SIT की रिपोर्ट -गुजरात के दंगों की जाँच
गुजरात के दंगों की जाँच हेतु सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एवं उसके
नियंत्रण व दिशानिर्देशों के तहत कार्य करने वाली SIT की रिपोर्ट आ चुकी
है। SIT ने अपनी जाँच में पाया और लिखित रूप में स्वीकार किया है कि, चन्द
NGOs, कुछ भ्रष्ट पुलिस अधिकारी, बिके हुए पत्रकारों की एक टीम तथा कुछ
नेताओं की "गैंग" ने पिछले 10 साल से लगातार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ़ गढ़े गए
सबूतों और झूठ-दर-झूठ पेश करते हुए अपने निहित स्वार्थ एवं फ़ायदे के लिए काम किया है…
- संजीव भट्ट के ई-मेल की जाँच से पता चला है कि गुजरात कांग्रेस के
वरिष्ठ नेता गोहिल एवं मोडवाडिया, भट्ट के सतत सम्पर्क में थे…। 28/04/2011
के एक ईमेल में मोडवाडिया ने संजीव भट्ट को कानूनी मदद, कुछ दस्तावेज़ एवं
कोई पैकेज देने की बात लिखी हुई है।
- संजीव भट्ट सतत, दिल्ली
के किसी नासिर छीपा के साथ ईमेल सम्पर्क में था… 11/05/2011 के एक ई-मेल
में संजीव भट्ट ने नासिर से कहा है कि वह
दिल्ली में कुछ NGOs एवं प्रेस की मदद से सुप्रीम कोर्ट के Amicus Curae
(न्याय-मित्र) राजू रामचन्द्रन पर दबाव बनाने के लिए किसी "प्रभाव" का
इस्तेमाल करे…। 18/05/2011 के ईमेल में भट्ट ने नासिर से कहा कि वह
चिदम्बरम पर दबाव बनाने के लिए उसके अमेरिकी सम्पर्कों का इस्तेमाल करे…
- संजीव भट्ट ने SPRAT नामक एक NGO चलाने वाले मोहम्मद हसन जौहर से राजू
रामचन्द्रन को यह कहने के लिए उकसाया, कि रामचन्द्रन जी संजीव भट्ट, रजनीश
राय, सतीश वर्मा, कुलदीप शर्मा एवं राहुल शर्मा (सभी IPS) को गुजरात की
घटनाओं के सम्बन्ध में बयान देने के लिए बुलाएं (क्योंकि संजीव भट्ट खुद
ऐसा नहीं कह सकता था)। इस बात का खुलासा भट्ट द्वारा शबनम हाशमी को भेजे
हुए ई-मेल से साबित होती है, जिसकी CC
तीस्ता सीतलवाड, हिमांशु ठक्कर, लियो सलदाना और नासिर छीपा को भी भेजी गई।
इसी ईमेल में उनसे कहा गया था कि वे सभी प्रतिष्ठित लोगों पर दबाव बनाएं कि
वे Amicus Curae के सामने गवाही के लिए बुलाए जाएं…
- 1 जून
2011 के ईमेल में जौहर ने संजीव भट्ट को सुझाया था कि, कांग्रेस के एक नेता
और एडवोकेट श्री वखारिया के जरिए गुजरात हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका
लगवाई जाए…
- टाइम्स ऑफ़ इंडिया मे पत्रकार मनोज मिट्टा, तीस्ता
के वकील मिहिर देसाई एवं भट्ट आपस में लगातार सम्पर्क बनाए हुए थे।
10/04/2011 के ईमेल के अनुसार संजीव भट्ट ने तीस्ता को मिहिर देसाई से
मिलवाने का धन्यवाद ज्ञापन किया है। इनकी मुलाकात एलिसब्रिज जिमखाना पर
हुई, इसके बाद भट्ट ने दाखिल किए जाने वाले एफ़िडेविट की कॉपी मनोज मिट्टा
को अवलोकन हेतु दी। मनोज मिट्टा ने संजीव भट्ट को उस एफ़िडेविट में कुछ
पैराग्राफ़ बदलने की सलाह दी, ताकि सुप्रीम कोर्ट के जजों को वह और भी
प्रभावशाली दिखे…
- संजीव भट्ट ने शुभ्रांशु चौधरी नामक गवाह का एफ़िडेविट तैयार करवाने में
खासी दिलचस्पी दिखाई, यहाँ तक कि भट्ट ने अपने मोबाइल के कॉल डीटेल्स भी
चौधरी को उपल्ब्ध करवाए, ताकि 27 फ़रवरी 2002 को नरेन्द्र मोदी से अपनी कथित
बोगस मीटिंग के सटीक समय के साथ एफ़िडेविट में तालमेल बैठाया जा सके…
- 1 मई 2011 को संजीव भट्ट ने, नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक नेता लियो सलधाना को लिखे एक ईमेल
में गुजरात मामले को मीडिया मैनेजमेण्ट के ज़रिए उछालने की सलाह दी, ताकि
सुप्रीम कोर्ट के जजों को प्रभावित करने में सहायता मिले… ईमेल में आगे
लिखा है कि यदि मीडिया ठीक से काम करे तो अगली सुनवाई तक SIT पर, एक दबाव
समूह काम करने लगेगा…
- संजीव भट्ट, गुजरात के डीजीपी राहुल
शर्मा के निरन्तर सम्पर्क में था, एवं अपने मोबाइल डिटेल्स के अन्वेषण पर
नज़र रखे हुए था (इससे साबित होता है कि 27 फ़रवरी 2002 को अपनी गतिविधियों
की उसे कतई याददाश्त नहीं थी)। संजीव भट्ट अपने सूत्रों के सहारे
27/02/2002 को स्वर्गीय हरेन पंड्या की गतिविधियाँ भी निकलवा रहा था, ताकि
मोदी से मीटिंग में वह स्वयं को पण्ड्या के साथ दर्शा सके, लेकिन डीजीपी
राहुल शर्मा ने उसे बताया कि हरेन पण्ड्या के 27 तारीख को अहमदाबाद में
होने का कोई सवाल ही नहीं हैं।
No comments:
Post a Comment