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Saturday, December 29, 2012

DRDO, other govt websites hacked by Algerian group

 

DRDO, other govt websites hacked by Algerian group

Hackers reveal how FBI used Apple UDID's to track 12 mn users

  • Biggest threat to India's cyber security: Pen drives, says army

It seems that hackers have once again showcased the weakness of India’s cyber-security system. According to IANS several important government websites were hacked late on Wednesday night.  The message posted on the websites read ‘SanFour25, Algerian Hackers’ minutes after the hacking took place.

Among the sites that came under the attack were those of the prime minister’s adviser on public information, infrastructure and innovations – http://iii.gov.in, and Recruitment and Assessment Centre (RAC) of the Defence Research and Development Organisation(DRDO) www.rac.gov.in.

Sam Pitroda is the prime minister’s adviser on public information, infrastructure and innovations, while RAC takes care of the process of scientists recruitment for the DRDO.

The cyber attackers group, said to be ‘SanFour25′, also targeted five more Indian websites and defaced them.

According to Rediff, the sites hacked include DRDO’s Recruitment and Assessment Centre, West Bengal’s police department, Directorate of Estates (Ministry of Urban Development), Biotechnology Industry Research Assistance Council, and Rehabilitation Council of India .

It seems that the DRDO Recruitment and Assessment Centre site was down for over nine hours. This is a particularly sensitive site as it deals with the recruitment of scientists to the several laboratories of the DRDO.

IANS quoting government sources as saying however that there were ”no secrets on these websites”.

The other important website that was hacked was Advisor to the Prime Minister on Public Information’s website. It seems that the authorities realised about the attack only after they stopped functioning.

The DRDO and Advisor to the Prime Minister on Public Information’s website site appear to be back now.

Thursday, December 20, 2012

केजरीवाल के प्रत्यक्ष लोकतंत्र के खतरे

केजरीवाल के प्रत्यक्ष लोकतंत्र के खतरे

 

केजरीवाल के प्रत्यक्ष लोकतंत्र के खतरे - India Real Time Hindi - WSJ

स्विटज़रलैंड अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और घोर मानवाधिकार हनन के खिलाफ जिनेवा सम्मेलन का जन्मस्थान है। इस देश को धार्मिक सहिष्णुता का गढ़ माना जाता है। इसके बावजूद 2009 में, स्विटज़रलैंड ने नागरिकों के जनमत के आधार पर मस्जिदों की मीनारों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाया। क्योंकि स्विटज़रलैंड एक ऐसा देश है, जिसने प्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाया है, लिहाज़ा जनमत का फैसला वहां का कानून बन गया।

इस कानून को धार्मिक स्वतंत्रता पर कुठाराघात कहकर व्यापक तौर पर निंदा की गई। यूरोप और मध्य एशिया में एमनेस्टी इंटरनेशनल के उप-कार्यक्रम निदेशक डेविड डियाज़-जॉगिक्स ने टिप्पणी की: “स्विटज़रलैंड एक ऐसा देश है, जहां धार्मिक सहिष्णुता की लंबी परंपरा रही है और जहां सताए हुए लोगों को शरण देने का प्रावधान है, ऐसा देश इस विकृत विभेदकारी प्रस्ताव का अनुमोदन करे, ये चौंकानेवाले है।”

फ्रेंच दैनिक ‘लिबरेशन’ के एक रिपोर्टर जीन क्वाट्रेमेर ने उपयुक्त ढंग से मीनारों पर प्रतिबंध और प्रत्यक्ष लोकतंत्र के खतरे के बीच संबंधों का खाका ये कहते हुए खींचा: “एक बार फिर, प्रत्यक्ष लोकतंत्र ने साबित किया है कि इसकी प्रकृति काफी खतरनाक है। लोगों को दूसरों से खतरों को ज़ाहिर करने की दी गई स्वीकृति, तर्कों को तिलांजलि देना और अल्पावधि-हितों पर फोकस करना, निश्चित तौर पर जनमत संग्रह सभी तरह के जनोत्तेजकों के हाथों में एक खतरनाक यंत्र है। ये समझना आसान है कि क्यों कई लोकंतात्रिक देशों ने इसे सीधे तौर पर गैरकानूनी बनाया है।”

भारत उन कई देशों में है, जिन्होंने प्रत्यक्ष लोकतंत्र को नहीं अपनाया। हम प्रतिनिधित्व पर आधारित एक लोकतंत्र हैं, जहां लोग अपने लिए कानून और नीतियां बनाने हेतु प्रतिनिधियों को चुनते हैं। हालांकि, पिछले दो-एक सालों से, अरविंद केजरीवाल और उनके समर्थक स्विस-सरीखे प्रत्यक्ष लोकतंत्र की ज़ोर-शोर से वकालत कर रहे हैं। श्री केजरीवाल दावा करते हैं कि प्रत्यक्ष कानून निर्माण विशेष हितों की हिफाज़त करने वाले कृतज्ञ भ्रष्ट राजनेताओं को दरकिनार करने की स्वीकृति प्रदान कर नागरिकों की सुरक्षा करते हैं।

श्री केजरीवाल ने जनमत संग्रहों और पहलकदमी को प्रस्तुत करने की मांग की है। जनमत संग्रह एक पद्धति है, जहां लोग, प्रत्यक्ष मतों से, नए कानून, नीति अथवा संसद द्वारा पारित मौजूदा कानून को नकारने का फैसला कर सकते हैं। दूसरी तरफ, एक पहलकदमी में नागरिकों का समूह राष्ट्रव्यापी प्रत्यक्ष मत हेतु नया मसौदा प्रस्तुत कर नए कानून अथवा संविधान संशोधन के लिए पहल करता है। हाल ही में, जिस तरीके से बहु-ब्रांड खुदरा में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को मंजूरी देने के लिए संसद में वोटिंग हुई, उसने गुस्से को भड़काया, श्री केजरीवाल ने एक बार फिर इस मुद्दे पर फैसले के लिए संसद में वोटिंग की बजाय राष्ट्रव्यापी जनमत संग्रह पर ज़ोर डाला।

मीनारों पर प्रतिबंध लगाने वाले स्विस जनमत संग्रह के भारत सरीखे देशों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र की मांग हेतु गहरे निहितार्थ हैं, जहां कई अल्पसंख्यक गुट हैं। ये दलील दी जा सकती है कि व्यापक भागीदारी, अल्पसंख्यक समूहों को संभावित दमनकारी नीतिगत परिणामों को झेलने के लिए छोड़ती है (जैसे स्विस मीनार प्रतिबंध) जिनका समर्थन बहुसंख्यक आबादी के एक हिस्से (जैसे 50 फीसदी जमा एक वोट) ने किया।

वे अमेरिकन स्टेट्स जिन्होंने प्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाया और चुनावों को लेकर पहलकदमी के दुर्भाग्यशाली उदाहरण बनाए, इस मुद्दे को स्पष्ट करते हैं। इनमें से कुछ पहलों में शामिल है, हिस्पैनिक्स के लिए बहुभाषी कार्यक्रमों को समाप्त करना, कानून में एक प्रावधान जो समलैंगिकों को बगैर भेदभाव के संरक्षण देता है और अवैध प्रवासियों को स्वास्थ्य, शिक्षा और मेडिकल फायदों जैसी आधारभूत सुविधाओं से वंचित रखना।

शायद, इसी वजह से भारतीय संविधान निर्माता चाहते थे कि कानून चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा बनाए जाएं, हालांकि संविधान सभा के अंतरिम अध्यक्ष, सचिदानंद सिन्हा ने मसौदा तैयार करने वालों के संज्ञान के लिए स्विस संविधान की ओर भी ध्यानाकर्षण दिलाया।

