क्यों है मोदी ८७% हिन्दुओ की पहली पसंद
और अडवानी को ६% हिन्दू ही पसंद करते है, कारन जानिए..इसे पढ़े..
- १-मोदीजी की छवि एक कट्टर हिन्दू नेता की है और इमानदार होने के साथ साथ विकास पर काफी ध्यान दिया है.
- २-मोदी के राज में लूट पात चोरी, गुंडागर्दी, दंगा नहीं हो रही है. जो कुछ हो रहा है उसके लिए भी कंग्रेस जिम्मेदार है.
- ३-मोदी का कम बोलना और राष्ट्रप्रेमी होना, ढोग न करना और कड़े निर्णय लेना उन्हें अडवानी पर बढ़त देता है.
- ४-अडवानी का कालेधन मुद्दे पर सोनिया से माफ़ी मागना और जिन्ना को सेकुलर बताना बहुत भारी पड़ा है और वह मात्र ६% हिन्दुओ की पसंद है.
- ५-अडवानी की बातो में साफगोई न रहना और मोदी के लिए रास्ता कठिन करने की वजह से भी अडवानी की लोकप्रियता हिन्दुओ के बीच बहुत घटी है.
- ६-बीजेपी में पिछले २ साल से मोदी ही हिन्दुओ के लिए पीएम के दावेदार है और उसके बाद सुसमा स्वराज का नंबर आता है.
- ७-अडवानी हिन्दुओ को भरमाते है जबकि मोदी बहुत काम बोलकर भी भारत के पीएम पद के सबसे सशक्त दावेदार है.
- ८-अडवानी का सोनिया से दोस्ती भी हिन्दुओ को रास नहीं आ रहा है, जबकि सोनिया मोदी से बहुत डरती हैं.
- ९-मोदी भारत के नौजवानों की पहली पसंद है और भारत को कड़क प्रधानमंत्री चाहिए. कांग्रेस का मोदी विरोध मोदी की लोकप्रिय होने का एक और कारन है.
- १०-मोदी का संघ का पहली पसंद होना मोदी की सबसे बड़ी ताकत है और मोदी भारत स्वाभिमान की पहली पसंद है. जबी जुबान से मुस्लिम तबके द्वारा मोदी को अडवानी से ज्यादा पसंद किया ज़ा रहा है. गोधरा कांड के बाद गुजरात में कभी भी कर्फु नहीं लगा है न दंगे ही हुए है.
- ११-अडवानी का फर्जी सेकुलर होना भी मोदी के लिए बढ़त का कारन है. पढ़े लिखे युवा मोदी को ही अपना पीएम चाहते है.
- १२-पाकिस्तान के प्रति मोदी का कड़ा रवैया अडवानी को निचा दिखने के लिए काफी है. अडवानी की रुख इस बारे में एकदम साफ़ नहीं है, मोदी सीधी कार्यवाही में विश्वास करते है.
- १३-मोदी शराब, वेश्यावृत्ति और गौ-हत्या के प्रखर विरोधी है जब की अडवानी भाषन्बाजी में ही माहिर है. वह मुद्दे को पाले रखना चाहते है जैसे मंदिर मुद्दा..
- १४-नेहरू खानदान का मुस्लिम कनेक्शन और सोनिया/ राहुल का इसाई होना भी मोदी पर हिन्दुओ का विश्वास बढ़ने का एक स्थाई कारन है,
- १५-भारत के ८७% युवा मोदी की राष्ट्रवादी छवि के कायल है और भारत स्वाभिमान के आन्दोलन ने मोदी की स्वीकार्यता में बढ़त की है.
भारत के असली प्रधानमंत्री दावेदार की घोषणा तो २०१४ में होनी है बाकि सब रिहर्सल और भ्रम है आप खुद समझ सकते है अगले वास्तविक पीएम कौन है--पक्का मोदीजी ही हैं..
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