█ █ देश में 12 फीसद इंजीनियर ही नौकरी के काबिल- 36 फीसद तो प्रशिक्षण देने के काबिल भी नहीं है। श्रीधरन के सर्वेने आईना दिखाया है देश को █ हमारे शिक्षा संस्थानो और उच्चतम शिक्षा मे आमूल परीवर्तन जरूरी है ! सब डिग्री के पीछे होते है ज्ञान और कौशल्य गौण बन गए है ! लेकिन आज ज्ञान सर्वोपरि है हर उद्योग आज कौशल्य मांगता है डिग्री नहीं !█ █
║▌►•देश में महज 12 फीसदी इंजीनियर ही नौकरी के काबिल हैं। 52 फीसद को अगर उन्नत प्रशिक्षण दिया जाए तो उन्हें काम के लायक बनाया जा सकता है, मगर 36 फीसद तो प्रशिक्षण देने के काबिल भी नहीं है। ►•दिल्ली मेट्रो और कोंकण रेलवे के जनक ई श्रीधरन ने एक सर्वे के हवाले से इंजीनियरिंग कालेजों की कलई खोलते हुए यह हकीकत बयां की है। श्रीधरन ने इस स्थिति के लिए धन कमाने के लिए कुकुरमुत्तों की तरह खुल रहे इंजीनियरिंग कालेज और उनकी गुणवत्ताविहीन शिक्षा को जिम्मेदार ठहराया।
►•श्रीधरन ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी [जेएनटीयू] काकीनाडा के द्वितीय दीक्षांत समारोह में नियमों को ताक पर रखकर संचालित ऐसे इंजीनियरिंग कालेजों को मिल रहे राजनीतिक संरक्षण पर भी उंगली उठाई। यहां के पूर्व छात्र श्रीधरन को यहां मानद डाक्टरेट की उपाधि भी प्रदान की गई।
►•मेट्रो मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर श्रीधरन ने कहा कि ►•उद्योग जगत को जिस विशेषज्ञता की दरकार है, उस हिसाब से पाठ्यक्रम को उन्नत नहीं किया गया है। ►•आंध्र प्रदेशमें ही 700 इंजीनियरिंग कालेजों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां के ज्यादातर कालेजों में योग्य अध्यापक, प्रोफेसर और प्रिंसिपल नहीं हैं। इन कालेजों में संसाधन भी मानकों के अनुरूप नहीं हैं जिससे इंजीनियरिंग का स्तर गिरा है। तेरह राज्यों में 198 इंजीनियरिंग कालेजों के अंतिम वर्ष के 34,000 छात्रों के बीच एक सर्वे से पता चला है कि ज्यादातर इंजीनियरिंग स्नातक नौकरीके योग्य नहीं हैं। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तमाम इंजीनियरिंग कालेजों में शून्य अंक पाने वाले छात्रों को भी प्रवेश मिलने की खबरें हाल ही में सुर्खियों में रही हैं।
~~~~~~~~~~~~~~~ऐसा नहीं है के ये हाल एकाद राज्य का है, मै करीब ►•15 साल से आईटी फील्ड मे हूँ ! 12 साल से ज्यादा मै खुद पढ़ा चुका हूँ जेटकिंग और आईआईएचटी जैसे बड़े नाम वाले इंटीट्यूट मे! जहां की फ़ीज़ हजारो से लाखो मे होती है और वहाँ ►•माइक्रोसॉफ्ट से लेके सिस्को कंपनी तक के कोर्ष होते है जिनका स्टाण्डर्ड वर्ल्ड लेवल का होता है....लेकिन ►•एक भी इंस्टीट्यूट ऐसा नहीं मीला जिसे स्टुडंट्स के भविष्य की चिंता हो ! ►•एक लाख रुपये भरके एक साल को कोर्ष करके निकलनेवाले स्टुडन्ट एक कोम्प्यूटर भी ठीक से असेंबल नहीं कर पाते या कोई छोटी सी प्रोब्लेम भी सुलजा पाते ! ►•लेकिन मेरे जीतने भी स्टुडन्ट्स थे उन मे से करीब 20% ही थे जो सही मे उस कोर्ष मे रस रखते थे, और आज वह मुजसे भी ज्यादा कमा लेते है ! उनकी किताबे मे बंद ही रखवाता था और हर टोपिक को रीयल लाइफ और लेटेस्ट कल