Φ अपना विषय खोजे

Saturday, October 6, 2012

गांधी-कॉंग्रेस का काला इतिहास - भाग 1 / 6

 गांधी-कॉंग्रेस का काला इतिहास - भाग 1 / 6

संशोधन एवं संकलन - जुगल पटेल
100 - राज हंस सोसा। अंदाडा 
अंकलेश्वर - जी - भरूच -
गुजरात -393 010

आज की युवा पीढ़ी  को सच जाने का हक है ! कॉंग्रेस के छपवाए जूठे स्कूली इतिहास पर मूजे आपत्ति है! तो जानिए हकीकत का विस्फोटक इतिहास जिसमे सत्यΦ विश्वास और पारदर्शिता के साथ प्रस्तुति की गई है !   
इसके तथ्य, सत्य होने पर शंका या कोई भी आपत्ति होने पर सम्पर्क करे eguru24x7@gmail.com आपको ब्रिटिश लाइब्रेरी के आर्काईवास की लिंक भेज दी जाएगी 

बीसवीं सदी में भारतीय इतिहास

वीर सावरकर ने बरसों पूर्व भारतीयों को उनके गौरवशाली इतिहास और परम्परा से परिचित करवाने के लिए भारतीय इतिहास के छः स्वर्णिम पृष्ठ नामक ग्रन्थ की रचाना की थी ताकि भारतीय अपने आप को पहचाने और किसी भी प्रकार की विदेशी सत्ता के समक्ष नत-मस्तक ना हो, राष्ट्रीय जीवन मूल्यों की आभा से उनका जीवन ही नहीं वरन मुख मण्डल भी प्रदीप्त रहे किंतु वर्तमान में विचारधारा के संघर्षकाल में या यू कहे कि संक्रमण काल में देश घटनाक्रम जिस तेजी से करवट ले रहा उससे आम नागरिक भौचक्का सा रह गया है, वैचारिक भ्रम इतना गहरा रहा है कि सच और झूठ में विभेद कर पाना काफी कठिन लगता है, ऐसे में देशवासियों को उनके स्वत्व, गौरव गरिमा और इतिहास के बारें में अवगत कराने की दृष्टि से लिखी गई है यह लेखमाला। इस लेख में 15 अगस्त 1947 से लेकर आज तक हमारे भाग्य विधाताओं ने जो महत्वपूर्ण भूले की है उनका वर्तमान में हमको क्या मूल्य चुकाना पड़ रहा है, के बारें में चर्चा की गई है।)

