आमिर खान को सत्यमेव जयते के प्रति एपिसोड के लिए 3 करोड़ रूपया मिलेगा. महीने में कभी चार तो कभी पांच एपिसोड प्रसारित होंगे इस लिहाज से सत्यमेव जयते उन्हें हर महीने 12 से 15 करोड़ की मोटी कमाई करवायेगा. इसके अलावा स्टार प्लस ने इस कार्यक्रम का जमकर प्रचार किया है और संडे का टाइम स्लाट भी ऐसा चुना है जो किसी जमाने में रामायण या महाभारत का टाइम स्लाट हुआ करता था. इस टीवी शो की निर्माता खुद आमिर कान की कंपनी आमिर कान प्रोडक्शन्स लिमिटेड है इसलिए जानबूझकर समाज को समर्पित इस टीवी धारावाहिक के लिए जानबूझकर वह टाइम स्लाट चुना है. इसके पीछे कंपनी के कर्णधारों का तर्क है कि वे ऐसा प्राइट टाइम नहीं चुनना चाहते थे जिसमें दर्शकों को माल जाने या शापिंग करने की जल्दी लगी हो. इसलिए वे उस टाइम स्लाट पर गये जहां आदमी अपने घर में आराम से दिन शुरू करना चाहता है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई टेलीवीजन शो एक साथ सरकार के चैनल दूरदर्शन और एक निजी चैनल स्टार पर एकसाथ प्रसारित हो रहा है. इसके साथ ही स्टार के दूसरे सभी भाषाओं के चैनल और मा टीवी पर भी इसका प्रसारण होगा. मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शो को पहुंचाना है.अपने पहले ही एपिसोड में आमिर खान ने वह कर दिखाया जो लंबे समय तक सेवा करने के बाद आमतौर पर कोई समाजसेवक नहीं कर पाता. इसे आप तकनीकि का चमत्कार कहें और टीवी का प्रभाव कि आमिर खान ने एक झटके में करोड़ों दिलों को छू लिया. कुछ दर्दभरी कहानियां, कुछ तल्ख सच्चाईयां और कुछ झूठे मिथक पहले ही एपिसोड में टूट गये. लड़कियों को लेकर हमारा तथाकथित सभ्य समाज कितना असभ्य और जंगली है इसे जानकर भारत के किस नागरिक के मन में पीड़ा नहीं उभरी होगी? लेकिन कोई अगर आपको यह बता दे कि पीड़ा उभारने का यह कारोबार कम से कम स्टार टीवी और आमिर खान के लिए बहुत फायदे का सौदा है तो आपकी पीड़ा कितनी पीड़ित होगी? आपकी पीड़ा पीड़ित हो तो हो लेकिन सच्चाई तो यही है.
इस कार्यक्रम के नाम में जो सत्यमेव जयते शब्द
इस्तेमाल किया गया है वह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का वाक्य है. आखिर
कैसे उसे किसी कामर्शियल टीवी शो को प्रयोग करने दिया गया? इस पर रोक लगे
न लगे लेकिन इस घोर बाजारवादी युग में यह साबित हो गया कि सत्यमेव जयते
भी जब किसी आमिर खान के हाथ में लगता है तो अर्थमेव जयते बन जाता है.
