अस्वीकरण (DISCLAIMER):
मैं किसी राजनैतिक पार्टी का समर्थन नहीं करता हूँ.
जो मायावती ने किया, मैं उसका भी समर्थन भी नहीं करता हूँ .
पर जब मैंने उत्तर प्रदेश में हो रहे किसान आन्दोलन पर राहुल गाँधी की पाखण्ड भरी टिप्पणी सुनी, तब मुझे बहुत बुरा लगा.
पर मेरा प्रश्न है कि मायावती और उनके परिवार व पार्टी पर फैसला करने में दुहरे मापदंड का इस्तेमाल क्यों ?
राहुल गाँधी: "उत्तर प्रदेश में जो कुछ हुआ उसे देखकर मुझे अपने आपको भारतीय कहने में शर्म आती है."
यू. पी. के लिए शर्मिन्दा होने की इतनी भी क्या जल्दी है?
यू. पी. के लिए शर्मिन्दा होने की इतनी भी क्या जल्दी है? आज़ादी के पहले से लेकर आज़ादी के बाद तक, 1939 से 1989 तक ( इक्का दुक्का अन्य सरकारों और आपातकाल को छोड़कर जो आपकी दादी माँ इंदिरा गाँधी की सौगात थी), कांग्रेस ने इस देश पर ज़्यादातर समय तक राज किया है.
भारत के 14 में से 8 प्रधानमन्त्री यू पी से थे, 8 में से 6 प्रधानमन्त्री कांग्रेस से थे...
आपकी पार्टी के पास कम से कम आधी शताब्दी और आधे से ज्यादा प्रधानमंत्री थे देश का निर्माण करने के लिए...
मुलायम सिंह जैसे लोग मुख्यमंत्री सिर्फ इसलिए बने क्योंकि आपकी पार्टी राज्य में अपने काम-काज को लेकर 'गांधीवादी' सिर्फ कागजों पर थी. अगर आप थोड़ा ध्यान दें तो शायद आपको यह अहसास होगा कि यू पी की अभी की अराजकता वाली हालत कांग्रेस के लगभग 50 साल तक रहे गरिमामय शासन का ही नतीजा है.
तो राहुल बाबू.....यू. पी. के लिए शर्मिन्दा होने की इतनी भी क्या जल्दी है? मायावती तो सिर्फ उसी 'जमीन अधिशासन विधेयक' का इस्तेमाल कर रही है जिसका आपकी कांग्रेस ने किसानों को लूटने के लिए कई बार इस्तेमाल किया है.
आपकी पार्टी ने इस विधेयक को तब क्यों नहीं बदला जब वो शासन में इतने लम्बे समय तक थी?
मैं मायावती के काम को समर्थन नहीं दे रहा...
लेकिन आपकी पार्टी द्वारा किये जाने वाले काम और आपकी टिप्पणी आपकी 'नीयत' और 'विश्वसनीयता' पर भी सवाल खड़े करती है.
अगर आप वास्तव में शर्मिन्दा होना चाहते हैं
घबराइये मत, मैं आपको शर्मिन्दा होने के कई कारण देने वाला हूँ...
अगर आप वास्तव में शर्मिन्दा होना चाहते हैं!
- पहले तो आप प्रणव मुखर्जी से पूछिए कि वो स्विस बैंकों में अकाउंट्स रखने वालों के बारे में सूचना क्यों नहीं दे रहे...
- अपनी माँ से पूछिए कि 74 ,000 करोड़ के कर चोरी के मामले में हसन अली के खिलाफ जांच कौन रोक रहा है.
- नवम्बर 1999 में राजीव गांधी के गुप्त बैंक खाते में 2 .5 बिलियन स्विस फ्रांक (2.2 बिलियन डॉलर) थे (ANNEXURE 10 देखें)
- उनकी मृत्यु के बाद सोनिया गांधी इस पैसे की एकमात्र हकदार थीं. यह तो 1991 की बात है, सिर्फ उन्हें पता है अब इसमें कितने पैसे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि इसी कारण से भारत सरकार स्विस बैंकों में अकाउंट्स रखने वालों के नाम नहीं दे रही?