बीसवीं सदी में भारतीय इतिहास के छः काले पन्ने भाग .1
 इस वर्ष आपातकाल को कई साल बीत गए है। यह एक ऐसी घटना थी, एक ऐसा कानून था, जिसे लागू करने वाले लोग भूल जाना चाहते है और भुगतने वाले रह-रहकर याद रखना अपना धर्म समझते है। सवाल यह है कि हम भारत के लोग इतिहास से सबक लेकर कब अपना वर्तमान बुनेगें और भविष्य संवारेगें? हम भारतीयों के सम्बंध में यह सामान्य धारणा है कि हमारी सामाजिक स्मृति कमजोर है। हमारा कोई बुरा करे, हम पर आपराधिक कृत्य करें, आक्रमण करे या हमारे देश में बम विस्फोट करे, तो हम उसे भूलकर अपने आपको महान् और दयावान बताने का प्रयास करते है। भारतीय अपने पर आक्रमण करने वाले को भूल जाते है। उन्हे वे चेहरे याद नहीं रहते, जिन्होने उन्हे दास बनाया। हम भारतीय उन कारणों की कभी समीक्षा नहीं करते जो हमारी अवनति और पराजय के लिए जिम्मेदार होते रहे है। हमें न तो उपकार याद रहता है और न अपकार। 
इसलिए हम अपने लिए काम करने वाले, अपने लिए शहीद हो जाने वालों या हमारे लिए तिल-तिल कर जीवन गला देने वालों को भी भूल जाते है। चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह आज पाठ्यक्रम से बाहर है। गांधी के स्वदेशी और स्वाबलंबन कार्यक्रमों से देशवासी कोसो नहीं हजारों मील दूर चले गए है। देश की सुरक्षा में शहीद हुए नायको से नाता 15 अगस्त और 26 जनवरी को बजने वाले गानों की कैसेट में सिमटकर रह गया है। वस्तुत: भूल जाने की वृत्ति के कारण भारतीय समाज ने समय- समय पर बड़ी कीमत चुकाई है। ऐसी कीमत जो दुनिया के किसी देश और कौम ने नहीं चुकाई। हमें यह सीखना होगा कि कोई हमारे साथ गलत करे तब हम उसे सजा अवश्य दे। हमलावर पुनरावृत्ति न करे, इस बात के लिए हमने आवश्यक कदम न उठाए तो यह मूर्खता के अतिरिक्त कुछ नहीं। आपातकाल गत शताब्दी के प्रमुख काले पन्नों में से एक है। बीती शताब्दी में समय ने कई काले पन्ने लिखे है उनमें से प्रमुख छः काले पन्ने देशवासियों के विचारार्थ प्रस्तुत है-
 प्रथम काला पन्ना - सुभाष बाबू की राजनैतिक हत्याकिसी भी देश, व्यवस्था अथवा व्यक्ति के जीवन में जो बाते प्रथम बार होती है, उनका प्रभाव उस पर सदियों तक बना रहता है। जब भारत आजाद हुआ तो उसका पहला शासक कौन बना? उसकी नीतियां क्या थी? इसका प्रभाव उस देश, वहां की जनता व आगे आने वाली कई पीढिय़ों पर पड़ता है। किसी संस्था का स्थापना पुरूष कौन है? इस बात का असर जीवन भर उस संस्था पर बना रहता है। प्रारंभ का यह प्रभाव घट-बढ़ सकता है,किंतु समाप्त कभी नहीं होता। सदियों की गुलामी के बाद भारत स्वतंत्र होने पर उसका जो पन्ना लिखा गया, उसके नेपथ्य में जाना आवश्यक है।
एक नायक 48 साल की उम्र में संसार से चला गया! ऐसा कुछ लोग मानते है। 35 साल की उम्र में कोलकाता जैसे महानगर का मेयर बन गया। 41 साल की उम्र में वह युवा जब राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद को ग्रहण करता है तो कांग्रेस ही नहीं, पूरा देश उसकी ओर आशाभरी दृष्टि से देखने लगता है। जनता प्रेम से उसे  नेताजी जैसा सम्मानजनक उपनाम देती है। लोगों को सुभाषचन्द्र बोस के हाथों में स्वतंत्र और समर्थ भारत बनता हुआ दिखाई देने लगता है। लेकिन कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग उनके अध्यक्ष बनते ही उन्हे हटाने के ताने-बाने बुनने लगा। यही से भारतीय इतिहास का यह काला पन्ना लिखा जाना प्रारंभ होता है। कांग्रेस के तात्कालीन कर्ता-धर्ता जैसे-तैसे तो एक साल के लिए उन्हे अध्यक्ष के रूप में धका ले गए लेकिन दूसरे कार्यकाल के लिए जब सुभाष ने फिर अध्यक्ष पद का चुनाव लडऩे की घोषणा की तो कांग्रेस के कर्णधारों में खलबली मच गई। उस वर्ष कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन त्रिपुरी- जबलपुर में हुआ था। सुभाष बाबू बहुत बीमार थे। सहयोगी और सलाहकारों ने उन्हे सम्मेलन में न जाने को कहा, लेकिन वे जिद्द पर अड़े रहे। ठीक समय त्रिपुरी- सम्मेलन में पंहुच गए। कमजोरी और अस्वस्थता के कारण उन्हे स्ट्रेचर पर लिटाकर मंच पर लाया गया। सुसुप्त रूप में गांधीजी के मन में सुभाष बाबू के लिए पूर्व में ही अनमना भाव था। गांधीजी ने जब देखा कि सुभाष बाबू वापस अध्यक्ष बनने जा रहे है तो उन्होने पट्टाभिसीतारमैया को सुभाषचन्द्र बोस के सामने चुनाव में खड़ा कर दिया।

पट्टाभिसीतारमैया को  चुनाव में खड़ा कर दिया
विधिवत चुनाव हुआ जिसमें सुभाष बाबू 200 मतों से विजयी रहे और दूसरे कार्यकाल के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए। चुनाव में अपने उम्मीदवार की पराजय को गांधीजी ने इतनी बड़ी माना कि वे सार्वजनिक रूप से बोले, यह पट्टाभिसीतारमैया की हार नहीं बल्कि मेरी हार है। खुले पण्डाल में सभी राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के सामने विधिवत रूप से चुनाव लड़कर चुने गए उम्मीदवार का अस्तित्व अब खतरे  में था। उनके साथ उनकी कार्यकारिणी के सदस्यों ने असहयोग करना प्रांरभ कर दिया। अपने अध्यक्षीय भाषण में सुभाष ने पांच बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। वे बिन्दु आज के संदर्भ में प्रासंगिक भी है व विचार करने योग्य भी। भाषण में रखे गए बिन्दु हमें यह ध्यान दिलाते है कि एक राष्ट्र नायक की दृष्टि व सोच की दिशा कैसी होनी चाहिए वे कहते है -
अध्यक्षीय भाषण में सुभाष