अब तक जितना इस शो का प्रोपोगेण्डा किया गया है उसमें यह समझाया गया है
कि यह टीवी शो न सिर्फ सामाजिक मुद्दों को उठाने का ''महान काम'' कर रहा है
बल्कि शो के जरिए समाजसेवी संस्थाओं को मदद भी पहुंचाई जा रही है. समाज के
लिए गाहे बेगाहे काम करनेवाली फिल्मी अदाकारा शबाना आजमी ने इसे सामाजिक
क्रांति की संज्ञा दे डाली हैं. सामाजिक क्रांति की तरफ टीवी के इस प्रयास
का जो एसएमएस कैम्पेन चलाया जा रहा है उसमें भी सरकारी छूट प्रदान की जा
रही है. कुछ कुछ उसी तर्ज पर जैसे यूरिया खाद पर सरकार किसानों को सब्सिडी
देती आई है. आमतौर पर ऐसे कार्यक्रमों में जो एसएमएस भेजे जाते हैं उन्हें
कामर्शियल कैटेगरी में रखा जाता है और पांच रूपये प्रति एसएमएस चार्ज किया
जाता हैं. लेकिन सरकार ने सीधे सीधे चार रूपये की सब्सिडी दे दी है. इसलिए
आप अगर आमिर खान की इस ''सामाजिक क्रांति'' को सपोर्ट करते हैं तो आपको
प्रति एसएमएस खर्च आयेगा सिर्फ एक रूपया। यह पैसा भी आमिर खान प्रोडक्शन या
स्टार टीवी को नहीं जाएगा बल्कि सीधे उस एनजीओ को दे दिया जाएगा जो उस खास
शो के लिए चुना जाएगा. इसके अलावा रिलायंस कंपनी का रिलायंस फाउण्डेशन तो
है ही जो बाकी बची रकम अदा कर देगी.इन परिस्थितियों को देखते हुए कोई भी सोचेगा कि वास्तव में यह एक ऐसा प्रयास है जो देश के असहाय, गरीबों, निरीह लोगों की आवाज उभारने के लिए सच्चे मन से शुरू किया गया प्रयास है. लेकिन क्या यह संभव है कि घोर बाजारवादी युग में जीनेवाले लोगों के दिल में समाज के लिए इतना दर्द पैदा हो जाएगा कि वे अपना पैसा बहाकर सामाजिक सेवा करने निकल पड़ेंगे? ऐसा बिल्कुल नहीं है. इस समूची "सामाजिक क्रांति" का गजब का आर्थिक मॉडल है जो भावनात्मक शोषण की बुनियाद पर खड़ा किया गया है. लूट और ठगी का यह ऐसा बेहतरीन आर्थिक मॉडल है जो किसी और को कुछ दे या न दे, आमिर खान और स्टार समूह को मालामाल कर देगा. आइये समझते हैं कि इस सामाजिक सेवा का आर्थिक मेवा क्या है जिसे आमिर खान और स्टार न्यूज मिलकर खाने जा रहे हैं.
सत्यमेव जयते के लिए आमिर खान प्रोडक्शन्स लिमिटेड प्रति एपिसोड स्टार समूह से 4 करोड़ रूपया ले रहा है. इस चार करोड़ रूपये में तीन करोड़ रूपये आमिर खान की फीस है जो कि एक तरह से सीधे सीधे उनका फायदा है. बाकी बचा एक करोड़ रूपया प्रति एपिशोड खर्चा है जिसमें उनकी प्रोडक्शन कंपनी का मुनाफा भी शामिल है. यह मुनाफा आमिर कान के निजी फीस से अलग है. इसलिए अगर आमिर खान प्रति एपिशोड इस शो के लिए तीन करोड़ बतौर फीस ले रहे हैं तो कंपनी के प्रमोटर के बतौर उनको मुनाफे का हिस्सा अलग से पहुंच रहा है. इसके अलावा रिलायंस फाउण्डेशन से अलग से फीस वसूली जा रही है. क्योंकि इस कार्यक्रम के जरिए रिलायंस फाउण्डेशन भी समाजसेवक होकर उभरना चाहता है इसलिए वे भी पैसा देने में कोताही नहीं कर रहे हैं. अभी इस बात की पड़ताल होना बाकी है कि जो गैरसरकारी संगठन मदद के लिए चुने जा रहे हैं क्या वे पहले से रिलायंस के कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी का हिस्सा हैं या फिर आगे चलकर उनका हिस्सा हो जानेवाले हैं. अगर ऐसा होता है तो रिलायंस फाउण्डेशन भी घाटे में नहीं रहेगा. अपने सीएसआर के लिए अब अगर उसे देश के दूसरे हिस्से में पहुंचना है तो यह कार्यक्रम एक बेहतर प्लेटफार्म बन जाएगा.