- उनसे जाकर पूछिए, 2G घोटाले में 60 % हिस्सा किसे मिला?
- कलमाडी पर कुछ सैकडे करोड़ रुपयों का इलज़ाम है. कॉमनवेल्थ गेम्स के बाकी पैसे किसकी जेब में गए?
- प्रफुल पटेल से पूछिए किसने इन्डियन एयरलाइन्स की हालत खराब की. एयर इंडिया ने लाभकारी रूट्स को क्यूँ छोड़ा?
- हम टैक्स भरने वाले एयर इंडिया के नुकसान को क्यों भरें?
- जब आप एक एयर लाइन प्रोपर्टी नहीं चला सकते, देश कैसे चलाएंगे?
- मनमोहन सिंह से पूछिए. वो इतने समय से शांत क्यों हैं?
- लोग कहते हैं वो इमानदार हैं. उनकी इमानदारी किसकी तरफ है - देश की ओर या एक व्यक्ति विशेष की ओर?
- सी बी आई ने रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया पर छापा मारा और उसे 500 एवं 1000 के नोटों की भारतीय नकली मुद्राओं का ज़खीरा मिला. वो भी रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया में?
- भारत सरकार इस पर चुप क्यों है?
- तो फिर इस बढ़ती मुद्रास्फीती का कारण है क्या - वाणिज्य या राजनीति ? ( इकोनोमिक्स या पोलिटिक्स )
- भोपाल गैस ट्रेजेडी के गुनाहगार अभी तक खुले आम घूम रहे हैं. कौन है इसका जिम्मेवार? (इसमें 20,000 लोग मारे गए थे)
- 1984 में सिखों की सामूहिक ह्त्या हुई. वो भी सरकार के समर्थन से. किसने यह करवाया?
जवाब तो आप जान ही गए होंगे.
- 1976 -77 की इमरजेंसी के बारे में पढ़ना मत भूलिए. जब हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के लोकसभा चुनाव में चयन को अवैध ठहराया, उन्होंने कैसे देश को इमरजेंसी में धकेल दिया. (ज़ाहिर है कि उनके मन में भी लोकतंत्र, न्यायपालिका और स्वतंत्र प्रेस के लिए तहे दिल से इज्ज़त थी.)
- मैं मायावती की निंदा करता हूँ. पर राहुलजी, आप सिर्फ उनके लिए शर्मिन्दा क्यों होते हैं?
- अपने करीबियों के लिए इतनी नरमी बरतने की क्या ज़रुरत है? देश को खस्ताहाल में लाने में उनका योगदान कोई कम तो नहीं है.
- आप किसानों से उनकी ज़मीन लिए जाने की निंदा करते हैं. ज़रा बताइये कि आपकी पार्टी के शासनकाल में विदर्भ में कितने किसानों ने खुदकुशी की. उसके लिए आपको शर्मिन्दगी नहीं होती?
72 ,000 करोड़ के लोन की माफी
- आपकी पार्टी ने किसानों का 72 ,000 करोड़ का लोन माफ़ किया. पर वो तो किसानों तक पहुंचा भी नहीं.
- आपने अपनी सरकार द्वारा निर्धारित नीतियों को लागू करने पर ध्यान तो दिया नहीं, पर अपनी सुन्दर छवि बनाने के लिए हम पर किसानों के साथ भोजन करते हुए खुद की तस्वीर मीडिया में छपवाते रहते हैं.
- आप शर्मिन्दा होना चाहते हैं ना! तो इस बात के लिए शर्मिन्दा होइए कि आपकी पार्टी ने लोगों का पैसा (72 ,000 करोड़) सरकार की तिजोरी से खर्च करने के लिए लिया और पूरी तरह बर्बाद कर दिया..
केवल इस गिरफ्तारी पर इतना हल्ला क्यों?
- राहुलजी , सितम्बर 2001 में आप एफ बी आई द्वारा बोस्टन एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किये गए थे.
- आपके पास नकद में $ 1 ,60 ,000 मिले थे . आपने अभी तक जवाब नहीं दिया आप इतना सारा पैसा क्यों ले जा रहे थे.
