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Tuesday, May 22, 2012

आईपीएल विवाद के बीच देश की आर्थिक हालत…..

एकबार फिरसे सोच लो आप किसे अहमियत देंगे आप?
खान–आई.पी.एल.-क्रिकेटर-क्रिकेट या फिर अपना भारत देश ? 
बिकाऊ और कोंग्रेसकी दलाल मीडिया देश के लोगो को अहम मुद्दे से भटका रहे है। सरकारकी नाकामियाबी और देशमे आनेवाले भविष्य के खतरो को छुपा रही है । और नासमज प्रजाजन उसमे बहक भी जाते है !!?
ये देश क्रिकेट दिवानों का
खान के मूर्ख परवानो का
इस देश का यारो क्या कहना
ये ना रहेगा दुनिया का गहना
यहाँ रोज घोटाले होते है
फंसे किसीके बेटे या साले होते है
लूट के सब छुट जाते है
छूटने पर फोड़ते पटाखे है
इस देशवासियों क्या कहना
कभी था ये दुनिया क्या गहना
ये देश सबके बाप की दौलत है
सिर्फ कहने को एक औरत है
बाहर से आके लूटती है
उसकी पार्टी तलवे चाटती है
इस देश मे विकास गुनाहीत है
जो करे उसे खींचती अदालत है
षड्यंत्र यहाँ रचे जाते है
SIT के बाद भी बुलाते है
उस पक्ष का यारो क्या कहना
अंग्रेज़ियत का है ये नमूना
समर्पित :  मरे हुए झमीर वाले कुछ लोगो को  