क्योंकि इस पूरे शो के एसएमएस कैम्पेन का पैसा सामाजिक संस्था को दिया जाएगा इसलिए एसएमएस की कीमत घटाकर एक रूपये कर दी गई. याद रखिए सरकार ने बाकी के चार रूपये की छूट नहीं दी है बल्कि सब्सिडी दी है. सब्सिडी का मतलब है कि यह पैसा कार्यक्रम निर्माता को अदा किया जाएगा लेकिन सरकार के खाते से. इस तरह एक रूपया सामाजिक संस्था को देकर बाकी के चार रूपये आमिर खान प्रोडक्शन और स्टार नेटवर्क आपस में बांट लेंगे. इसके अलावा जंगली.कॉम को भी इस कार्यक्रम में पार्टनर बनाया गया है जो कि इंटरनेट पर सामान बेचनेवाली कंपनी एमेजन.कॉम नेटवर्क का हिस्सा है. जंगली.कॉम आपको डोनेशन के लिए प्रेरित करेगी और आपसे कहेगी कि आप उसके यहां से माल खरीदते हैं तो वह उस एनजीओ को कुछ रेजगारी देगी जिसे आमिर खान ने अपने टीवी शो में दिखाया था.
इस गुणा गणित के अलावा विज्ञापन और मुख्य प्रायोजकों की कमाई तो है ही जो सीधे तौर पर स्टार समूह को जाएगी. अगर स्टार समूह हर एपीशोड पर चार करोड़ रूपया आमिर खान प्रोडक्शन्स को दे रहा है तो निश्चित है कि वह प्रति एपिशोड अच्छा खासा मुनाफा कमाना चाहेगा. इसीलिए इस टीवी शो का जमकर प्रचार किया गया है और भावनात्मक माहौल तैयार किया जा रहा है ताकि लोग इस कार्यक्रम से कुछ उसी तरह से भावनात्मक रूप से जुड़ जाएं जैसे रामायण या महाभारत से जुड़े थे. इसका फायदा स्टार समूह को होगा. ऊंची कीमत अदा करने के बाद वह अब तक का सबसे मंहगा विज्ञापन स्लॉट इस कार्यक्रम के लिए बेंच रहा है. प्रति 10 सेकेण्ड स्टार 10 लाख रूपये वसूल कर रहा है. एक घण्टे दस मिनट के इस कार्यक्रम में दस मिनट भी कामर्शियल ब्रेक बनता है तो प्रति एपिशोड छह करोड़ रूपये की आमदनी होती है. मीडिया रिपोर्ट बता रही है कि कार्यक्रम शुरू होने के पहले ही 80 प्रतिशत ऐड स्लॉट बेचा जा चुका था. इसके अलावा स्टार समूह ने छह सह प्रायोजक बनाये हैं जिसमें एक्सिस बैंक, कोका कोला, स्कोदा, बर्जर पेन्ट्स, डिक्सी टेक्सटाइल तथा जानसन एण्ड जानसन शामिल हैं. ये सभी कंपनियां 13 एपिसोड के लिए 6 से 7 करोड़ रूपया अतिरिक्त अदा करेंगी. भारती एयरटेल और एक्वागार्ड दो मुख्य प्रायोजक हैं जो क्रमश: 18 करोड़ और 16 करोड़ रूपये अदा कर रहे हैं. अब जरा हिसाब लगाइये कि सत्यमेव जयते की इमोशनल ब्लैकमेलिंग से आमिर खान और स्टार न्यूज कितना पैसा कमा रहे हैं?
