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Saturday, March 31, 2012

कल चौदहवीं की रात थी

कल चौदहवीं की रात थी

November 6, 2005
Lyrics: Ibn-e-Insha
Singer: Abida Parveen
कल चौदहवीं की रात थी,
शब भर रहा चर्चा तेरा।
कुछ ने कहा ये चाँद है,
कुछ ने कहा चेहरा तेरा।
हम भी वहीं मौज़ूद थे,
हमसे भी सब पूछा किए।
हम हँस दिए हम चुप रहे
मंज़ूर था पर्दा तेरा।
इस शहर में किससे मिलें
हमसे तो छूटी महफ़िलें।
हर शख़्स तेरा नाम ले
हर शख़्स दीवाना तेरा।
कूचे को तेरे छोड़ कर
जोगी ही बन जाएँ मग़र,
जंगल तेरे, पर्वत तेरे
बस्ती तेरी, सहरा तेरा।
बेदर्द सुननी हो तो चल
कहता है क्या अच्छी गज़ल
आशिक तेरा, रुसवा तेरा
शायर तेरा ‘इंशा’ तेरा।

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