बस एक वक्त का खंजर मेरी तलाश में है,
जो रोज भेष बदल कर मेरी तलाश में है,
मैं एक कतरा हूँ मेरा अलग वजूद तो है,
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है,
मैं देवता की तरह कैद अपने मन्दिर में,
वो मेरे जिस्म के बाहर मेरी तलाश में है,
मैं जिसके हाथ में एक फूल देके आया था,
उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है,
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