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Thursday, March 29, 2012

आज़ाद पंछी…

November11
आज़ाद पंछी
जो पिंजड़े में क़ैद है

जब खोले पंख आपने
सराखो से टकराते है
खुवाब देखा थे मैने
आज़ाद पंछी के तरहा
पर अनगिनत बाड़िया है पैरो में
खुवाब आज़ाद कभी न हुआ
आज जब सपनो में
दिखे मंज़िल पानी है
घरोंदा पा न सकी
बाड़िया थम जो गयी है
टूटे कदम, खुले ज़ख़्म
पर उमीद ज़ारी है
तोड़ पिंजडा ऊड सकु एक दिन
पंछी रोज़ यह गाती है

खुदा ने अगर यह रिश्ता बनाया न होता…

November11
खुदा ने अगर यह रिश्ता बनाया न होता
प्यार करने वालो को म्लीलया न होता

ज़िंदगी में न होते रंग सुनहरे
अगर दीवानगी का सुर समा पे छाया न होता

आ रही है हिचकिया…

November11
आ रही है हिचकिया
खिल उठा मेरे मंन

ज़रूर आएगा सजना
वो मेरा साजन
जुगनू, तारे चमक रहे
महकती जूही के सुगंध
यह शीत ल़ाहेर की थप थपी
यह सुहाना मौसम
उठती है एक सनसनी
छूटे मीठी कपकपी
घिर रहा है मेघ यहा
बरखा हो रही रिम झिम
आँखो मैं है
आस्ख चालख रहे
नशा यूह चाड सा रहा
गुदगुदाता सा समा
कड़क रही है बिजलीया
ज़ूम उठा मेरा मंन
आएगा मेरा सजना
वो मेरा प्रियतम

यह कैसा नशा है तेरी अदाओ का…

November11
यह कैसा नशा है तेरी अदाओ का
बिन जाम वो देवने हो जाता हटे है

आँखो से पिलाने वेल, ये तेरी कातिल अदा
वो आशिक परवाने बन जाते है

तेरे इंतेज़्ज़र में बैठी हूँ यहा…

November11
तेरे इंतेज़्ज़र में बैठी हूँ यहा
ए पिया तू कब आएगा, ज़ुल्मी ये ज़माना

दीवानगी का इल्ज़ाम दे रहा है मुझे
इस दिल को करार देने तू कब आएगा

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