अब यह बाजार का नया दांव है. भाव विहीन बाजार अब भावनाओं का व्यापार करता है. आप सौ रूपये का सैम्पू खरीदते हैं तो एक रूपये किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई पर खर्च कर दिया जाता है. क्योंकि आप खुद बहुत गैरजिम्मेदार नागरिक हैं इसलिए हाशिये पर फेंके गये नागरिकों की चिंता कारपोरेट कंपनियां अपने हिसाब से करने लगी हैं. कारपोरेट कंपनियों से कोई यह नहीं पूछता कि इन हाशिये पर गये लोगों में तुम्हारा कितना योगदान है? कोई पूछे न पूछे कंपनियां जानती हैं कि अपने मुनाफे के लिए वे कैसे नागरिक से नागरिक को दूर कर देती हैं. इस बढ़ती दूरी से ही गरीबी और अभाव पैदा होता है और पैदा होता है वह गैरजिम्मेदार समाज जो अपनों का खून पीकर अपनी प्यास बुझाता है.
हम सब जानते हैं कि गरीब के निवाले पर पिछले करीब आधे शताब्दी तक हमारे देश में सरकारें अपना पेट भरती रही हैं. अब तो सरकारों ने गरीबों का नारा बनाना भी बंद कर दिया है. इसलिए गरीबों और आम आदमी के निवाले पर डाका डालने का नया फार्मूला कंपनियों ने इजाद कर लिया है. भावनात्मक शोषण उसका बड़ा कारगर हथियार है. इसलिए शो के दौरान जैसे ही किसी लड़की या महिला की आंख गीली होती है कैमरा कमजोर प्रेजेन्टर आमिर खान को छोड़कर उसे दिखाने लगता है. समस्या हमें भले ही परेशान न करती हो लेकिन समस्या देखकर परेशान हुए लोग तो प्रेरित करते ही हैं कि हमें भी परेशान हो जाना चाहिए. बस बाजार के इस व्यापार का यही मूल मंत्र है जिसे आमिर खान प्रोडक्शन और स्टार समूह के उदय शंकर मिलकर भुना रहे हैं. कल तक हंसी बिकती थी तो हंसी को बेचा गया, अब गम बिकेगा तो गम भी बाजार में बिकता नजर आयेगा.
फिर भी ऐसा नहीं है कि इस भावनात्मक शोषण के जरिए सिर्फ आमिर खान या स्टार न्यूज ही पैसा पीट रहे हैं. उन्हें भी कुछ न कुछ लाभ तो मिल ही रहा है जो इस शो का हिस्सा हो रहे हैं. फिर वे चाहे वे गैरसरकारी संगठन हों या फिर वह व्यक्ति जिसे इस शो के लिए चुना जाता है. लेकिन आखिर में सवाल यह उठता है कि अगर किसी एक ऐसे कार्यक्रम में जिसमें सबको फायदा होता दिख रहा है तो घाटे में कौन है? दिमाग पर जोर डालिए और सोचिए कि भावनात्मक रूप से आखिर किसे ब्लैकमेल करके यह सारा आर्थिक मॉडल तैयार किया गया है? सोचिए....सोचिए वह आदमी आपसे ज्यादा दूर नहीं है.
सत्यमेव जयते के जरिए भारत में गरीबी की मार्केटिंग करके अमीर बनने का एक नया मॉडल प्रस्तुत किया गया है. इस मॉडल में थोड़ा इमोशनल ब्लैकमेलिंग होती है, थोड़ा कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी होती है और ढेर सारा फ्रॉड शामिल होता है. मूलत: कारपोरेट घरानों की मैनेजमेन्ट स्टाइल में विकसित इस सोच में समझाया यह जाता है कि ऐसा करके वे समाजसेवा कर रहे हैं लेकिन ऐसे सामाजिक फ्रॉड के जरिए भावनाओं का जबर्दस्त व्यापार किया जाता है और कारपोरेट घराने देने के नाम पर जमकर आर्थिक लाभ कमाते हैं.
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