तक के अपडेट से समजाता था , अगर कोई समज ना पाये तो मै उसके मानसिक स्तरके उदाहरण दे-कर आखिर तक समजाने की कोशिश करता था ! बाकी सब जगह ऐसा होता है की ►•प्रोफेसर या फेकल्टी पूर्वानुमान लगाके चलते है की वह यहाँ तक पहुंचा तो उसको इतना तो पता ही होगा , और खुद के दिमाग के स्तर और समज के अनुसार विषय को ढालने की कोशिश करता है►• मै शर्त लगाके कहता हूँ की 99% विद्यार्थी मेरी बात से सहमत होंगे ! की उन्हे वह समाज शके ऐसी भाषा या तरीके से पढ़ाने का कोई प्रयत्न नहीं होता है, सबको बस ज्यो त्यो कर अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी पूरी करनी है, यह बात मुजे जेटकिंग मे बहुत भारी पड़ती थी अगर मे शिड्यूल से एकदिन भी पीछे रहा कोर्स को आगे बढ़ाने मे तो मेरे 150 रु कट जाते थे ! हर महीने मेरे डेढ़ दो हजार तो उसीमे कट जाते थे पर मै जब-तक स्टुडंट्स समजे नहीं कोर्स आगे नहीं बढ़ाता था ! आज यह जज्बा आज के टीचर-प्रोफेसर या फेकल्टी मे नहीं मिलता ! और स्टुडंट्स खुद जिम्मेदार है उसके लिए की वह ध्यान नहीं देते और समाज मे ना आने पर सवाल भी नहीं करते.... खुद आइन्स्टाइन का कहना है की Never Stop Questioning ? फिर वह सवाल खुद से ही क्यू ना हो ! डिग्री की दौड़ मे कल्पना शक्ति और मौलिकता गंवा देते है सब !
~~~~~~~~~~~~~~~~आज गुजरात मे जो लोग चिल्लाते है की डिग्री है पर नौकरी नहीं उनको जवाब मील गया होगा इस सर्वे से! ►•मेरे पास कोई कोम्प्यूटरकी डिग्री नहीं है लेकिन ►•डिग्रीवालो के इंटरव्यू तक लिए है, ►•पढ़ाया भी है और वही लोग मेरे पास►• हेल्प मांगने भी आते है! आजके युगमे नॉलेज एक पावर है जो सिर्फ कोर्सकी किताबोंमे सिमीत नहीं रहता ...बदलती दुनिया के साथ कदम मिलाने पड़ते है खुदकों अपग्रेड करना पड़ता है ! और उस जुनून की कमी होगी तो ही अच्छी जॉब नहीं मिलेगी ! डिग्री नहीं स्कील को बढ़िया बनाओ !║▌►
►•ऐसे हालात के लिए सबसे बड़े जिम्मेदार माँ-बाप की अपनी औलाद की प्रति अपेक्षाये और वह समाज जिनके लिए सबसे ज्यादा मार्क्स का मतलब सबसे ज्यादा बुद्धिमत्ता है ! यह एक भ्रम है ! ►•हमारी परीक्षा पद्धति ज्ञान और कौशल्यकी कम और यादशकती से ज्यादा मतलब रखती है ! कई स्टुडंट्स पुछो तो पूरे के पूरे लेशन रटटा लगाके जबानी बोल शकते है लेकिन ►•उसी का सारांश अपने खुद के शब्दो मे नहीं लिख पाएंगे ! उनकी स्कूली किताब से बाहर की सोच ही असमर्थ हो जाती है !
अगर एक भी विद्यार्थी या माँ-बाप मेरी इस पोस्ट को समाज के अमल मे लाये तो मेरी महेनत सफल होगी ! अगर आपकेभी करीबी कोई है जो अपने बच्चो की पढ़ाई के लिए चिंतित रहते है तो महेरबानी करके आप उनको भी ये शेर करे !
आपका/देश का
जुगल ईगुरु ▌►•!▌▌▌▌▌[-] ....![̲̅L][̲̅i̲̅][̲̅k̲̅][̲̅e̲̅]+[̲̅S][̲̅h̲̅][̲̅a̲̅][̲̅r̲̅][̲̅e -°•.Add Friend-Get Best Updates ღ
Wednesday, October 10, 2012
█ देश में 12 फीसद इंजीनियर ही नौकरी के काबिल- 36 फीसद तो प्रशिक्षण देने के काबिल भी नहीं है।
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CAREER in I.T
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