- संयोग से आप अपनी कोलंबियन गर्लफ्रेंड और एक कथित रूप से ड्रग माफिया सरगना की बेटी, वेरोनिक कार्टेली,के साथ 9 घंटों तक एयरपोर्ट पर रोककर रखे गए थे.
- बाद में प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी के हस्तक्षेप पर आपको छोड़ा गया. एफ बी आई ने अमेरीका में FIR जैसी शिकायत दर्ज करके आपको जाने दिया.
- जब सूचना के अधिकार का प्रयोग करते हुए FBI से आपकी गिरफ्तारी के कारणों के बारे में सूचना माँगी गयी तो FBI ने आपसे 'कोई आपत्ति नहीं' का सर्टिफिकेट माँगा.
- आपने तो कभी जवाब ही नहीं दिया.
- यह गिरफ्तारी न अखबारों की हेडलाइन बनी ना न्यूज चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज. आपको खुद ही मीडिया के पास जाना चाहिए था और बोलना चाहिए था : "मुझे खुद को भारतीय कहते हुए शर्म आती है."
बताइये!!!
- कहीं ऐसा तो नहीं कि आप सिर्फ दिखावटी गिरफ्तारियों (उत्तर प्रदेश) पर बवाल मचाते हैं और वास्तविक गिरफ्तारियों (बोस्टन) को कूड़े के डब्बे में डाल देते हैं?
खैर, अगर आप और शर्मिन्दा महसूस करना चाहते हैं तो पढ़ते जाइए...
2004 में आपकी माँ द्वारा प्रधानमंत्री पद के तथाकथित त्याग के बारे में.
- नागरिक अधिनियम के एक प्रावधान के अनुसार...एक विदेशी नागरिक अगर भारत का नागरिक बन जाता है तो उस पर वही नियम-क़ानून लागू होंगे जो एक भारतीय नागरिक के इटली के नागरिक बन जाने पर लागू होते हैं.
तो स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री तो वह बनना चाहती थीं जब तक उन्हें संवैधानिक प्रावधानों का पता नहीं था.[ANNEXURE 1&2 पढ़ें]
- (Principle of Reciprocity पर आधारित शर्त)
- जिस तरह आप इटली में प्रधानमंत्री नहीं बन सकते अगर आप वहाँ पैदा नहीं हुए
- ठीक उसी तरह आप भारत में प्रधानमंत्री नहीं बन सकते अगर आप यहाँ पैदा नहीं हुए!
- डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी (2G का खुलासा करने वाले) ने भारत के राष्ट्रपति का ध्यान इस बात पर दिलाते हुए एक पत्र भेजा. [ANNEXURE 3 में उस पत्र को पढ़ें]
- 17 मई 2004 को शाम 3 :30 बजे भारत के राष्ट्रपति ने इस सम्बन्ध में एक पत्र सोनिया गांधी को भेजा.
- शपथ ग्रहण समारोह उसी दिन शाम 5 बजे होना था.
- तब लाज बचाने के लिए अंतिम पल में मनमोहन सिंह को लाया गया.
- सोनियाजी द्वारा किया गया त्याग महज एक नौटंकी था.
- क्योंकि सच तो यह है कि सोनियाजी ने अलग अलग सांसदों द्वारा हस्ताक्षर किये गए 340 पत्र राष्ट्रपति कलाम को भेजे थे, जिनमें खुद के प्रधानमन्त्री बनने की योग्यता की वकालत की गयी थी.
उनमें से एक पत्र में लिखा था - मैं, सोनिया गांधी, राय बरेली से चयनित सदस्या, सोनिया गांधी की प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्ताव रखती हूँ.
- गौरतलब यह कि उन्होंने कोई त्याग नहीं किया, दरअसल वह कानूनन रूप से देश की प्रधानमंती बन ही नहीं सकती थीं.
- राहुलजी, आपको इस बात के लिए शर्मिन्दा होना चाहिए. सोनिया जी के पास एक विश्वसनीयता थी वो भी एक झूठ था.
