अगले जनम मोहे गुजरात ही भेजो
अगले जनम मोहे गुजरात ही भेजोशुक्रवार, जून 22, 2012, 14:19 [IST]
"यात्रा नारियास्तु पूज्यंते रामंते तत्रा देवता" इस प्रसिद्ध श्लोक में महिला की पूजा देवी के रूप में करने की बात कही गई है। गुजरात एक ऐसी जगह है, जहां वाकई में महिलाओं को पूजा जाता है, उनका सम्मान किया जाता है और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सबसे ज्यादा प्रयास किये गये हैं। देश की सबसे बड़ी समस्या कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ सबसे बड़ी सफलता यहां मिली है।
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा था, "कन्या भ्रूण की हत्या करने के बजाये, बेटी के जन्म को परिवार का गर्व मानो।" बेटी-बचाओ के साथ नरेंद्र मोदी ने तमाम अभियान शुरू किये। गुजरात आज महिलाओं के लिए काम करने की सबसे सुरक्षित जगह बन गया है। राज्य में बीपीओ की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। इस राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को एक ड्यूटी की तरह निभाया जाता है। वहीं अगर अन्य राज्यों में देखें तो कन्या भ्रूण हत्या के साथ-साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की संख्या ज्यादा है।
करीब एक दशक पहले नरेंद्र मोदी ने 'बेटी-बचाओ' अभियान शुरू किया था। साल दर साल मोदी ने समाज के हर तबके से कन्या के जीवन का महत्व समझने की अपील की। इसके साथ-साथ गुजरात के स्वास्थ्य मंत्रालय ने वेबसाइट www.betivadhaao.com लॉन्च की। इस वेबसाइट के माध्यम से लोगों को अपनी शिकायतें दर्ज करने का प्लेटफॉर्म प्रदान किया गया। इसके माध्यम से प्री-नेटल डायगनॉस्टिक टेक्नीक (रेग्युलेशन एंड प्रीवेंशन ऑफ मिसयूज़) अधिनियम 1994 के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ, जिसमें इससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई।
कुपोषण की समस्या भी हल हो सकती है, लेकिन उसके लिए एक बड़ी शुरुआत की जरूरत है। यह अफसोस की बात है कि देश में तमाम जगह हैं, जहां बेटियों को पैदा होने से पहले मार दिया जाता है। हाल ही में हरियाणा के यमुनानगर में एक महिला डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया, जिस पर आरोप था कि वो कन्या भ्रूण हत्या का बिजनस कर रही थी। उसे स्वास्थ्य विभाग की रेड में पकड़ा गया। एक और खबर आयी कि जलगांव के एक डॉक्टर को भ्रूण का लिंग बताने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
और तो और जब भारत में महिलाओं के कंधों पर पुरुषों की जिम्मेदारियां लाद दी जाती हैं, तब कार्यस्थल पर उनकी सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा होती है। गुजरात की बात करें तो इस राज्य ने साबित कर दिया कि यह महिलाओं के लिए काम करने के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में वडोडरा दूसरा सबसे सुरक्षित स्थान बताया गया। पहले स्थान पर शिमला था। यह सर्वेक्षण 37 शहरों पर किया गया, जिसमें 6,167 लोगों ने भाग लिया। वडोडरा में सबसे कम क्राइम रेट है और यहां आज तक कोई आतंक हमला नहीं हुआ।
गांधीनगर स्थित एक बीपीओ में सीनियर मैनेजर (सेवा) के रूप में कार्यरत महिला ने गुजरात के बारे में कहा, "गुजरात में बीपीओ उद्योग के बढ़ने का एक सबसे बड़ा कारण यही है कि यहां पर महिलाएं सुरक्षित हैं। बीपीओ कंपनियों में काम करने वाली महिलाएं हमेंशा सुरक्षित शहर चुनती हैं।" पिछले कुछ वर्षों में गुजरात में 20 बीपीओ कंपनियां जुड़ी हैं।
बीपीओ केंद्रों में नाइट शिफ्ट में काम ज्यादा होता है, क्योंकि उनके ज्यादातर क्लाइंट अमेरिका में होते हैं। ज्यादातर कंपनियां महिलाओं को इसलिए नौकरी पर रखती हैं, क्योंकि वो उनकी समस्याएं ज्यादा अच्छी तरह समझती हैं।
गुजरात की सीआईडी (क्राइम) की महिला सेल ने एक विशेष अभियान- 'सवचेती मज सुरक्षा' शुरू किया। इसके तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध और यौन उत्पीड़न के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। यह अभियान गांव-गांव, शहर-शहर चलाया गया। खास तौर से शिक्षण संस्थानों में।
दूसरी तरफ तमाम अन्य शहरों की बात करें तो दिल्ली रेप कैपिटल बन चुका है। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 35 शहरों में से दिल्ली (3,886) में देश का 16 प्रतिशत क्राइम होता है। वहीं हैदराबाद में (1,964) 8.1 प्रतिशत रहा। विजयवाड़ा, जयपुर, फरीदाबाद, लखनऊ, विशाखापट्नम और आगरा में क्राइम रेट तेजी से बढ़ा है।
दिल्ली में कुल अपराध के 23 फीसदी मामले रेपके, 37.7 फीसदी मामले अपहरण के, 14.6 फीसदी दहेज हत्या और 16.5 फीसदी उत्पीड़न के मामले। हैदराबाद में 12.2 फीसदी मामले पति और रिश्तेदारों द्वारा दी जाने वाली यातनाओं के मामले होते हैं। विजयवाड़ा में 16 फीसदी मामले छेड़खानी के और कोलकाता में 7 में से 3 मामले महिला उत्पीड़न के होते हैं।
एक बार अगर महिला की इज्जत लुट गई तो वो कभी वापस नहीं आती। मोदी सरकार के लिए यह गर्व की बात है कि गुजरात ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए इतने बेहतरीन इंतजाम किये हैं।
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