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Saturday, March 31, 2012

हर एक बात पे कहते हो

हर एक बात पे कहते हो

October 17, 2006
Lyrics: Mirza Ghalib
Singer: 1. Ghulam Ali 2. Jagjit Singh – Chaitra Singh
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है?
तुम ही कहो कि ये अंदाज़-ए-ग़ुफ़्तगू क्या है?
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है? (Jagjit Singh)
जो आँख ही से न टपके तो फिर लहू क्या है? (Ghulam Ali)
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी जेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है?
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा,
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है?
रही ना ताक़त-ए-गुफ़्तार और हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है?

ग़ुफ़्तगू = Conversation
अंदाज़-ए-ग़ुफ़्तगू = Style of Conversation
पैराहन = Shirt, Robe, Clothe
हाजत-ए-रफ़ू = Need of mending (हाजत = Need)
गुफ़्तार = Conversation
ताक़त-ए-गुफ़्तार = Strength for Conversation

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