संविधान निर्माताओं ने इसकी बजाय यूएस संविधान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रमंडल मॉडलों और ब्रिटिश संसदीय व्यवस्था पर ज्यादा भरोसा किया। उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के चुनाव और संविधान संशोधन के मामले में राष्ट्रव्यापी जनमत संग्रह के विचार को खारिज कर दिया।

संविधान ने जिस सरकार को ढांचागत किया वो सत्ता के प्रसार के ज़रिए प्रजा पीढ़क शासन को रोकने की कोशिश थी। इसलिए उदाहरणस्वरूप, इसकी तीन शाखाओं की प्रबंधकीय, संसदीय और न्यायिक शक्तियां पृथक हैं। संविधान ने संघवाद के ज़रिए शक्ति को छितरा दिया: ऐसा उसने केन्द्र और राज्यों के बीच सत्ता का विभाजन करके किया। ये संतुलन प्रत्यक्ष लोकतंत्र में गायब है। विभाजित-शक्ति व्यवस्था जो विचार-विमर्श और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व, अल्पसंख्यक अधिकारों को बढ़ावा देती है, प्रतिनिधि की रोकटोक के बगैर जोखिमपूर्ण होती है।

हालांकि, ऐसा नहीं कहा जा सकता, भारत में प्रत्यक्ष लोकतंत्र की संपूर्ण मांगें औचित्यहीन हैं। मशहूर राजनीतिक विज्ञानी येहेज़केल ड्रॉर ने अन्वेषण किया कि प्रत्यक्ष लोकतंत्र छोटे समुदायों में अपेक्षाकृत अच्छा कर सकता है, जहां लोगों के ज्यादातर मुद्दों पर व्यक्तिगत अनुभव होते हैं, ये देखते हुए कि ये एक उपयुक्त विचारक प्रक्रिया और जटिल मुद्दों की पेशेवर व्याख्या के साथ संयोजित किया जाता है। जीन-जैक्स रूसो भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र के हिमायती थे, लेकिन एक बार फिर छोटे प्रांतों के लिए।

प्रत्यक्ष लोकतंत्र सरकार का एक शक्तिशाली प्रकार है, जहां प्रत्येक नागरिक नामित छोटे इलाके में वार्तालाप में सहयोग देने की क्षमता (और इच्छाशक्ति) रखता हो। कुछ हद तक, अल्पसंख्यक दमन की चिंताएं प्रत्यक्ष लोकतंत्र में निहित होती हैं, जो प्रमुख तौर पर तब कम होती हैं, जब ये स्थानीय स्तर पर हर किसी मामले में लागू की जाती हैं, जैसे स्वास्थ्य, साफ-सफाई और आधारभूत सेवाओं का प्रावधान। छोटे क्षेत्रों में, पूरा समुदाय एकत्र हो सकता है और सक्रिय तौर पर अपने प्रतिदिन के क्रियाकलाप से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर सकता है।

इसे समझते हुए, संविधान निर्माताओं ने संविधान के अनुच्छेद 40 का मसौदा तैयार किया, जो राज्यों के लिए चुने गए प्रतिनिधियों वाली ग्राम पंचायतों की स्थापना ज़रूरी बनाता है और उन्हें आत्म-शासन की एक इकाई के तौर पर शक्ति भी प्रदान करता है। इससे आगे, संविधान के 73वें और 74वें संशोधनों के अंतर्गत ग्राम सभाओं और पंचायतों का गठन, प्रोफेसर ड्रॉर और रूसो द्वारा प्रतिपादित प्रत्यक्ष लोकतंत्र के सम्मोहक उदाहरण हैं।

2008 का मॉडल नगर राज बिल शहरों में ग्राम सभाओं के अनुरूप इकाईयां बनाने की बात करता है। ये बिल जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत जरूरी सुधार है, जिसका अर्थ हुआ, राज्यों को जेएनयूआरएम कार्यक्रम के तहत फंडिग की पात्रता के लिए बिल-आधारित समुदाय-सहभागी कानून बनाना अनिवार्य है।

श्री केजरीवाल और उनकी नई राजनीतिक पार्टी दुर्लभ और शायद विचित्र भी है, जो कई राजनीतिक दलों की विषमता दिखाती है, जिनकी मुख्य समस्या नए विचारों का अभाव, गहरी जातिगत-राजनीति और भ्रष्टाचार है। भारतीय राजनीति में खलबली के वक्त, श्री केजरीवाल खेल से दूर पर महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं। जैसा प्रताप भानु मेहता ने हाल ही में इंगित किया, विकेन्द्रीकरण को लेकर श्री केजरीवाल की तत्परता चाह जगाने वाली है। हालांकि, उन्हें असंवैधानिक राष्ट्रव्यापी जनमत संग्रह के शब्दाडंबरों को छोड़कर संवैधानिक तरीकों पर चलना चाहिए। शुरुआत में, वो सभी राज्यों से मॉडल नगर राज बिल के तुरंत कार्यान्वयन की जरूरत पर ज्यादा बात कर सकते हैं, जो शहरी परिषदों के गठन की बात करता है।

-करण सिंह त्यागी पेरिस की एक कानून फर्म में एक एसोसिएट एटॉर्नी हैं। वे हारवर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम कार्यक्रम में स्नातक हैं।

-इंडिया रियल टाइम को ट्वीटर @indiarealtime पर फॉलो कीजिए।

Tuesday, December 18, 2012

▐ इंसान बनो जानवरो के साथ ▐ How to Give First Aid to Your Dog - गली सड़क या पालतू कुत्ते के लिए जानिए प्राथमिक उपचार !

▐ सभी कार और चो पहिया वाहन चालक कृपया जानवरो से उम्मीद ना रक्खे की वे इंसानी अकल से काम करेंगे ... कृपया गाड़ी को शुरू करते -ड्राइव करते ॥ या रिवर्स - लेते वक्त भी ध्यान दे कहीं गाड़ी के नीचे या पीछे कोई जानवर तो नहीं है न !▐

▐ इंसान बनो जानवरो के साथ ▐ How to Give First Aid to Your Dog

Φ How to Give First Aid to Your Dog ▐ गली सड़क या पालतू कुत्ते के लिए जानिए प्राथमिक उपचार !

कभी कभी आप चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते जब आप की गली या सडक पर कुत्ता इंजर हो जाता है .... किसी इंसानी जानवर की लापरवाही से या फिर गलती से आप से खुद हो जाये ! तो उसको वैसे ही छोडना नहीं चाहते ! हमारे देश मे .... इन्सानो को मेडिकल केर उपलबध्ध नहीं ठीक से तो जानवरो के डॉक्टर और एनिमेल केर डिपार्टमेन्ट हर जगह होना ... कोशो दूर की बात है ! कल एक इंसानी जानवर ने.... दिन के उजाले मे ... एक कुत्ते के बच्चे को नहीं देखा ....! उसे जल्दी थी गेस के बोतल लेने जाने की ...! और मैंने देखि थी वो घटना .... उसने ये सोचकर गाड़ी नहीं रोकी ... की गाड़ी को नजदीक आता देखकर वे खुद खड़े होके हट जाएँगे ! उसकी ऐसी जल्दी की रसीदे मैंने उसके गालो मे बना दी .... पर अब करूँ भी तो क्या अगर जान भी ले लू उस इंसानी जानवर की ....! तो फिर मेरे पढ़ने की आदत ... खोजने की आदत की वजह से ॥ कुछ बाते जानता था ... तो मेरी तरफ से हो शके उतना किया ..... जो किया कुछ इस तरह से था ... कोई और हो जो ऐसा करना चाहता हो और पता ना हो क्या करना है .... तो उनके लिए ये जानकारी शेर कर रहा हूँ !

