बुक वैल्यू क्या है?
बुक वैल्यू क्या है?
बुक वैल्यू किसी भी कंपनी या वस्तु की वह कीमत होती है, जो एक खास समय पर उसे खुले बाजार में बेचने पर मिलेगी। मोटे तौर पर यह खरीद भाव में से डिप्रेशिएसन कीमत घटाकर प्राप्त हो सकती है। जैसे अगर आपने 5 लाख रुपए में एक कार खरीदी और अगर हर साल इसमें 15 फीसदी का डिप्रेशिएसन होता हो तो एक साल बाद इसकी बुक वैल्यू 4.25 लाख रुपए होगी। ब्रिटेन में बुक वैल्यू को ही कंपनी का नेट असेट वैल्यू भी कहा जाता है, जिसे कुल परिसंपत्ति में से पेटेंट और साख की कीमत घटाकर प्राप्त किया जाता है।
बुक वैल्यू ऑफ इक्विटी प्रति शेयर क्या है?
कंपनी के शेयर का जो न्यूनतम मूल्य होता है उसे बुक वैल्यू ऑफ इक्विटी प्रति शेयर कहते हैं। दूसरे शब्दों में किसी कंपनी के सामान्य शेयरों की कीमत में रिजर्व नकदी जमा को जोड़ कर और लाभांश एवं शेयर बायबैक के मद में खर्च की गई रकम को घटाकर जो मूल्य प्राप्त होता है, उसे ही बीवीपीएस कहते हैं। बीवीपीएस किसी भी शेयर के वर्तमान मूल्य का अंदाजा तो देता है, लेकिन इससे उसके भविष्य की संभावनाओं का पता नहीं चलता है। इसलिए बीवीपीएस के आधार पर किसी भी शेयर का पक्का मूल्यांकन करना सही नहीं होता।
पीबीवी क्या है?
किसी शेयर के बुक वैल्यू से उसके बाजार भाव की तुलना कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह शेयर अपने वास्तविक मूल्य की तुलना में कितना महंगा या सस्ता है। इसके लिए पीबीवी अनुपात का सहारा लिया जाता है। मूल्य-आय अनुपात (पीई) की ही तर्ज पर पीबीवी यानी मूल्य और बुक वैल्यू के अनुपात से यह पता चलता है कि कोई शेयर अपने वास्तविक मूल्य के कितना गुने पर कारोबार कर रहा है।
रिटर्न ऑन असेट्स क्या है?
कोई कंपनी अपनी निवेशित पूंजी पर कितना मुनाफा कमा पा रही है, इसका लेखाजोखा ही रिटर्न ऑन असेट्स कहलाता है। इससे एक तरह से उस कंपनी के प्रबंधन की योग्यता का पता चलता है। रिर्टन ऑन असेट्स जिस सेक्टर में कंपनी काम करती है, बहुत हद तक उस पर भी निर्भर करता है। इसलिए किसी कंपनी के रिर्टन ऑन असेट्स को जब तक उसी क्षेत्र की किसी दूसरी कंपनी से तुलना न किया जाए, तब तक सही तस्वीर मिल पाना कठिन होता है।
ज्यादा रिटर्न होने का मतलब यह है कि कंपनी कम निवेश पर ज्यादा मुनाफा कमाने में सक्षम है।
बुक वैल्यू किसी भी कंपनी या वस्तु की वह कीमत होती है, जो एक खास समय पर उसे खुले बाजार में बेचने पर मिलेगी। मोटे तौर पर यह खरीद भाव में से डिप्रेशिएसन कीमत घटाकर प्राप्त हो सकती है। जैसे अगर आपने 5 लाख रुपए में एक कार खरीदी और अगर हर साल इसमें 15 फीसदी का डिप्रेशिएसन होता हो तो एक साल बाद इसकी बुक वैल्यू 4.25 लाख रुपए होगी। ब्रिटेन में बुक वैल्यू को ही कंपनी का नेट असेट वैल्यू भी कहा जाता है, जिसे कुल परिसंपत्ति में से पेटेंट और साख की कीमत घटाकर प्राप्त किया जाता है।
बुक वैल्यू ऑफ इक्विटी प्रति शेयर क्या है?
कंपनी के शेयर का जो न्यूनतम मूल्य होता है उसे बुक वैल्यू ऑफ इक्विटी प्रति शेयर कहते हैं। दूसरे शब्दों में किसी कंपनी के सामान्य शेयरों की कीमत में रिजर्व नकदी जमा को जोड़ कर और लाभांश एवं शेयर बायबैक के मद में खर्च की गई रकम को घटाकर जो मूल्य प्राप्त होता है, उसे ही बीवीपीएस कहते हैं। बीवीपीएस किसी भी शेयर के वर्तमान मूल्य का अंदाजा तो देता है, लेकिन इससे उसके भविष्य की संभावनाओं का पता नहीं चलता है। इसलिए बीवीपीएस के आधार पर किसी भी शेयर का पक्का मूल्यांकन करना सही नहीं होता।
पीबीवी क्या है?
किसी शेयर के बुक वैल्यू से उसके बाजार भाव की तुलना कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह शेयर अपने वास्तविक मूल्य की तुलना में कितना महंगा या सस्ता है। इसके लिए पीबीवी अनुपात का सहारा लिया जाता है। मूल्य-आय अनुपात (पीई) की ही तर्ज पर पीबीवी यानी मूल्य और बुक वैल्यू के अनुपात से यह पता चलता है कि कोई शेयर अपने वास्तविक मूल्य के कितना गुने पर कारोबार कर रहा है।
रिटर्न ऑन असेट्स क्या है?
कोई कंपनी अपनी निवेशित पूंजी पर कितना मुनाफा कमा पा रही है, इसका लेखाजोखा ही रिटर्न ऑन असेट्स कहलाता है। इससे एक तरह से उस कंपनी के प्रबंधन की योग्यता का पता चलता है। रिर्टन ऑन असेट्स जिस सेक्टर में कंपनी काम करती है, बहुत हद तक उस पर भी निर्भर करता है। इसलिए किसी कंपनी के रिर्टन ऑन असेट्स को जब तक उसी क्षेत्र की किसी दूसरी कंपनी से तुलना न किया जाए, तब तक सही तस्वीर मिल पाना कठिन होता है।
ज्यादा रिटर्न होने का मतलब यह है कि कंपनी कम निवेश पर ज्यादा मुनाफा कमाने में सक्षम है।
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