हुई
दो चार कदम तू भी तो चले,तकलीफ गंवारा करते हैं
कब मेरा नशेमन …गुमशन की…कब
पहले तो पिलाकर आँखों से,
इक आग दिलो पर भड़काई…2
दामन से हमारे येजेवर 2 कदमों से मिलाया करते हैं
कब मेरा नशेमन -गुलशन को गंवारा
रोजे टांके उघेड़े जाते हैं 2
रोज मैं जख्में जिगर को सीता हूँ
जाने क्यों लोग पढ़ना चाहते हैं
अरे मैं न कुरान हूँ-न गीता हूँ
तारों की बहारों में थी कसर,
तुम अपनी ही बातें करते है-2
फूलों को तुम्ही तो कांटो को,हंस-हंस के बुलाया करते हैं
कब मेरा नशेमन अहले चमन
No comments:
Post a Comment