1. कांग्रेस के पास एक अति अनुशासित स्वयंसेवक दल होना चाहिए।
2. स्वतंत्र भारत में शासकीय अफसरों का एक कैडर गठित किया जाये। एडमिनिस्ट्रेशन का वह कैडर कांग्रेस के विचारों से पोषित हो।
3. श्रमिक व किसान संघों को मान्यता देकर कांग्रेस से जोड़ा जाये व उन्हे देश सेवा के कार्यो में लगाया जाये।
4. कांग्रेस में वामपंथियों को चकबंद कर उनसे समझौता किया जाये कि वे भविष्य में समाजवाद पर अडिग रहेगें।
5. भारत के अन्तर्राष्ट्रीय सम्बंध बढ़ाना व भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का निर्माण करना।

                                     कांग्रेस प्रतिनिधियों से खचाखच भरे पण्डाल के सामने दिए गए उस भाषण में लोगो ने स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की झलक देखी। उन्होने देखा कि 42 साल का यह युवा ओज और तेज से भरपूर है, जिसकी विचार करने की शैली कांच की भांति साफ है। प्रतिनिधियों को उनमें बढ़ते भारत का भविष्य दिखाई दिया लेकिन दुर्भाग्य, उसी अधिवेशन में कांग्रेस कार्यसमिति ने एक प्रस्ताव पारित किया, उस प्रस्ताव में उन्होने जो लिखा वह निर्वाचित अध्यक्ष पर असंवैधानिक दबाब था। एक अध्यक्ष के नाते कार्य करने की स्वतंत्रता पर सीधा हस्तक्षेप था। कांग्रेस कार्यसमिति ने प्रस्ताव में लिखा कि -
  • कार्यसमिति में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को गांधीजी का निर्विवाद विश्वासपात्र होना आवश्यक है।गांधीजी के उम्मीदवार को हराकर अध्यक्ष बने सुभाष बाबू पर यह एक प्रकार से सीधा-सीधा हमला भी था और बंधन भी। जो कुछ भी यहां लिखा जा रहा है वह पट्टाभिसीतारमैया द्वारा लिखित कांग्रेस के इतिहास व कांग्रेस पर लिखित पुस्तकों व उसके सन्दर्भो में वर्णित तथ्यों व प्रमाण के साथ है।
  • Bibliographic information

 
  • कार्यसमिति सीधे-सीधे अध्यक्ष को कह रही थी कि जो भी कार्य करो, फिर चाहे कार्यकर्ताओं का मनोनयन करो अथवा नियुक्ति, वह सब गांधीजी की सहमति के बाद ही करो। उनकी इच्छा पहले जान लो और उसे ही निर्देश मानो। सम्मेलन व उसके बाद कार्य के गतिरोध हटाने पर लम्बी बहस होती रही, बातचीत के कई दौर चले। समकालीन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने बीच में पड़कर विवाद को बढ़ने से रोकना चाहा। लेकिन दूसरे धड़े को मानने वालों ने सुभाष बाबू को किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता देने से मना कर दिया। संविधान और विधान के तहत चुने गए अध्यक्ष ने थककर कलकत्ता में 1939 में हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के खुले मंच से इस्तीफा हाथ में रख, भाषण देते हुए कहा-
1939 में हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी

  • मैं अपना ही निवेदन दोहराना चाहता हूं। वे अर्थात गांधीजी त्रिपुरी कांग्रेस द्वारा सौंपे गए दायित्व का वहन करे और कार्यकारिणी समिति मनोनीत करे। हमारा दुर्भाग्य रहा है कि हर प्रकार से विचार-विमर्श के बावजूद महात्मा गांधी कार्यकारिणी समिति नामजद नहीं कर सके। इसलिए सहयोग की भावना से मैं आपको अपना इस्तीफा सौंप रहा हूं।राजनीति के इन काले पन्नों को लिखने की यह शुरूआत थी।                           
 [भाग 1 अंत ! आगे आयेगा भाग 2/6 पढ़ना ना भूले ....जुड़े रहे मेरी ब्लॉग को सबस्क्राइब करे Click On JOIN THIS SITE  Button Above with Google ID !! Share this On FACEBOOK ! Teach Youngster Real HISTORY out of their Fake Textbook History ] 