▐ सभी कार और चो पहिया वाहन चालक कृपया जानवरो से उम्मीद ना रक्खे की वे इंसानी अकल से काम करेंगे ... कृपया गाड़ी को शुरू कराते या रिवर्स - लेते वक्त भी ध्यान दे अगर आपकी गली मे कोई छोटे या बड़े कुत्ते आपने आसपास घूमते दिख रहे हो ..... मैंने 3 कुत्तो के बच्चो को जिज्ञासा वश गाड़ी के नीचे खेल रहे थे ॥ और फिर चालक की एक एक्सलेटर से .... उनकी गरदन पर बड़े बड़े टायरो को घूमा ने की वजह से कुचल जाते देखे है .... तो कृपया ... प्लीज प्लीज प्लीज ... ! वो हमारे ही भाई और बच्चे है ... और वे भी हम इंसान जानवरो की तरह सामाजिक भी है ... थोड़े समजदार भी है ... और सबसे जरूरी ... के वफादार है .... जो इन्सानो मे से ये तत्व गायब होता दिख रहा है .........! बिनती है .....! कोई हुकुम नही ॥

▬▬▬▬▬▬▬▬Φ माफ कीजिये अनुवाद नहीं कर रहा ...!

How to Give First Aid to Your Dog

Have you ever seen a dog injured in a fight or hit by a car? Perhaps you could only shake your head and walk away. Not because you didn't care, but because you didn't know how to approach and examine the dog or what to do next. Especially if you have a dog of your own, you'll want to be prepared, for your dog depends on you for help in an emergency situation.

This article will give you the information and techniques you'll need to confidently administer first aid and perhaps save the life of a pet. From administering CPR to treating an insect bite, you'll learn how to deal with a wide range of dog emergencies.

Let's begin by learning how to properly restrain a hurt and frightened dog, since this will be the first order of business to treat most dog injuries.

Restraining an Injured Dog

An injured dog is usually frightened and in pain, and unless it feels very secure with your presence, it may try to escape or even bite you. So, it's important to use the following tips when approaching an injured dog.

Step 1: Approach the dog slowly, speaking in a reassuring tone of voice.

Step 2: Move close to the dog without touching it.

Step 3: Stoop down to the dog. While continuing to speak, observe its eyes and facial expression.

Step 3a: If the dog is wide-eyed and growling, DO NOT attempt to pet it. Proceed to Step 4.

Step 3b: If the dog is shivering, with its head lowered and a "smiling" appearance to its mouth, pet the dog for reassurance, first under the jaw. If this is permitted, pet the dog on the head.

Step 4: Slip a leash around the dog's neck. Use whatever material is available -- a rope, a tie, a belt, or torn rags.

Step 5: If you are alone, place the leash around a fixed object, such as a fence post. Pull the dog against this object and tie the leash so the dog cannot move its head.

Step 6: Muzzle the dog to protect yourself.

Step 6a: Using a long piece of rope, torn rags, or a tie, loop over the dog's muzzle and tie a single knot under the chin.

Step 6b: Bring the ends of the rope, rags, or tie behind the ears and tie them in a bow.

Step 7: If you are alone, proceed to administer treatment.

If You Have an Assistant

Step 8: If possible, place the dog on a table or other raised surface.

Step 8a: If the dog is small, grasp its collar with one hand, and place your other arm over its back and around its body. At the same time, pull forward on the collar and lift the dog's body, cradling it against your body.

Step 8b: If the dog is large, slip one arm under its neck, holding its throat in the crook of your arm. Be sure the dog can breathe easily. Place your other arm under the dog's stomach. Lift with both arms.

Step 8c: If the dog is very large, slip one arm under its neck, holding its chest in the crook of your arm. Be sure the dog can breathe easily. Place your other arm under the dog's rump and, pressing your arms toward one another, lift the dog.

Step 8d: Have your assistant administer treatment while you hold the dog on the table.

Step 9: If you want the dog on its side:

Step 9a: Stand or kneel so the dog is in front of you with its head to your right.

Step 9b: Reach over the dog's back and grasp the front leg closest to you with your right hand and the rear leg closest to you with your left hand.

Step 9c: Push the dog's legs away from you, and slide the dog down your body.

Step 9d: Grasp both front legs in your right hand and both rear legs in your left hand.

.Steps 9d and 9e

Step 9e: Hold the dog's neck down gently with your right arm.

Step 9f: Have your assistant administer treatment.

Step 10: If you want the dog sitting:

Step 10a: Slip one arm under the dog's neck, holding its throat in the crook of your arm. Be sure the dog can breathe easily.

Step 10b: Place your other arm over the dog's back and around its stomach.

Step 10c: Pressing the dog against your body, apply body weight to the dog's rear quarters.

Step 10d: Have your assistant administer treatment.

Step 11: If you want the dog standing:


Steps 11a and 11b

Step 11a: Slip one arm under the dog's neck, holding its throat in the crook of your arm. Be sure the dog can breathe easily.

Step 11b: Place your other arm under the dog's stomach.

Step 11c: Press the dog toward your body and lift upward.

Step 11d: Have your assistant administer treatment.

Learning how to restrain a dog will help you in almost any pet emergency situation. Now let's take a look at how to transport that injured dog to the veterinarian.
▐ इंसान बनो जानवरो के साथ ▐

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Saturday, December 15, 2012

प्रकृति में 108 की विविध अभिव्यंजना किस प्रकार की है

हमारे हिन्दू धर्म के किसी भी शुभ कार्य, पूजा , अथवा अध्यात्मिक व्यक्ति के नाम के पूर्व ""श्री श्री 108 "" लगाया जाता है...!
लेकिन क्या सच में आप जानते हैं कि.... हमारे हिन्दू धर्म तथा ब्रह्माण्ड में 108 अंक का क्या महत्व है....?????
Photo: साभार : आस्था एवं संस्कारहमारे हिन्दू धर्म के किसी भी शुभ कार्य, पूजा , अथवा अध्यात्मिक व्यक्ति के नाम के पूर्व ""श्री श्री 108 "" लगाया जाता है...!लेकिन क्या सच में आप जानते हैं कि.... हमारे हिन्दू धर्म तथा ब्रह्माण्ड में 108 अंक का क्या महत्व है....?????दरअसल.... वेदान्त में एक ""मात्रकविहीन सार्वभौमिक ध्रुवांक 108 "" काउल्लेख मिलता है.... जिसका अविष्कार हजारों वर्षों पूर्व हमारेऋषि-मुनियों (वैज्ञानिकों) ने किया था lआपको समझाने में सुविधा के लिए मैं मान लेता हूँ कि............ 108 = ॐ (जो पूर्णता का द्योतक है).अब आप देखें .........प्रकृति में 108 की विविध अभिव्यंजना किस प्रकार की है :1. सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी/सूर्य का व्यास = 108 = 1 ॐ150,000,000 km/1,391,000 km = 108 (पृथ्वी और सूर्य के बीच 108 सूर्य सजाये जा सकते हैं)2. सूर्य का व्यास/ पृथ्वी का व्यास = 108 = 1 ॐ1,391,000 km/12,742 km = 108 = 1 ॐसूर्य के व्यास पर 108 पृथ्वियां सजाई सा सकती हैं .3. पृथ्वी और चन्द्र के बीच की दूरी/चन्द्र का व्यास = 108 = 1 ॐ384403 km/3474.20 km = 108 = 1 ॐपृथ्वी और चन्द्र के बीच 108 चन्द्रमा आ सकते हैं .4. मनुष्य की उम्र 108 वर्षों (1ॐ वर्ष) में पूर्णता प्राप्त करती है .क्योंकि... वैदिक ज्योतिष के अनुसार.... मनुष्य को अपने जीवन काल मेंविभिन्न ग्रहों की 108 वर्षों की अष्टोत्तरी महादशा से गुजरना पड़ता है .5. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति 200 ॐ श्वास लेकर एक दिन पूरा करता है .1 मिनट में 15 श्वास >> 12 घंटों में 10800 श्वास >> दिनभर में 100 ॐ श्वास, वैसे ही रातभर में 100 ॐ श्वास6. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति एक मुहुर्त में 4 ॐ ह्रदय की धड़कन पूरी करता है .1 मिनट में 72 धड़कन >> 6 मिनट में 432 धडकनें >> 1 मुहूर्त में 4 ॐ धडकनें ( 6 मिनट = 1 मुहूर्त)7. सभी 9 ग्रह (वैदिक ज्योतिष में परिभाषित) भचक्र एक चक्र पूरा करते समय 12 राशियों से होकर गुजरते हैं और 12 x 9 = 108 = 1 ॐ8. सभी 9 ग्रह भचक्र का एक चक्कर पूरा करते समय 27 नक्षत्रों को पार करतेहैं... और, प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं और 27 x 4 = 108 = 1 ॐ9. एक सौर दिन 200 ॐ विपल समय में पूरा होता है. (1 विपल = 2.5 सेकेण्ड)1 सौर दिन (24 घंटे) = 1 अहोरात्र = 60 घटी = 3600 पल = 21600 विपल = 200 x 108 = 200 ॐ विपल@@@@ उसी तरह ..... 108 का आध्यात्मिक अर्थ भी काफी गूढ़ है..... और,1 ..... सूचित करता है ब्रह्म की अद्वितीयता/एकत्व/पूर्णता को0 ......... सूचित करता है वह शून्य की अवस्था को जो विश्व की अनुपस्थिति में उत्पन्न हुई होती8 ......... सूचित करता है उस विश्व की अनंतता को जिसका अविर्भाव उस शून्य में ब्रह्म की अनंत अभिव्यक्तियों से हुआ है .अतः ब्रह्म, शून्यता और अनंत विश्व के संयोग को ही 108 द्वारा सूचित किया गया है .इस तरह हम कह सकते हैं कि.....जिस प्रकार ब्रह्म की शाब्दिक अभिव्यंजनाप्रणव ( अ + उ + म् ) है...... और, नादीय अभिव्यंजना ॐ की ध्वनि है.....ठीक उसी उसी प्रकार ब्रह्म की ""गाणितिक अभिव्यंजना 108 "" है.