खोते बुनियादी सवाल
शाहरूख खान और आईपीएल विवाद की मीडिया सुर्खियां उसी समाचार चैनलों की मनोरंजक समझ है जो एक साजिश के तहत पैदा कर दी जाती है ताकि आम आदमी का ध्यान बुनियादी सवालों से अलग हो जाए. आईपीएल विवाद के बीच देश की आर्थिक हालत…..
इसी वर्ष जिस दिन प्रणव मुखर्जी ने सरकार का सालाना बजट पेश किया उसके कुछ घंटों के भीतर यदि सचिन तेंदुलकर ने अपना बहुप्रतीक्षित सौंवा शतक नहीं ठोंक दिया होता तो क्या प्रणव बाबू राष्ट्रपति पद के लिए बहुदलीय समर्थन वाले भावी प्रत्याशी लायक अपनी छवि बचा पाते?
व्यवस्था का ‘पेन किलर’: कालाबाजारियों-सटोरियों-कॉरपोरेट जगत वालों-फिल्मी सितारों और क्रिकेटरों के पंचतत्व से जो आईपीएल तैयार हुआ है वह आम आदमी की दैनिक पीड़ा पर व्यवस्था का ‘पेन किलर’ साबित हो रहा है। इसके सेवन से मर्ज घटने की बजाय बढ़ता ही जाएगा। व्यवस्था के सत्ताधारियों के लिए यह ‘पेन किलर’ रामबाण उपाय है। जनता के कोलाहल को मूल मुद्दे से भटकाने में उन्हें कामयाबी मिल जाती है।
यदि ‘इंडिया टीवी’ द्वारा ‘स्पॉट फिक्सिंग’ का पर्दाफाश नहीं हुआ होता तो आम आदमी यही जानना चाहता कि आखिर 2जी स्पेक्ट्रम के सारे प्रमुख अभियुक्त जमानत पर कैसे रिहा हो गए? ए.राजा को जेल से बाहर आने के लिए कैसी फिक्सिंग हुई? 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कार्रवाई सिर्फ मोहरों तक क्यों सीमित रह गई? राजा की खुली लूट को संरक्षण देने वाले हाथों तक जांच की आंच क्यों नहीं पहुंची?
मीडिया को मसाला: टाटा, अंबानी, रूईया को किस कारण गिरफ्तारी से बख्शा गया? राडिया गेट का क्या हो गया? राडिया गेट का पर्दाफाश करने वाले पत्रकार की दुर्घटना में रहस्यमयी मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? कार्तिक चिदंबरम और रॉबर्ट वड्रा के कॉरपोरेट डील की ओर मीडिया का कैमरा घूमे उसके पहले रेखा और सचिन तेंदुलकर के राज्यसभा नामांकन का मसाला मीडिया को परोस दिया जाता है। पर्दे के पीछे से जारी सियाचिन सौदे का जब पर्दाफाश होने लगता है तो शाहरूख खान का परिवार वानखेडे स्टेडियम की सीमारेखा पार कर सहज परोसे जाने योग्या मसाला मीडिया को उपलब्ध करा देता है
महंगी होगी बिजली: सरकार इसी तरह 2014 तक निष्क्रिय पड़ी रही तो जिस अंदाज में ऊर्जा क्षेत्र की बदहाली है, जिस तरह विद्युत निर्माण और वितरण लगातार नीचे सरक रहा है उसके चलते आज विद्युतीकृत 40 फीसदी इलाके 2014 तक अंधेरे में डूब सकते हैं। चेन्नई जैसा महानगर इस गर्मी में प्रतिदिन 8 घंटे की बिजली की कटौती की मार झेल रहा है। ऊर्जा विशेषज्ञ दावा करते हैं मध्य 2013 तक यह स्थिति मुंबई और दिल्ली की भी हो सकती है
2014 तक संभव है कि हम ईरान से तेल आयात बंद कर चुके हों। जब एक डॉलर का मूल्य 90 रूपए होगा तक डीजल, पेट्रोल, केरोसिन और एलपीजी का भाव किस आधार पर स्थिर होगा? साफ संकेत है कि इस सरकार के कार्यकाल के आखिरी वर्ष में बिजली, टेलिफोन अैर परिवहन प्रणाली आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएगा। क्या इसकी चिंता शाहरूख खान करेंगे? क्या ‘माई नेम इज खान’ को पुलिस का व्यापक प्रोटेक्शन मिल जाने से आम मुसलमान का पेट भर जाएगा?
मंदी का दौर: सरकार समर्थकों का तर्क है कि मंदी के दौर में भी सकल राष्ट्रीय उत्पाद में 6 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज हो रही है। क्या इस आंकड़े से संतोष किया जा सकता है? इस साल औद्योगिक उत्पादन के मामले में भारत ग्रीस प्रभावित यूरोप से भी काफी नीचे है। यूरो मुद्रा संकट में है फिर भी वहां का औद्योगिक उत्पादन भारत से बेहतर क्यों? क्या इसका जवाब अर्थवेत्ता डॉ. मनमोहन सिंह देना चाहेंगे?
इन दो वर्षो में तो अंबानी, मित्तल, टाटा, अग्रवाल हर कोई खुद को संकट में बता रहा है। किंगफिशर एयरलाइंस के पास विमानकर्मियों के वेतन का इंतजाम नहीं, पर सिद्धार्थ और विजय माल्या आईपीएल पर खुलकर पैसा बहाते हैं। उनके किंगफिशर कैलेंडर पर कोई संकट नहीं आता। क्या कभी आईपीएल से मुक्त होकर हम-आप बुनियादी सवालों पर भी सोच पाएंगे? खेल की दीवानगी अमेरिकी और यूरोप में भी है। वहां शराब पीकर गाड़ी चलाने पर राष्ट्रपति की बेटी को भी नहीं बख्शा जाता। हमारे भारत में शराबी शाहरूख पुलिस अफसर की कॉलर खींचकर उससे माफी मंगवाने का दर्ज पेश करता है। हम-आप उसके खानवाद पर खीझते हैं। सरकार भी यही चाहती है कि आप खान पर खीझें ताकि मनमोहन पर खीझने की आपको सुधर-बुध न रहे
By: JUGAL PATEL [AWAKEN INDIAN] AWAKENING…OTHERS…!!



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