अब ज़रा अपने बारे में सोचिये
- आप डोनेशन कोटा पर हार्वर्ड जाते हैं (हिंदुजा भाइयों ने हार्वर्ड को 11 मिलियन डॉलर उसी साल दिए जिस साल राजीव गांधी सत्ता में थे)
- आप 3 महीने में निकाले जाते हैं/आप 3 महीनों में ड्रॉप आउट हो जाते हैं ( दुर्भाग्य से मनमोहन सिंह उस समय हार्वर्ड के डीन नहीं थे, नहीं तो आपको एक चांस और मिल जाता. पर क्या करें, दुनिया में एक ही मनमोहन सिंह हैं)
- कुछ स्त्रोतों का कहना है, आपको राजीव गांधी की ह्त्या के कारण ड्रॉप आउट करना पडा.
- शायद ऐसा हो. लेकिन फिर आप हार्वर्ड से अर्थशास्त्र में मास्टर्स होने का झूठ क्यों बोलते रहे....जब तक कि आपके बायो- डाटा पर डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी (2G का खुलासा करने वाले) ने सवाल नहीं उठाया.
- सैंट स्टीफेंस में आप हिन्दी में फेल कर जाते हैं.
हिन्दी में फेल!!और आप देश के सबसे बड़े हिंदीभासी राज्य का प्रतिनिधत्व कर रहे हैं?
सोनिया गांधी की शैक्षिक उपलब्धियां
- सोनिया गांधी ने एक उम्मीदवार के रूप में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें लिखा है कि उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी की पढाई की है.
- [ANNEXURE-6 7_37a देखें]
EC और लोकसभा के स्पीकर को डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा भेजे गए पत्र पढ़ें - ANNEXURE 7_36 &7_35
- कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसार ऐसी कोई छात्रा कभी थी ही नहीं! [ANNEXURE-7_39 देखें]
- डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा एक केस दायर करने पर,उन्होंने अपने हलफनामा से कैम्ब्रिज की बात हटा दी.
- सोनिया गांधी ने हाई स्कूल तक पास नहीं किया. वो सिर्फ 5 वीं पास हैं!
- शिक्षा के मामले में, मामले में वो 2G घोटाले के दूसरे सहयोगी करूणानिधि के बराबर हैं - आप अपनी शिक्षा की नक़ली डिग्री दिखाते हैं; आपकी माँ अपनी शिक्षा की नक़ली डिग्री दिखाती हैं.
- और फिर आप युवाओं के बीच में आकर बोलते हैं : "हम राजनीति में शिक्षित युवाओं को चाहते हैं."
- एक गांधीजी थे, वो दक्षिण अफ्रीका गए, वहाँ अपनी योग्यता से वकील बने, उसे दक्षिण अफ्रीका में सेवा करने के लिए छोड़ा, फिर अपने देश में सेवा करने के लिए...
- क्यूंकि सच्चाई ये है कि आप अभी तक राजनीति में नहीं आये हैं. दरअसल आप फैमिली बिजनेस में आये हैं.
- पहले राजनीति में आइये. राहुल गाँधी के नाम से नहीं, राओल विन्ची के नाम से चुनाव जीतकर दिखाइये. तब युवाओं और शिक्षित लोगों को राजनीति में आने की सीख दीजिए.
- और तब तक हमें सचिन पायलट, मिलिंद देवरा और नवीन जिंदल जैसे युवाओं का उदाहरण मत दीजिये जिन्होंने राजनीति में पदार्पण किया है.
वो राजनीतिज्ञ नहीं हैं. बस राजनीति में किसी तरह आ गए हैं.
- ठीक उसी तरह जैसे अभिषेक बच्चन और कई स्टारपुत्र जो अभिनेता नहीं है, बस अभिनय में किसी तरह आ गए हैं (कारण सभी जानते हैं)
- इसलिए बड़ी मेहरबानी होगी अगर आप युवाओं को राजनीति में आने की सीख देना बंद करें जब तक खुद में थोड़ी काबिलियत ना आ जाए..
हम राजनीति में क्यों नहीं आ सकते!
- राहुल बाबा, थोडा समझो. आपके पूज्य पिताजी के बैंक खाते (स्विस) में 10,000 करोड़ रुपये थे जब वो स्वर्गवासी हुए.