दरअसल.... वेदान्त में एक ""मात्रकविहीन सार्वभौमिक ध्रुवांक 108 "" का
उल्लेख मिलता है.... जिसका अविष्कार हजारों वर्षों पूर्व हमारे
ऋषि-मुनियों (वैज्ञानिकों) ने किया था l

आपको समझाने में सुविधा के लिए मैं मान लेता हूँ कि............ 108 = ॐ (जो पूर्णता का द्योतक है).

अब आप देखें .........प्रकृति में 108 की विविध अभिव्यंजना किस प्रकार की है :

1. सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी/सूर्य का व्यास = 108 = 1 ॐ

150,000,000 km/1,391,000 km = 108 (पृथ्वी और सूर्य के बीच 108 सूर्य सजाये जा सकते हैं)

2. सूर्य का व्यास/ पृथ्वी का व्यास = 108 = 1 ॐ

1,391,000 km/12,742 km = 108 = 1 ॐ
सूर्य के व्यास पर 108 पृथ्वियां सजाई सा सकती हैं .

3. पृथ्वी और चन्द्र के बीच की दूरी/चन्द्र का व्यास = 108 = 1 ॐ
384403 km/3474.20 km = 108 = 1 ॐ
पृथ्वी और चन्द्र के बीच 108 चन्द्रमा आ सकते हैं .

4. मनुष्य की उम्र 108 वर्षों (1ॐ वर्ष) में पूर्णता प्राप्त करती है .

क्योंकि... वैदिक ज्योतिष के अनुसार.... मनुष्य को अपने जीवन काल में
विभिन्न ग्रहों की 108 वर्षों की अष्टोत्तरी महादशा से गुजरना पड़ता है .

5. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति 200 ॐ श्वास लेकर एक दिन पूरा करता है .

1 मिनट में 15 श्वास >> 12 घंटों में 10800 श्वास >> दिनभर में 100 ॐ श्वास, वैसे ही रातभर में 100 ॐ श्वास

6. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति एक मुहुर्त में 4 ॐ ह्रदय की धड़कन पूरी करता है .

1 मिनट में 72 धड़कन >> 6 मिनट में 432 धडकनें >> 1 मुहूर्त में 4 ॐ धडकनें ( 6 मिनट = 1 मुहूर्त)

7. सभी 9 ग्रह (वैदिक ज्योतिष में परिभाषित) भचक्र एक चक्र पूरा करते समय 12 राशियों से होकर गुजरते हैं और 12 x 9 = 108 = 1 ॐ


8. सभी 9 ग्रह भचक्र का एक चक्कर पूरा करते समय 27 नक्षत्रों को पार करते हैं... और, प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं और 27 x 4 = 108 = 1 ॐ

9. एक सौर दिन 200 ॐ विपल समय में पूरा होता है. (1 विपल = 2.5 सेकेण्ड)

1 सौर दिन (24 घंटे) = 1 अहोरात्र = 60 घटी = 3600 पल = 21600 विपल = 200 x 108 = 200 ॐ विपल
@@@@ उसी तरह ..... 108 का आध्यात्मिक अर्थ भी काफी गूढ़ है..... और,

1 ..... सूचित करता है ब्रह्म की अद्वितीयता/एकत्व/पूर्णता को

0 ......... सूचित करता है वह शून्य की अवस्था को जो विश्व की अनुपस्थिति में उत्पन्न हुई होती

8 ......... सूचित करता है उस विश्व की अनंतता को जिसका अविर्भाव उस शून्य में ब्रह्म की अनंत अभिव्यक्तियों से हुआ है .
अतः ब्रह्म, शून्यता और अनंत विश्व के संयोग को ही 108 द्वारा सूचित किया गया है .


इस तरह हम कह सकते हैं कि.....जिस प्रकार ब्रह्म की शाब्दिक अभिव्यंजना प्रणव ( अ + उ + म् ) है...... और, नादीय अभिव्यंजना ॐ की ध्वनि है.....ठीक उसी उसी प्रकार ब्रह्म की ""गाणितिक अभिव्यंजना 108 "" है.

Thursday, December 13, 2012

भारत के लिये क्‍यों महत्‍वपूर्ण है सर क्रीक ?

भारत के लिये क्‍यों महत्‍वपूर्ण है सर क्रीक ?

