ग़रीब क्या इश्क़ करेगा…
November12
ग़रीब क्या इश्क़ करेगा,क्या इश्क़ का इकरार करेगा,क्यूं जीना अपना जानबूझकर दुश्वार करेगा….
दो पैसे कमा के,प्यार से दाल रोटी खाता है,
इश्क़ के चक्कर मैं क्यूं ख़ुद को बेकार करेगा…..
मेहनत करके थक्क हार के,अच्छी नींद वो सोता है,
क्यूं रातों मैं तारे गीन गीनकर वो व्यापार करेगा…..
इश्क़ की गलियों मैं,दिल उसका अगर टूट जाए तो,
ऐसे बेबस प्रेमी का सहयोग क्या संसार करेगा…..
पर येह क़ुदरत का खेल भी देखो निराला,
इश्क़ उसे भी हो जाए तो,फिर क्या वो लाचार करेगा……
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