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Friday, May 18, 2012


कैश ट्रांसफर के पीछे क्या इकॉनमी है?

डायरेक्ट सब्सिडी मौजूदा सिस्टम से कैसे अलग है?

मौजूदा सिस्टम में किसी प्रॉडक्ट या सर्विस की कीमत लागत से कम रखकर बेनिफिशरी को सब्सिडी दी जाती है। कैश ट्रांसफर में प्रॉडक्ट की कीमत बाजार के मुताबिक होगी और बेनिफिशरी को छूट के बराबर की रकम डायरेक्ट दी जाएगी।

सब्सिडी के बजाय डायरेक्ट ट्रांसफर कैसे बेहतर है?
वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक, 2004-2005 में गरीबों में बांटने के लिए सरकार की तरफ से जारी कुल अनाज का केवल 41 फीसदी ही जरूरतमंदों तक पहुंच पाया था। ठीक इसी तरह, गरीबों में बांटने के लिए जारी केरोसिन तेल का करीब 25 फीसदी ओपन मार्केट में बेचा जाता है। बाजार भाव और सब्सिडी के बाद की कीमतों के अंतर से मुनाफा बनाने के लिए सिस्टम में मौजूद लोग ऐसा काम करते हैं। वहीं, डायरेक्ट कैश ट्रांसफर में प्रॉडक्ट प्राइस के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। इससे सब्सिडी लीकेज को रोका जा सकता है।

क्या डायरेक्ट कैश ट्रांसफर सब्सिडी का फुलप्रूफ तरीका है?
डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की अपनी खामियां हैं। अगर जरूरतमंदों की पहचान सही तरीके से की जाए तो यूनिवर्सल सब्सिडी प्रोग्राम का रीप्लेसमेंट कामयाब हो सकता है। इसमें इस बात की भी पूरी आशंका है कि जो लोग सब्सिडी पाने लायक नहीं हैं, वे गलत जानकारी देकर या अधिकारियों की मिलीभगत से यह लाभ लेने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही प्रस्तावित कैश ट्रांसफर की कामयाबी के लिए यूनीक आईडेंटिफिकेशन (यूआईडी) नंबर सही तरीके से जारी करना जरूरी है। कैश ट्रांसफर भी समस्या है, क्योंकि देश की आधी आबादी के पास बैंक अकाउंट नहीं है।

कैश ट्रांसफर के पीछे क्या इकॉनमी है?
जरूरतमंदों को सब्सिडी के बजाय सीधे कैश देने से उनके पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा। इस पैसे का इस्तेमाल वह अपनी जरूरत की दूसरी चीजें खरीदने में कर सकता है। इकॉनमिक थिअरी के मुताबिक, सरकार परिवारों का कल्याण करके कम खर्च में ज्यादा काम कर सकती है।

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