 

Sir Creek
गुजरात के कच्‍छ की समुद्री सीमा पर स्थित 650 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र सर क्रीक अचानक सुर्खियों में आ गया है। इस मुद्दे को उठाया है गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने और दबाने की कोशिश कर रही है केंद्र की सत्‍ताधारी पार्टी कांग्रेस। देश की सुरक्षा से जुड़े इस संवेदनशील मामले की गहराई में जाने से पहले हम आपको सैर कराना चाहेंगे सरक्रीक की।

 

आये दिन अखबारों में आप पाकिस्‍तानी रेंजरों द्वारा भारतीय मछुवारों को पकड़ने की और भारतीय रेंजरों द्वारा पाक मछुवारों के पकड़े जाने की खबरें पढ़ते रहते होंगे। असल में दोनों देशों के गरीब मछुवारे भी आज तक इस समुद्री सीमा को लेकर कंफ्यूज्‍ड हैं। सर क्रीक 650 वर्ग किलोमीटर का भारत का वो समुद्री इलाका है, जिस पर पाकिस्‍तान अपना दावा करता है।

इतिहास के पन्‍ने पलटें तो भारत में ईस्‍ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान चार्ल्‍स नैपियर ने 1842 में सिंध पर जीत हासिल की और उसे बंबई राज्‍य को सौंप दिया। उसके बाद सिंध में शासन कर रही सरकार ने सिंध और बंबई के बीच सीमारेखा खींचने का निर्णय लिया, जो कच्‍छ से गुजरती थी। उस निर्णय के अंतर्गत सरक्रीक खाड़ी को सिंध प्रांत में दर्शाया गया।

जबकि दिल्‍ली में शासन कर रही अंग्रेज सरकार के नक्‍शे में इसे भारत में दर्शाया गया। विवाद हुआ और फाइलों में दब गया। लेकिन स्‍वतंत्रता के बाद जब दोनों देशों के बीच बंटवारा हुआ तो पाकिस्‍तान ने सरक्रीक खाड़ी पर अपना मालिकाना हक जता दिया। इस पर भारत ने एक प्रस्‍ताव तैयार किया जिसमें समुद्र में कच्‍छ के एक सिरे से दूसरे सिरे तक सीधी रेखा खींची और कहा कि इसे ही सीमारेखा मान लेनी चाहिये। यह प्रस्‍ताव पाकिस्‍तान ने ठुकरा दिया, क्‍योंकि इसमें 90 फीसदी हिस्‍सा भारत को मिल रहा था। तब से लेकर आज तक दोनों देशों के बीच इस खाड़ी के मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है।

केंद्र में हाल ही में क्‍या हुआ

केंद्र सरकार ने हाल ही में सर क्रीक पर पाकिस्‍तान से समझौता करने पर सहमति बना ली है। ऐसी खबर आयी है कि हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस पर डील फाइनल करने की चर्चा की। रक्षामंत्री एके एंटनी और तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी भी इस पर राजी हो गये। माना जा रहा है कि यूपीए इस मामले को जल्‍द ही पाकिस्‍तान के सामने रख सकती है।

नरेंद्र मोदी क्‍यों कर रहे हैं विरोध

यूपीए की इस योजना के बारे में पता चलने पर नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा। पत्र में यह मांग की है कि सरक्रीक का 10 फीसदी हिस्‍सा पाकिस्‍तान को दे दिया जाये और बाकी भारत में रहने दिया जाये। यदि इससे कम पर समझौता हुआ तो देश की सुरक्षा में सेंध लग सकती है। उन्‍होंने कहा कि ऐसा होने पर पूरा देश भले ही खुद को सुरक्षित महसूस करे, लेकिन कच्‍छ सुरक्षित कभी नहीं रह पायेगा। मोदी ने कहा कि सरक्रीक में देश की प्राकृतिक संपदा का भंडार है उसे ऐसे पाकिस्‍तान को नहीं दे देनी चाहिये। आर्थिक दृष्टि से देखें तो इस क्षेत्र में भारी मात्रा में कच्‍चा तेल अथवा गैस होने की संभावना है, जो भारतीय अर्थ व्‍यवस्‍था के लिये सकारात्‍मक साबित हो सकता है।

सरक्रीक से जुड़े कुछ अन्‍य तथ्‍य

- सन 2000 में पाकिस्‍तान ने सरक्रीक पर भारी संख्‍या में सैनिकों को तैनात किया था। यानी वहां भी कारगिल जैसे युद्ध की तैयारी थी।
- 1965 के बाद ब्रिटिश पीएम हेरोल्‍ड विल्‍सन के हस्‍तक्षेप के बाद अदालत ने 1968 में फैसला सुनाया था, जिसके अनुसार पाकिस्‍तान को 9000 वर्ग किलोमीटर का मात्र 10 फीसदी हिस्‍सा मिला था।
- पाकिस्‍तान ने सिंध और कच्‍छ के बीच हुए एग्रीमेंट की कुछ तस्‍वीरों के आधार पर क्रीक को सिंध का भाग घोषित कर दिया और एक रेखा खींची जिसे ग्रीन लाइन बाउंड्री कहा।
- भारत ने इसे मानने से इंकार कर दिया। भारत ने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय कानून के मुताबिक 1924 के आधार पर लगाये गये स्‍तंभों के आधार पर अपना दावा पेश किया। पाकिस्‍तान ने उसे यह कहकर मानने से इंकार कर दिया कि इस सीमा से नाव पार नहीं की जा सकती है, जबकि इस सीमा को आसानी से पार किया जा सकता है।
- 1999 में भारतीय वायुसेना ने सरहद के पार से आये एक पाकिस्‍तानी विमान को ध्‍वस्‍त कर दिया था। बताया जाता है कि यह विमान भारतीय सीमा में सर क्रीक की स्थिति को टोहने के लिये आया था। यह घटना कारगिल युद्ध के कुछ महीनों बाद ही हुई थी।

कुल मिलाकर देखा जाये तो केंद्र को इस मामले में जल्‍दबाजी नहीं करनी चाहिये। यदि नरेंद्र मोदी ने इस पर सवाल उठाये हैं, तो चुनाव के बाद इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सुलझाने के ऐसे प्रयास करने चाहिये, जो भारत के हक में हों।

गांधी और कैलनबैक के बीच लिखे पत्र

लंदन में नीलम होंगे गांधी और कैलनबैक के बीच लिखे पत्र

 

लंदन में नीलम होंगे गांधी और कैलनबैक के बीच लिखे पत्र
गुरूवार, जून 14, 2012, 13:35 [IST]

mahatma gandhi
लंदन। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी द्वारा गुजारे गए समय से जुड़े पत्र, तस्वीरें और दस्तावेज लंदन में 10 जुलाई को नीलाम होने जा रहे हैं। आपको बता दें कि इनमें बापू के आर्किटेक्ट हरमन कैलनबैक के विवादित संबंधों से जुड़े दस्तावेज भी शामिल हैं। नीलाम घर सॉथबी को गांधी से जुड़ी इस सामग्री से 5 लाख से 7 लाख पौंड मिलने की उम्मीद है।

पत्रों में से एक में गांधी ने 25 मार्च 1945 को कालबाख के बारे में लिखा है, ऐसे वक्त में जब सभी ने मेरा साथ छोड़ दिया था वह अक्सर मुझसे कहा करते थे कि मैं उन्हें हमेशा अपने साथ चलने वाले दोस्त की तरह पाएंगे, अगर जरूरत हुई तो, सच की तलाश में धरती के अंत तक जाएंगे।

सॉथबी ने कहा है कि इस सामग्री में दो पुरुषों के बीच दोस्ती के बारे में काफी जानकारियां हैं। यह गांधी जी की जीवनी के लिए अहम दस्तावेज हैं। कैलनबैक की दक्षिण अफ्रीका में 1904 में गांधी से मुलाकात हुई थी। इसके बाद वे दोनों हमेशा संपर्क में बने रहे।

ज्ञात हो कि गांधी जी के भारत लौटने के बाद भी उनकी दोस्ती कायम रही। 1910 में कैलनबैक ने जोहेनसबर्ग के पास 1100 एकड़ जमीन खरीदी और गांधी जी को दे दी। इस जमीन पर खेती का कामकाज गांधी जी और कैलनबैक मिलकर देखते थे।

सॉथबी ने इस विषय में जानकारी देते हुए बताया कि नीलामी के लिए रखी जाने वाली सामग्री में न केवल जमीन की खरीद से संबंधित दस्तावेज हैं, बल्कि वह दस्तावेज भी शामिल हैं, जो बताते हैं कि कैसे दोनों लोगों ने जमीन के लिए फलों के पेड़ खरीदे। वहां सिंचाई की व्यवस्था की। जमीन पर खेती को लेकर उनका पड़ोसियों से बहस होने का जिक्र भी इनमें है।

इन दस्तावेजों को ध्यान से देखने से पता चलता है कि इसमें गांधीजी के बड़े बेटे हरिलाल, दूसरे पुत्र मणिलाल और तीसरे पुत्र रामदास के बारे में भी जानकारी है। सॉथबी के मुताबिक गांधीजी के पारिवारिक सदस्यों और उनके करीबी सहयोगियों की ओर से लिखे गए इन पत्रों में गांधी की निजी जिंदगी के बारे में विस्तृत जानकारी है।

Wednesday, December 12, 2012

10 reasons India’s $35 tablet is destined for failure

10 reasons India’s $35 tablet is destined for failure

 

10 reasons India’s $35 tablet is destined for failure

 


I am rather late in writing on the $35 tablet computer but that was a deliberate decision. I didn’t think there was anything positive to write about Aakash, claimed to be the “cheapest” touch-screen tablet PC in the world.

