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Friday, May 18, 2012


क्या है गूड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स यानी GST?

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) अप्रत्यक्ष कर है। वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले अधिकतर करों को जीएसटी के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव है। मौजूदा कर व्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग कर लगाए जाते हैं, जिनकी दरें भी अलग-अलग होती हैं। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एकसमान दर से कर लगाया जाता है। वस्तु या सेवा के अंतिम उपभोग बिंदु पर जीएसटी लगाया जाता है।

भारत में किस तरह काम करेगा जीएसटी?

भारत में पहली बार 2006-07 के बजट में जीएसटी का जिक्र किया गया था। 6 जुलाई को पेश बजट में भी वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने जीएसटी का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि सरकार 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करेगी। भारत में सरकार के संघीय ढांचे को देखते हुए जीएसटी का स्वरूप दोहरा होने की संभावना है, क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य के जीएसटी शामिल होंगे।

राज्यों के वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति को जीएसटी का मॉडल और उसे लागू करने का तौर-तरीका तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अभी जीएसटी को लेकर तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि केंद्रीय जीएसटी में उत्पाद शुल्क और सेवा शुल्क शामिल होंगे और राज्य में जीएसटी वैट की जगह लेगा।

जीएसटी के क्या लाभ हैं?

मोटे तौर पर जीएसटी लागू होने से कई बार कर का भुगतान करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे कर की वसूली में कर विभाग के अधिकारियों द्वारा की जाने वाली हेराफेरी में कमी आएगी। इसके अलावा इसके अधिक पारदर्शी कर-व्यवस्था साबित होने की उम्मीद है। इससे एक ही व्यक्ति या संस्था पर कई बार कर लगाने की समस्या से छुटकारा मिलेगा। इससे कुछ राज्यों में राजस्व में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है। इससे वस्तुओं की कीमतों में भी कमी आएगी।

जीएसटी लागू करने में क्या कठिनाइयां हैं?

सबसे बड़ी समस्या जीएसटी की दर को लेकर है, क्योंकि सभी पक्षों की सहमति मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। भारत के संघीय ढांचे के चलते भी इसे लागू करने में देर होना स्वाभाविक है। केंद्र को खुदरा कीमतों पर कर की वसूली करने और राज्यों को सेवा कर की वसूली का अधिकार देने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। जीएसटी से संबंधित विधेयक को संसद के साथ ही राज्यों की विधानसभाओं में पारित करना पड़ेगा।

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