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Friday, May 18, 2012


पहले जानिए क्या होती है 'हिडन कॉस्ट'

अमित कुश

अब डिवेलपर्स और एक्सर्पट्स भी मान रहे हैं कि रीयल एस्टेट में कीमतें तर्कसंगत स्थिति पर आ गई हैं, यानी इस भुलावे में रहना गलत होगा कि कीमतें कम हुई हैं। बस, दाम सही लेवल पर लाना मंदी की मजबूरी हो गया था। जानते हैं कि कीमतें अफोडेर्बल हुईं कैसे?

चाजेर्स

अफोडेर्बल प्रोजेक्ट के विज्ञापनों में आपने कीमत के साथ स्टार लगा देखा होगा। मतलब, शर्तें लागू। आप फ्लैट लेने जाएंगे, तो उसमें कुछ लाख और जुड़ जाएंगे। आमतौर पर बेसिक सेल प्राइज का ही प्रचार किया जाता है। इसके अलावा, कम से कम एक प्रिफर्ड लोकेशन चार्ज, ओपन या कवर्ड में से कोई एक पार्किंग चार्ज, इंटरेस्ट फ्री मेंटेनेंस चार्ज, कम से कम 1 केवी का पावर बैकअप चार्ज भी इसकी कीमत में जरूर जोड़े जाएंगे। क्लब मेंबरशिप कई जगह ऑप्शनल भी मिल सकती है। रजिस्ट्री की कीमत इन सबसे अलग होगी। कुल मिलाकर फ्लैट की कीमत पांच-छह लाख रुपये बढ़ सकती है, यानी बीस लाख रुपये वाला मकान 26 लाख रुपये में।

सुविधाएं

अफोडेर्बल फ्लैट्स ताम-झाम के बगैर होते हैं। फुली फनिर्श्ड की बजाय रॉ फ्लैट। रॉ-फ्लैट में महंगी चीजें लगाकर ही उसे लग्जरी बनाया जाता है। इसकी कीमत मंे विट्रीफाइड टाइल्स, महंगी बाथरूम फिटिंग्स, महंगे वॉशेबल पेंट, ब्रैंडेड मॉड्युलर किचन्स, बेसमेंट, कवर्ड पाकिर्ंग आदि की कीमतें भी शामिल होती है। अफोडेर्बलिटी की सबसे पहली गाज मॉड्युलर किचन पर गिरी है। ज्यादातर प्रोजेक्ट्स में रॉ-किचन दी जा रही है, यानी कीमत में 50 हजार से दो लाख रुपये तक की कमी। अगला नंबर है वुड वर्क का। कमरों में अलमारी की जगह तो होगी, लेकिन वुड वर्क नहीं। अच्छे वुक वर्क को बेस मानें, तो एक लाख रुपये की और कमी। इसके अलावा, तमाम मटीरियल की क्वॉलिटी से समझौता, जबकि लग्जरी प्रोजेक्ट्स के लिए बेहतरीन लोकेशन के साथ-साथ हाई क्वॉलिटी के कंस्ट्रक्शन की भी जरूरत होती है। इससे अफोडेर्बिलिटी की गुंजाइश कम होती है। इन दिनों पूरे घर में महंगी ग्रेनाइट फ्लोरिंग की बजाय कोटा स्टोन या अन्य फ्लोरिंग बिछवाई जा रही है। सभी कमरों में विट्रीफाइड टाइल्स की बजाय सिर्फ ड्राइंग रूम में इन्हें बिछाया जा रहा है। वॉशेबल ऑयल बॉन्ड डिस्टेंपर पेंट की बजाय ड्राई डिस्टेंपर, किचन में ग्रेनाइट स्लैब की बजाय कोटा स्टोन स्लैब, स्टेनलेस स्टील सिंक की बजाय विट्रस चाइना सिंक आदि का प्रयोग किया जा रहा है। इससे कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 350 रुपये प्रति स्क्वेयर फीट तक कम की जा सकती है। इस तरह, महंगे इंटीरियर से हाथ खींचकर 1000 स्क्वेयर फीट के 2बीएचके फ्लैट की कीमत में साढ़े तीन से चार लाख रुपये कम किए जा सकते हैं।

साइज

अफोडेर्बल लेवल पर लाने के लिए फ्लैट्स के साइज भी कम किए जा रहे हैं। इससे फ्लैट की कीमत प्रति स्कवेयर फीट की दर से अपने आप कम हो जाती है। विज्ञापन में पहले की तरह 2 या 3 बीएचके प्रचारित किया जाएगा, लेकिन उस फ्लैट का साइज कम हो चुका होगा। अफोडेर्बलिटी के प्रचार में जिस 9 या 10 लाख रुपये के फ्लैट का जिक्र किया जाता है, वह दरअसल 550 से 750 स्क्वेयर फीट का 1 बीएचके होता है। इसकी जरूरत शायद सिर्फ बैचलर्स या नवदंपतियों को ही होती है।

लोकेशन

अफोडेर्बल प्रोजेक्ट्स अक्सर ऐसी जगह पर होते हैं, जहां जमीनों की कीमतें कम हैं। ये मुख्य शहर से दूर भी हो सकती हैं। हो सकता है कि वहां टाउनशिप तो हो, लेकिन उससे बाहर न तो बाजार हो और न अस्पताल। निजी वाहन रखना मजबूरी हो।

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