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Monday, May 7, 2012

इश्क के किस्से नहीं, मैं मुहब्बत के फ़साने लिखता हूँ

इश्क के किस्से नहीं, मैं मुहब्बत के फ़साने लिखता हूँ
जो भी लिखता हूँ, तुझसे मिलने के बहाने लिखता हूँ
तुझे जो दी थी ज़बां हर वक़्त रास आऊँगा
बस उसी ज़बां के वादे निभाने लिखता हूँ
ज़माना चाहे कहे मैं हर वक़्त लिखता ही हूँ
बसमैं कहता हूँ मैं हर वक़्त ज़माने लिखता हूँ
कभी तुझपे अपनी चाहत लुटाने लिखता हूँ
कभी लव्जों से तेरी चाहत कमाने लिखता हूँ
तेरे लव्जों से एक इरशाद पाने लिखता हूँ
जो भी लिखता हूँ, तुझसे मिलने के बहाने लिखता

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