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Friday, May 18, 2012


क्या है बॉटम फिशिंग?

लीजा मैरी थॉमसन

क्या है बॉटम फिशिंग?

बॉटम फिशिंग स्टॉक मार्केट से जुड़ा हुआ टर्म है और इसकी चर्चा आमतौर पर मंदी के दौर में जोर पकड़ती है। इसमें निवेशक उन शेयरों में खरीदारी की कोशिश करते हैं, जिनका बाजार भाव उनकी नजर में कम होता है। बॉटम फिशिंग करने का यही तर्क है कि मंदी में कभी-कभार शेयरों का भाव उनके वास्तविक मूल्य से बहुत नीचे आ जाता है। इससे वह आम समय के मुकाबले शेयर निवेश के लिहाज से काफी आकर्षक हो जाता है।

निवेशक इस उम्मीद में कम भाव पर शेयर खरीदते हैं कि जब बाजार वापस तेजी की राह पर लौटेगा तब उनके भाव में उछाल आएगा। इस तरह कम भाव में खरीदा गया शेयर उन्हें अच्छा-खासा मुनाफा देगा। बॉटम फिशिंग में काफी जोखिम होता है क्योंकि जरूरी नहीं बाजार निवेशक की उम्मीद की चाल चले।

क्या भारतीय बाजार में बॉटम फिशिंग करने का यह सही वक्त है?

बॉटम फिशिंग की संभावना दो कारकों से तय होती है। एक शेयरों की कीमत और दूसरा निवेश का वक्त। जहां तक शेयरों की कीमत का सवाल है, माना जा रहा है कि बाजार सबसे निचले स्तर को छू चुका है। इस समय शेयर सबसे कम भाव पर मिल रहे हैं। फिर भी यह बात शर्तिया नहीं कही जा सकती कि कब बाजार चढ़ेगा या फिर वह दोबारा गिर जाएगा। अगर आप कम वक्त में चटपट मुनाफा कमाने की चाहत रखते हैं तो जरूरी नहीं कि इसमें बॉटम फिशिंग आपको फायदा दे ही।



मौजूदा गिरावट में कौन से सेक्टर निवेश के लिहाज से बेहतर हैं?

छोटे निवेशक बॉटम फिशिंग के लिए आमतौर पर कुछ खास सेक्टर के शेयरों में पैसा लगाना पसंद करते हैं। इनमें बैंकिंग, कैपिटल गुड्स, रियल्टी, मीडिया और लॉजिस्टिक्स कंपनियों के शेयर प्रमुख हैं। विश्लेषक निवेशकों को उन्हीं सेक्टर के शेयरों में निवेश की राय दे रहे हैं जिनका बाजार घरेलू है। इसके साथ ही निवेशक उन शेयरों में पैसा लगाने की सलाह दे रहे हैं जो शेयर बाजार में अपने 52 महीने के निचले स्तर पर चल रहे हैं।

दरअसल, सिर्फ छोटे निवेशक ही शेयरों के भाव में गिरावट का फायदा उठाकर बॉटम फिशिंग नहीं कर रहे हैं। छोटी और मझोली कंपनियों के प्रमोटर मौके का फायदा उठाकर फर्म में अपनी शेयरधारिता बढ़ाने में लगे हुए हैं।

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