The Indian government, which commissioned the tablet’s development and manufacture, should have learnt from the performance of the world’s cheapest car – Tata’s Nano – that nobody wants. But, then, we expect too much from our elected leaders. As Apple’s Steve Jobs may have said, Aakash may simply be DOA – dead on arrival and here’s why.

#1. Aakash is not the cheapest tablet PC in the world. As Digit magazine points out, several nondescript manufacturers in Taiwan and China are selling tablets that are just as cheap, given the higher specifications of these models. For example, one with a faster processor than Aakash and a webcam sells for $39.71, which is cheaper even than the proposed price for the commercial version of Aakash, called UbiSlate.

#2. Aakash is a Wi-Fi-only version, meaning only those at the elite educational institutions can use it. It should be obvious that students at institutions that have on-campus Wi-Fi don’t need a discount store product with sub-standard features.

#3. With a resistive touch screen, it would need a miracle for somebody to use it for any form of writing, even e-mail, especially with the lag likely from the slow 366 MHz processor. Consequently, the device could at best function as a browsing device.

#4. Aakash’s claimed battery life of three hours is a stretch, given it may have been achieved under unspecified test conditions. If manufacturers’ routine claims and lab tests are anything to go by, users will be lucky to get half that time, which would mean a mere 90 minutes.

#5. Just like the Nano failed because people count the costs of running a car, not just its cost, Aakash’s success will depend on how many can also afford the cost of Wi-Fi Internet service. DataWind, Aakash’s manufacturer, is offering unlimited mobile Internet service for a monthly fee of a mere $2 (Rs. 98) but only on its commercial version, not the subsidized version being sold to the government for distribution to students at unspecified educational institutions.

#6. DataWind, a firm with operations in the U.K., Canada and Australia, has previously only made wireless Internet access products. The firm was founded by and run by the brothers Raja Singh Tuli and Suneet Singh Tuli.

#7. Aakash has received a surprisingly fair review but that in itself hides a story. Few reviewers have had a good look at it, and nobody as far as I can tell has had a hands-on test of the tablet. Even Apple, when it released the first version of its iPad, gave the device to reputed reviewers such as Walt Mossberg of The Wall Street Journal for an independent review. Digit, one of the leading computer magazines, had not got a unit for its review and only said this: “We hope to get our hands on the $35 gadget soon, we will reserve our final verdict for the detailed review.” Good luck, guys.

#8. For those touting Aakash as a means to better quality of education, here’s a thought even if it is a comment on school education. Mint columnist Anurag Behar, who oversees Azim Premji’s education program, wrote thus: “Across two continents, they (school officials) said the same thing – “not a dollar will we invest in ICT, every dollar that we have will go to teacher and school leader capacity building. Like us, through experience, they have learnt the limits of ICT.” You can read his full column here.

#9. For those who consider Aakash as a means to bridge the digital divide between rural and urban India, it should be obvious that college students are, by no stretch of imagination, the demographic that is most disenfranchised.

#10. Finally, even the Tamil Nadu government, which plans to hand out 6.8 million free laptops to poor school and college students in the state, is giving out computers with far superior specifications and features. It will be spending an estimated $1.5 billion, not a measly $5 million that the federal government is spending on the initial order of 100,000 tablets.

For the sake of the country, I hope Aakash will not go the way of the Nano, but am hard-pressed to understand how it can avoid the fate of the cheap car that even the poor don’t want.

 

10 reasons India’s $35 tablet is destined for failure

 

We've all seen this before. The Indian public gets excited easily and politicians exploit this tendency with shitty projects with no substance. Make it sound like something revolutionary that will propel India to the very top etc etc. Does everyone remember the how nutty they got over the anti-corruption movement Team Anna? Well try a google search now and you're see that it fizzled to nothing, and everyone is onto the next great delusion.

 

10 reasons India’s $35 tablet is destined for failure

 

We've heard of white elephant projects, this is a white mice project.

 

10 reasons India’s $35 tablet is destined for failure

 

The number 1 reason "India's $35 table" will fail is because it does not exist. The tablet is Taiwanese designed AND made. India just slaps its sticker on it and claims it as "indigenous".

 

10 reasons India’s $35 tablet is destined for failure

 

I will not be surprise at all if this so-called India made world cheapest tablet turn out to be another hoax after the $10 world cheapest computer claim. What bothering me is that Indians bashing, labeling China for making cheap products and they themselves taking pride of producing this and that so-called world cheapest car, computer now "world cheapest tablet" textbook example of hyprocrite to the core.

 

India's Aakash Tablet 'Made in China'

 

India's Aakash Tablet 'Made in China'

With initiative like this where the government will pay a company half the product cost just to import something from China, no wonder India's account deficit is in terrible shape.

 

From R. Vasudevan—Reporting from New Delhi

New Delhi, 25 November (Asian tribune.com):

Doubts have arisen whether India’s tech-showpiece Aakash 2, the world's cheapest tablet, was actually made in China?

Union Minister Kapil Sibal had tom-tommed the achievement which was meant to help students who cannot afford expensivePCs or Laptops.

Documents reviewed by the Hindustan Times show DataWind founders and NRI brothers Suneet and Raja Singh Tuli may have procured these devices off-the-shelf from manufacturers in China for $42 ( Rs. 2,263 then), exactly the price at which they sold these to the Indian government.

DataWind bought more than 10,000 or more "A 13" made-in-China tablets from at least four manufacturers in Shenzhen and Hong Kong between October 26 and November 7.

These were shipped to India duty-free as they were meant for school students under an HRD ministry programme. Last year, Canada-based DataWind won a bid to supply 100,000 low-cost computing devices to students. Aakash 2, which is meant to be India-made, is part of that agreement.

DataWind had no role either in the design or manufacturing of Aakash 2 tablets, a source said.

Documents with HT show that DataWind bought the tablets from at least four manufacturers, Dasen International Electronics, Shenzhen Shitong Zhaoli Technology, Kalong Technology and Trend Grace Ltd.

DataWind's manufacturing partner in Hyderabad --- VMC Systems---had not built any device over the last couple of months, said a source. Its manufacturing partners and facilities in Delhi and Amritsar, respectively, too, had not produced even a single tablet over the last couple of months, the source said.

“Instead of manufacturing these low-cost tablets themselves… DataWind has simply purchased these 'off-the-shelf' from China and supplied it to the Indian government,” the source told HT.

It now appears that Datawind handed over the China-made tablets to Indian Institute of Technology (IIT), Bombay for testing. IIT-B's role is limited to testing and installing apps. These, it emerges, were subsequently unveiled as Aakash 2 on November 11.

 

India's Aakash Tablet 'Made in China'

 

DataWind bought more than 10,000 or more "A 13" made-in-China tablets from at least four manufacturers in Shenzhen and Hong Kong between October 26 and November 7.