6 comments:

  1. Hindustan Me Congress Or Gandhi Nehru Pariwar ne Kanun aapne Hesab se Banaya Or Unka Upbhog Kiya,Ye Hindustan ki Barbade ka Karan hai.Dr.Deepak Soni

    ReplyDelete
  2. Hindustan Ko Congress ki Choti Mansekta Ne Barbad Kar Deya hai,Desh me Rupya Or Dollar 1947 me Ek Baraba tha Jo Congress Gandhi Parivar ki Aandekhi ke Karan aapne Swartho ki Purti,desh ko aapne Jagir samjhna,Janta ko Gulam Banakar Rakhna,Sare Hindustan ko 10Janpath se Chalana,Desh Ki Barbade Ki hai.Dr.Deepak Sonui

    ReplyDelete
  3. jugal patel modi ko gujraat ke CM ki kursi pe bethane vaale aapka patel hi tha...keshubhai patel
    to aaj kyu unka virodh kar rahe hai...BJP ko upar laane me jinka haath hai vaise shree aadvani,shree keshubhai patel, shree atal bihari vaajpeyi hai...to keshu bhai ne BJP me se istifa kyu diya??...kuch to reason rahe hoge..
    congress hindu hai ya musllim usase hamko kya..hame to sacchi aur samay aane par madad karne vali sarkaar chahiye...jo congress hai...agar congress muslim hai to me hindu hoke bhi soniya family ke sath hu..
    bharat jubse azad nahi huva tha tab se congress party hai...bahot purani...
    baaki BJP.BSP.RSS.VHP etc ka koi naamshesh naa tha...
    to bharat ki sabse purani party hone ke naate bharat chalane ka adhikaar congres ko hi milna chahiye...BJP sirf hinduvaadi party hai..to muslimo ne bharat me raheke kya kuch gunaah kiya hai..??
    aap ke vichar aur aapka ye ghinona blog dekh kar soch raha hu ye kaisi vichardhara jo pakistaan ke aatankvadio ke dimag me bethai jaati hai....

    jugal patel aap patel hoke khud patel cast ka virodh kar rahe hai...yahi hai aapki vichardhara..??

    congress ho ya koi bhi party ho...aisi baate likh kar aap ne aapka ye kattarpanthi vichar sabke saamne laake khada kar diya hai...

    bharat ka CM muslim ho ya hindu...hame sirf pure netagiri hi chahiye...magar BJP jaisi nahi jo baar baar koi sarkaar giraneke liye anna hajare aue baba raamdev jaise besharmo ko laake khada kar deti hai...

    jub akshar dham me aatankvaadi aa gaye the tab kaha tha modi aur uski sarkaar... for u mr patel

    ReplyDelete
    Replies
    1. █║▌मोदी को पीएम बना दो, पर गुजरात से बाहर करोः पटेल █║▌
      जिनका कब्र मे लटक रहा है दूसरा पाँव
      वो क्या संभाल पाएंगे गुजरात का एक भी गाँव ?
      मौका आप को भी मिला था गुजरात के विकास का
      अब आपसे ना हो शका तो पेट दर्द ये किस बात का ?
      सीधा समर्पित म
      ेरी तरफ से – केशुभाई को
      वो जब सीएम थे तब मुजे सचिवालय मे गली के कुत्ते के जैसे अपमान किया गया था !
      और उनके टेकनिकल शिक्षण मंत्री भरत बारोट ने मेरी जिंदगी और केरियर तो बर्बाद किया ही लेकिन मेरे साथ भावनगर कॉलेज के 350 युवाओ के करियर को भस्मीभूत कर दिया था, सिर्फ राजनीति के लिए !
      मुजे जवाब मिला था “ वो तो सूखे के साथ कभी कभी हरी घर भी जल जाती है, तुम्हारे अकेले के लिए यहाँ कोई वक्त नहीं है !
      ~~~~~~~~~~~~~~~~
      कल एमजेपी ने जो लोकपाल की मांग के लिए गुजरात मे विरोधका कार्यक्रम किया उसमे बिजली का कनेकशान सीधे ही इलेक्ट्रिकल पोल के डी.पी से लिया गया! भ्रष्टाचार का विरोध भ्रष्ट रास्ते से ?
      _____________________
      मोदीजी के बारे मे क्या कह रहा हर भारतीय!जो गुजरात बाहर से है!बोलो गुजरात द्रोहीयों नमक हरामों CLICK PICTURE 4 FULL!
      Φ https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10151215650784338&set=a.10151256223909338.558159.599949337&type=1&relevant_count=1
      Φ https://fbcdn-sphotos-a-a.akamaihd.net/hphotos-ak-snc6/c31.0.403.403/p403x403/205377_10151215650784338_972091504_n.jpg