- सामान्य युवाओं को ज़िंदगी जीने के लिए वर्क करना पड़ता है.आपके परिवार को बस थोड़ा नेटवर्क करना पड़ता है.
- अगर हमारे पिता ने हमारे लिए हज़ारों करोड़ रुपए छोड़े होते तो शायद हम भी राजनीति में आने की सोचते...
- लेकिन हमें काम करना पड़ता है. सिर्फ अपने लिए नहीं, आपके लिए भी. ताकि हमारी कमाई का 30% हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार के पास जाए जो आपके स्विस बैंक और अन्य व्यक्तिगत बैंक खातों में पहुँचाया जा सके.
- इसलिए प्यारे राहुल, बुरा ना मानो अगर युवा राजनीति में नहीं आ पाते. हम आपके चुनाव अभियानों और गाँवों में हैलीकॉप्टर यात्राओं के लिए भरपूर योगदान दे रहे हैं.
- आप जैसे नेताओं बनाम राजकुमारों को पालने के लिए किसी को तो कमाना पडेगा, खून पसीना एक करना पडेगा.
कोई आश्चर्य नहीं आप गांधी नहीं, सिर्फ नाम के गांधी हैं!
- एयर इंडिया, KG गैस डिविजन, 2G, CWG, स्विस बैंक खातों की जानकारियाँ...हसन अली, KGB.अनगिनत उदाहरण हैं आपके परिवार के कारनामों के.
- उसके बाद सोनिया गांधी ने नवम्बर 2010 में इलाहाबाद की पार्टी रैली में भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टोलेरेंस' की घोषणा की. पाखण्ड की भी हद है!
आप शर्मिन्दा होना चाहते हैं न!
- यह सोचकर शर्मिन्दा होइए कि देश का प्रथम राजनैतिक परिवार क्या से क्या बन गया है...
...एक पैसा कमाने की शर्मनाक मशीन!
- कोई आश्चर्य नहीं कि आप अपने रक्त से गांधी नहीं हैं. गाँधी तो बस एक अपनाया हुआ नाम है. आखिरकार इंदिरा ने महात्मा गाँधी के बेटे से शादी नहीं की थी,
- अगर गाँधी का एक भी जीन आपके DNA में होता तो आप इतनी क्षुद्र महत्त्वाकांक्षा से ग्रस्त नहीं होते ( सिर्फ पैसा बनाने की महत्त्वाकांक्षा) !
आप सच में शर्मिंदा होना चाहते हैं.
- यह सोचकर शर्मिन्दा होइए कि आप जैसे तथाकथित गांधियों ने गांधी की विरासत का क्या हाल किया है.
- कभी-कभी लगता है शायद गांधी ने अपने नाम का कॉपीराईट कराया होता.
- फिलहाल मेरी सलाह है कि सोनिया गांधी अपना नाम बदल कर $onia Gandhi कर लें, और आप अपने नाम Rahul/Raul की शुरुआत रुपये के नए सिम्बल से करें.
राओल विंची:'मुझे खुद को भारतीय कहने में शर्म आती है.हमें भी आपको भारतीय कहते हुए शर्म आती है.'
उपसंहार:
पोपुलर मीडिया को अपनी बात मनवाने के लिए खरीदा, ब्लैकमेल या नियंत्रित किया जाता है.
मेरा मानना है कि सामाजिक मीडिया अभी भी के लोकतांत्रिक मंच है. (अब वो इसे भी नियंत्रित करने के लिए क़ानून ला रहे हैं!)
तब तक हम ये सवाल पूछते रहें जब तक जवाब ना मिल जाएं. .
आखिर में हम सब गांधी हैं, क्योंकि हम भी बापू की संतान हैं.
अधिक जानकारी के लिए डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के बारे में पता लगाते रहें. आज उनके कारण 2G घोटाले की जांच हो रही है.
वो एक भूतपूर्व केंद्रीय क़ानून मंत्री हैं.
लेखक एवं निवेदक:
नितिन गुप्ता (रिवाल्डो)
No comments:
Post a Comment