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Friday, May 18, 2012


क्या है करंसी वायदा का कारोबार

नई दिल्लीः नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में शुक्रवार को मुद्रा (करंसी) का वायदा कारोबार शुरू हो गया। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इसकी शुरुआत की। 300 सदस्यों और 11 बैंकों ने कारोबार में भाग लिया।

कारोबार में हरेक अमेरिकी डॉलर की कीमत 44.15 रुपये रही। सूत्रों के अनुसार पहले ही दिन करीब 5000 सौदे हुए। यह कारोबार शुरू होने से बाजार विशेषज्ञ काफी खुश हैं। उनका कहना है कि इससे बाजार नियंत्रित होगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों का कारोबार बढ़ाने में आईटी कंपनियों को मदद मिलेगी।

क्या है वायदा कारोबार

मुद्रा का वायदा कारोबार का मतलब है कारोबारी आज की तारीख में अगले 15 से 90 दिनों तक का सौदा निपटा सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी कारोबारी को 90 दिन बाद डॉलर की जरूरत है तो अब उसको 90 दिन का इंतजार नहीं करना होगा। वह इसका पहले ही बंदोबस्त कर सकता है। वह एनएसई में जाकर इसके सदस्यों के जरिए डॉलर खरीद सकता है और उसकी डिलिवरी 90 दिन बाद ले सकता है।

सौदा करते वक्त उसे पूरी राशि देने की जरूरत नहीं है। वह तय मार्जिन मनी जो कुल राशि का 10 से 20 पर्सेन्ट के बीच रहता है, देकर सौदा कर सकता है। 90 दिन बाद बची राशि देकर वह डॉलर की डिलिवरी ले सकता है।

क्या है इससे फायदा

करंसी वायदा कारोबार शुरू होने से कारोबारियों को दो फायदे होंगे। पहला यह कि वे बाजार में डॉलर के मूल्य में उतार-चढ़ाव को देखते हुए उसे खरीद सकेंगे। जब डॉलर का दाम कम स्तर पर हो तो वायदा कारोबार के तहत उसे खरीदने का मौका उनके पास रहेगा, चाहे उनकी जेब में धन कम क्यों न हो।

इसके अलावा वायदा सौदा करने के बाद अगर डॉलर के दाम बढ़ते भी हैं तो उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्हें पिछले दाम पर ही डॉलर की डिलिवरी मिलेगी। इससे सरकार को भी फायदा है। डॉलर की डिमांड का भार कम होगा। डॉलर को तर्कसंगत स्तर पर रखने में उसे मदद मिलेगी। ऐसे में आयात व निर्यात के अंतर को कम करने में खास परेशानी नहीं होगी।

आईटी कंपनियां खुश

करंसी वायदा कारोबार शुरू होने से आईटी कंपनियां काफी खुश हैं। इन्फोसिस के प्रेजिडेंट मोहन लाल पाई का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में पिछले दिनों जो मजबूती आई थी, उससे कई आईटी कंपनियों को काफी घाटा हुआ था। आईटी कंपनियां अपना ज्यादातर काम आउटसोर्सिन्ग का करती हैं। इसके तहत वे अमेरिकी कंपनियों से काम लेती हैं जिसका भुगतान उन्हें डॉलर में होता है।

रुपये के मजबूत होने से भारतीय मुद्रा के लिहाज से उनकी आमदनी कम हुई। करंसी वायदा शुरू होने से अब उनके कारोबार पर खास असर नहीं पड़ेगा।

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