 

Price of Aakash tablet to come down to $35 soon: Sibal | NDTV Gadgets

 

Price of Aakash tablet to come down to $35 soon: Sibal

 

 

Aakash-launch-Kapil-Sibal.jpg

 

 

Telecom and IT Minister Kapil Sibal on Wednesday said the price of Aakash
tablet will soon come down to $35 (about Rs. 1,900 approximately) from
$49 at present.

"Aakash is a tablet which at the moment costs $49. It will come down to $35 very soon. It has all the amenities of
any modern tablet," Sibal said at Reverse Buyer Seller Meet (RBSM) New Delhi
organised by Telecom Equipment and Service Export Promotion Council.

The
Minister added that next version of the tablet will also have Skype, an
application used for making voice calls using Internet connection and
does not necessarily require a SIM.

"It performs the same function
as a $150 tablet," Sibal said, adding that Aakash is kind of product
that two- third population of world needs as they don't have enough
resources to buy tablet costing $150.

Explaining on the way
price of Aakash tablet drops, the Minister said "The capacitative
(touch) screen is imported at a cost of $22 or around $20. The
manufacturing cost is $2. If you were to set up that manufacturing
unit in India, the cost will come down automatically from $49 to $29."

He said that government is in process to get Cabinet approval
for manufacturing of 50 lakh units of Aakash tablet in India and then
float a global tender for its production in the country.

He said the production of Aakash tablet in large volumes will further drive down the cost.

In
the last tender, each unit of Aakash tablet costed government Rs. 2,263
and it announced 50 percent subsidy on the tablet for students which
finally costs Rs. 1,130.

The Minister said if Indian industry is
able to provide a quality solution for citizen of the country then such
solution or product will work anywhere in the world.

"In fact it
will be game changer for the world consumer in Europe, consumer in
Japan, consumer in the United States of America would be looking for
those solution because he will be getting the same solution at a much
lower cost and a very high quality solution," Sibal said.

The
Minister said government is giving enormous emphasis to research and
development (R&D) for manufacturing of electronics product in the
country that are of high quality and reasonably priced.

 

"We are
going to create an R&D fund in which the government will contribute.
We are setting up fab so that (electronic) chip manufacturing can be
done India," he said.

 

 

 

 

Datawind rubbishes claim that Aakash 2 is 'Made in China'

Datawind, the makers of the low-cost Aakash 2, has refuted claims made by a media report that the tablet is a cheap Chinese import and not Indian. A report carried by Hindustan Times had alleged that Datawind founders and NRI brothers Suneet and Raja Singh Tuli ‘may have procured these devices off-the-shelf from manufacturers in China' for $42 (Rs 2,263 then), exactly the price at which they sold these to the Indian government.


The report further added that Datawind bought more than 10,000 or more ‘A 13’ made-in-China tablets from at least four manufacturers in Shenzhen and Hong Kong. The company’s Indian manufacturing partners in Hyderabad, Delhi, and Amritsar had not played any part in the manufacturing process.


The UK based company that has been authorised to supply Aakash 2 denied this report, calling it ‘misleading’ and ‘inaccurate'. CEO Suneet Singh Tuli insists that the tablets are built in India, including all circuit boards, which are made in Hyderabad.

ITI among other PSUs will bid for Aakash 2

Aakash 2: Indian or Chinese?

 


Tuli further added that Datawind had the motherboards and kits of the first 10,000 units for IIT manufactured in its Chinese subcontractor’s facilities for the sake of expediency. The units had been ‘kitted’ at various manufacturers in China, whereas the final assembly and programming had happened in India. Tuli said that Datawind had won approval for this prior to its shipping.

 

The major difference between Aakash 1 and 2 is the latter’s capacitive touchscreen that Tuli reveals has been manufactured in the company’s Montreal facility and assembled in China. Datawind is setting up its second touchscreen facility in India, which it hopes will be up and running by another month.


“The initial devices were assembled and programmed at our facilities in New Delhi and Amritsar.  We finished this batch of 10,000 units and delivered them to IIT and will be starting another batch of 20,000 units for them in two weeks,” said Tuli, adding that the media were welcome to visit when they were making this batch. “We also have four partner manufacturers across India that will work on the deliveries to the government but we just couldn't get them started to assemble our new Aakash 2 units in time but they will start to ship early in December.”


Commissioned by Government of India’s Human Resource Development, the ambitious Aakash project has hit several roadblocks since its inception. Aakash 1 had been shrouded in controversy with several delays and issues with its quality. Later, Datawind and its erstwhile assembly partner Quad Electronics Solutions parted ways, and the company's strained relations with manufacturer VMC resulted in delays that pushed the shipping of Aakash 2 to December.

 

Aakash 1 was built by Datawind with IIT-Rajasthan overlooking the production. The MHRD slapped a showcause notice to the institute over its failure to set up a timely tablet testing facility and procedure, along with the institute's failure to ease differences with Datawind. Cracks had appeared between the two over production values in the beginning itself with IIT-R seeking military-style specifications, like water-resistance, shock-resistance etc. Datawind stood its ground on making the Aakash tablet an affordable tablet with the basic specifications.


While Tuli insists this latest controversy is ‘a desperate attempt by somebody to sabotage the image of India’, whether or not this affects the sale of Aakash 2 is something only time will tell.

Saturday, December 8, 2012

बेकार - बदहाल --- बेअसर भारत की खुफिया एजंसियां

 बेकार - बदहाल --- बेअसर भारत की  खुफिया एजंसियां

कानून-व्यवस्था बनाए रखने और सुचारु शासन व्यवस्था के लिए खुफिया तंत्र का मजबूत होना बहुत जरूरी है। राजतंत्र के दौरान खुफिया ही शासकों के आंख-कान हुआ करते थे। आजादी मिलने के बाद भी खुफिया तंत्र अधिक सक्रिय था। इसके पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि देश के सामने कई चुनौतियां थीं। विभाजन के घाव हरे थे। देश विरोधी शक्तियां कभी भी सिर उठा सकती हैं, इसलिए ज्यादा सतर्कता रखी गई। कालांतर में सतर्कता में कमी आई है। हालांकि सांप्रदायिक दंगों, आतंकवाद और नक्सलवादी गतिविधियां इन दिनों बढ़ी हैं एवं हमारा खुफिया तंत्र ज्यादा सक्रिय व सतर्क होना चाहिए था। इसके विपरीत कुछ वर्षों से खुफिया तंत्र में कमजोरी साफ नजर आ रही है।


इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के साथ हुई घटनाओं के बारे में खुफिया तंत्र अनभिज्ञ रहा। इसके बाद मुंबई दंगे, 26/11 और देश के विभिन्न स्थानों पर हुए विस्फोटों के मामले में हमें पहले से कोई जानकारी नहीं मिल पाई। देश का खुफिया विभाग समय-समय पर सतर्क रहने की सूचना जब भी देता है तब कोई घटना ही नहीं होती। दरअसल खुफिया विभाग की हालत हमारे मौसम विभाग जैसी हो गई है। मौसम विभाग की अधिकतर घोषणाएं सच नहीं होतीं। उसी तरह खुफिया सूचनाएं भी अक्सर गलत निकल जाती हैं। खुफिया एजेंसियों में तालमेल का अभाव, कर्मियों और विशेषज्ञ स्टाफ की कमी और लचर प्रशासनिक व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा है।

