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Tuesday, May 8, 2012

मर्द का नजरीया हर कोई पराई स्त्री के बारे मे ....

लोग न जाने क्यूँ
हर इंसान से...
हर रिश्ते से...
न जाने क्या चाहते हैं !

चाहतें जो उनकी हैं
लेकिन पूरी करने के लिए
किसी और के आगे
हाथ पसारते हैं !

वो नहीं जानते...
कि चाहतें...
बस चाहतें ही होती हैं,
पूरी हो जाएँ तो

हकीकत में तब्दील हो जाती हैं !
और हकीकत बनते ही
वही चाहतें.....
अपनी अहमियत खो देती हैं...!

इस लिए गुज़ारिश है आपसे
कि इन चाहतों को पूरा न होने दें,
ये आपके लिए...

जीने का मकसद हैं
और जूनून भी हैं
किसी के दिल का !
चाहतें......


बस आपकी चाहतें हैं..
इन पर पूरा का पूरा हक है
आपका......आपका.....
और सिर्फ आपका.....!!~~!!~~!~!!~!!~!!

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