      Delete
    2. ►आज जिन अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कसीदे काढे जा रहे हैं क्या उन्हें खुश रखने के लिये संगठन ने लोगों की बलि नहीं ली थी? पुरानी बात को कुरेदना उचित और प्रासंगिक भी नहीं है लेकिन कितने ही लोग अब भी अटल जी के साथ समन्वय स्थापित न कर पाने के कारण आजीवन वनवास भुगत रहे हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को आधार बनाना केवल एक बहाना है।

      Delete
  4. █║▌नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को आधार बनाना केवल एक बहाना है।█║▌
    CLICK PICTURE 4 FULL! -►[̲̅L][̲̅i̲̅][̲̅k̲̅][̲̅e̲̅] + [̲̅S][̲̅h̲̅][̲̅a̲̅][̲̅r̲̅][̲̅e
    (¯`v´¯) यदि इस अवसर को हमने हाथ से जाने दिया तो पिछली अनेक पीढियों का बलिदान और त्याग व्यर्
    थ हो जायेगा। (¯`v´¯)
    ║राजग में आज यदि जनता दल यूनाइटेड को छोड दिया जाये तो शेष सभी घटक भाजपा के स्वाभाविक और विचारधारागत मित्र हैं ║
    ►आज देश की जो स्थिति है उसने सर्वत्र निराशा का वातावरण खडा कर दिया है। आर्थिक स्थिति से लेकर विदेश नीति और विश्व में भारत की स्थिति पर बुरा असर पड रहा है। वर्तमान वैश्विक स्थिति को देखते हुए सदियों के बाद भारत के पास अपनी सभ्यतागत भूमिका का निर्वाह करने का अवसर प्राप्त हुआ है और यदि इस अवसर को हमने हाथ से जाने दिया तो पिछली अनेक पीढियों का बलिदान और त्याग व्यर्थ हो जायेगा। यह बात कम से कम उन लोगों को तो समझनी ही चाहिये जिन्होंने भारतमाता को वैभवशाली बनाने के स्वप्न को लेकर ही अपनी अनेक पीढियाँ व्यतीत की हैं। राजनीति में अपनी स्थिति मजबूत बनाये रखने के लिये संगठन को अपने अनुसार दाँव पेंच के दायरे में बनाये रखना कौन सी नयी बात है।
    ►आज जिन अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कसीदे काढे जा रहे हैं क्या उन्हें खुश रखने के लिये संगठन ने लोगों की बलि नहीं ली थी? पुरानी बात को कुरेदना उचित और प्रासंगिक भी नहीं है लेकिन कितने ही लोग अब भी अटल जी के साथ समन्वय स्थापित न कर पाने के कारण आजीवन वनवास भुगत रहे हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को आधार बनाना केवल एक बहाना है।
    ►इसी प्रकार राजग के टूटने की आशंका भी निराधार है। राजग में आज यदि जनता दल यूनाइटेड को छोड दिया जाये तो शेष सभी घटक भाजपा के स्वाभाविक और विचारधारागत मित्र हैं और हमें नहीं भूलना चाहिये कि 1996 में जब पहली बार श्री अटल बिहारी वाजपेयी को सबसे बडे दल के रूप में सरकार बनाने के लिये आमन्त्रित किया गया था तो यही स्वाभाविक मित्र साथ थे लेकिन 1992 के बाबरी ध्वंस के आरोपी सदस्यों के साथ ही 1998 में राजग सदस्य 300 से भी अधिक हो गये। ऐसा क्यों हुआ ?क्योंकि भाजपा की अपनी शक्ति इतनी हो गयी कि उसके बिना सरकार बन पाना असम्भव था।
    ►आज पुनः वही स्थिति सामने है कि यदि भाजपा अपने बल पर 175 से अधिक का आँकडा छू लेती है तो घटक दलों में धर्मनिरपेक्षता के अनेक ठेकेदार पंक्तिबद्ध होकर समर्थनपत्र लेकर खडे नजर आयेंगे।
    [̲̅L][̲̅i̲̅][̲̅k̲̅][̲̅e̲̅]+[̲̅S][̲̅h̲̅][̲̅a̲̅][̲̅r̲̅][̲̅e˜”*°•.ღ.Jugal24x7.wordpress.com[जागो जगाओ भारत बचाओ]

    ReplyDelete