वह खून कहो किस मतलब का जिसमें उबाल का नाम नहीं।
- वह खून कहो किस मतलब का जिसमें उबाल का नाम नहीं।
- वह खून कहो किस मतलब का आ सके देश के काम नहीं।
- वह खून कहो किस मतलब का जिसमें जीवन, न रवानी है!
- जो परवश होकर बहता है,वह खून नहीं, पानी है!
- उस दिन लोगों ने सही-सही खून की कीमत पहचानी थी।
- जिस दिन सुभाष ने बर्मा में मॉंगी उनसेकुरबानी थी।
- बोले,"स्वतंत्रता की खातिर बलिदान तुम्हेंकरना होगा।
- तुम बहुत जी चुके जग में, लेकिन आगे मरना होगा।
- आज़ादी के चरणें में जो, जयमाल चढ़ाई जाएगी।
- वह सुनो, तुम्हारे शीशों के फूलों से गूँथी जाएगी।
- आजादी का संग्राम कहीं पैसे पर खेला जाता है?
- यह शीश कटाने का सौदा नंगे सर झेला जाता है"
- यूँ कहते-कहते वक्ता की आंखों में खून उतर आया!
- मुख रक्त-वर्ण हो दमक उठा दमकी उनकी रक्तिमकाया!
- आजानु-बाहु ऊँची करके, वे बोले,"रक्त मुझे देना।
- इसके बदले भारत की आज़ादी तुम मुझसे लेना।"
- हो गई सभा में उथल-पुथल, सीने में दिल न समाते थे।
- स्वर इनकलाब के नारोंके कोसों तक छाए जाते थे।
- “हम देंगे-देंगे खून”शब्द बस यही सुनाई देते थे।
- रण में जाने को युवक खड़े तैयार दिखाई देते थे।
- बोले सुभाष,"इस तरह नहीं, बातों से मतलब सरता है।
- लो, यह कागज़, है कौन यहॉं आकर हस्ताक्षर करता है?
- इसको भरनेवाले जन को सर्वस्व-समर्पण काना है।
- अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अर्पण करना है।
- पर यह साधारण पत्र नहीं, आज़ादी का परवाना है।
- इस पर तुमको अपने तन का कुछ उज्जवल रक्त गिराना है!
- वह आगे आए जिसके तन में खून भारतीय बहता हो।
- वह आगे आए जो अपने को हिंदुस्तानी कहता हो!
- वह आगे आए, जो इस पर खूनी हस्ताक्षर करता हो!
- मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए जो इसको हँसकर लेता हो!
- "सारी जनता हुंकार उठी- हम आते हैं, हम आते हैं!
- माता के चरणों में यह लो, हम अपना रक्त चढाते हैं!
- साहस से बढ़े युबक उस दिन, देखा, बढ़ते ही आते थे!
- चाकू-छुरी कटारियों से, वे अपना रक्त गिराते थे!
- फिर उस रक्त की स्याही में, वे अपनी कलम डुबाते थे!
- आज़ादी के परवाने पर हस्ताक्षर करते जाते थे!
- उस दिन तारों ने देखा था हिंदुस्तानी विश्वास नया।
- जब लिक्खा महा रणवीरों ने ख़ूँ से अपना इतिहास नया.........
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