हर कुछ समय बाद बेखौफ आतंकी हमें लहूलुहान कर रहे हैं। कभी मुंबई, वाराणसी, अहमदाबाद तो कभी जयपुर। हम क्यों नहीं रोक पा रहे इन हमलों को? कहां छूट रही है कमी? क्या हैं हमारी कमी और कमजोरी? खुफिया सूचनाओं की कमी। पिछली आतंकी घटनाओं की बेतरतीब जांच। जिम्मेदार अपराधियों के अनछुए सुराग। सुस्त जांच एजेंसियों को प्रति सरकारी उदासीनता। प्रशिक्षण, आधुनिक हथियारों और उपकरणों की कमी। यही चंद वजहें हैं कि देश में हर छह महीने बाद कहीं न कहीं आतंकी अपनी ताकत दिखा रहे हैं। पिछली घटनाओं से हम कोई सबक नहीं ले रहे। असम और म्यांमार में हुई हिंसा के विरोध में मुंबई में रैली के दौरान दंगा फैल सकता है, खुफिया विभाग इस बारे में सूंघ नहीं सका। असम में हुई हिंसा की भी पहले से जानकारी नहीं मिली। उत्तर प्रदेश में पिछले नौ महीने में हुए एक दर्जन सांप्रदायिक दंगों की हवा भी खुफिया तंत्र को नहीं लगी। इसका मतलब कहीं न कहीं सतर्कता में कमी है। बैंगलोर में मुंबई जैसी हिंसा की अफवाह के चलते एक ही रात में 6 हजार लोग पलायन कर गए मगर हमारे सूचना तंत्र को कानोंकान खबर नहीं लगी, जबकि ये अफवाहें फेसबुक और इंटरनेट के जरिए फैलाई जा रही थीं। यात्रियों की भीड़ के कारण रेल विभाग को स्पेशल ट्रेनें चलाना पड़ती हैं तब जाकर सरकार को खबर लगती है। सूचना तंत्र की कमजोरी के चलते जो हालात बैंगलोर या मुंबई में बने थे, ऐसे हालात आगे चलकर भारत के हर बड़े शहर में पैदा हो सकते हैं।

2008 में मुंबई पर हुए हमले के बाद इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (आईडीएसए) टास्क फोर्स की रिपोर्ट में खुफिया तंत्र में सुधार की बात कही गयी थी। मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद गहरी नींद में सो रही सरकार ने राष्ट्र विरोधी व आंतकवादी घटनाओं से जुड़े मामलों की जांच पड़ताल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नेश्नल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी [एनआईए] का मजबूत किया है और देश के विभिन्न राज्यों में इसकी क्षेत्रीय इकाइया गठित की जा रही है। मुंबई पर हुए बड़े आतंकी हमले के बाद 2002 में गठित गठित गुप्तचर ब्योरों की एजेंसी ‘मेक’ (बहुएजेंसी केंद्र) की पहली बैठक 1 जनवरी 2009 को तत्तकालीन गृहमंत्री पी. चिदबरम की अध्यक्षता में हुई थी, जिसमें गुप्तचर ब्यूरो, केन्द्रीय अर्द्ध सुरक्षाबलों तथा गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। तब चिदंबरम ने घोषणा की थी कि मेक तथा अन्य सभी सरकारी एजेंसियों के बीच खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान कानूनन करना होगा। पिछले लगभग चार वर्षों में मेक के तत्त्वावधान में खुफिया एजेंसियों की एक हजार से अधिक बैठकें हो चुकी हैं और नतीजा ढाक के तीन पात ही है।
भारतीय खुफिया एजेंसियों के खराब प्रदर्शन का कारण उनकी आपसी खींचतान और रणनीतिक दृष्टि की कमी है। एक एजेंसी दूसरी एजेंसी को अपने अधिकार क्षेत्र में घुसने नहीं देती इसीलिए दोहरी मेहनत होती है। काडर राज्य से दूर रहने के लिए अधिकारी नागरिक खुफिया एजेंसियों में पड़े रहते हैं। वहीं खुफिया पर लगातार ध्यान देने की जरूरत को नकारा नहीं जा सकता है। ऐसा नहीं हो सकता कि जब कोई बड़ी घटना घटे तब इस तरफ ध्यान दिया जाए और फिर अगले ही पल आप इसे भूल जाएं। प्रतिस्पर्धा और नंबर बढ़ाने के खेल से समस्या पैदा होती है। संस्थाओं को समझना होगा कि समय अहम है न कि यह कि जानकारी कौन दे रहा है।

एक सच यह भी है कि सुधार अचानक नहीं हो सकते। इसमें समय लगेगा। विभागीय बंटवारे, द्वेष और दूरदृष्टि की कमी भी अड़चन का काम करेगी. इसीलिए विशेषज्ञों का मानना है कि विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय ही समस्या का हल है। हमारे यहां आईबी गृह मंत्री को रिपोर्ट करती है, रिसर्च एंड अनालिसिस विंग(रॉ) प्रधानमंत्री को, ज्वाइंट इंटेलीजेंस कमेटी (जेआईसी), एविएशन रिसर्च ब्यूरो (एआरसी) और नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (एनटीआरओ) जैसी एजेंसियां भी हैं जो राष्ट्रीय  सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट करती हैं। सेना के पास अपनी खुफिया एजेंसियां हैं जो थल सेना, जल सेना और वायु सेना के लिए काम करती हैं, सभी के ऊपर नेशनल इंटेलीजेंस एजेंसी नाम की संस्था है। वित्तीय खुफिया जांच के लिए अन्य एजेंसियां हैं। इनमें आयकर, सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के निदेशालय शामिल हैं। इसके अलावा राज्य स्तरीय खुफिया एजेंसियां और विशेष प्रकोष्ठ भी हैं जो खुफिया का ही काम करते हैं। पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने 2009 में इंटेलीजेंस ब्यूरो के समारोह में भाषण देते हुए स्वीकार किया था कि महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी के सभी डेटाबेस को एक साथ जोडऩे की जरूरत है। नागरिक और सैन्य खुफिया के बीच की दूरी भी बड़ा मसला है। परंपरागत रूप से रॉ का सचिव मौके और वक्त के हिसाब से प्रधानमंत्री को रिपोर्ट देता रहता है और आईबी का निदेशक गृह मंत्री को। इसमें सैन्य खुफिया यानी मिलिट्री इंटेलीजेंस (एमआई) के पास ऐसा कोई फोरम ही नहीं बचता जहां वह अपनी बात कह सके।

हर बड़े हादसे के बाद सूचना तंत्र की कमजोरी सामने आती है और कुछ दिनों हाय-तौबा करने के बाद इस गंभीर सवाल पर मिट्टी डाल दी जाती है। इससे सरकार की नीयत पर भी संदेह उठता है। क्या खुफिया तंत्र ठीक है। वह सही समय पर सूचनाएं सरकार तक पहुंचा रहा है और सरकार कानों में तेल डालकर बैठी है? क्या सरकार महंगाई या अन्य गंभीर मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए हिंसक घटनाएं होने देना चाहती है। अगर नहीं तो ऐसे कदम उठाए जाना जरूरी हैं, जिनसे खुफिया तंत्र को मजबूत किया जा सके, ताकि सरकार को समय पर सूचनाएं मिलें और देश हिंसा की लपटों में घिरने से बच सके। महाराष्ट्र सरकार 50 हजार लोगों की रैली निकालने को मंजूरी दे देती है और इसमें शामिल लोगों के मंसूबों से कोई सरोकार नहीं रखती, यह बात हैरान करने वाली है।

स्टाफ की कमी बड़ी समस्या है। चिदंबरम ने इसी साल अप्रैल में लोकसभा को बताया कि प्रति 100,000 लोगों पर (पुलिस-जनसंख्या अनुपात) अनुमोदित और वास्तविक पुलिस बल क्रमश: 145.25 और 117.09 है। भारत में प्रति 100,000 लोगों पर 130 पुलिसकर्मी हैं जबकि संयुक्त राष्ट्र के मानकों में यह संख्या न्यूनतम 220 होनी चाहिए. इस मानक को माना जाए तो भारत में 600,000 पुलिसकर्मियों की कमी है यानी अनुमोदित संख्या बल से करीब 25 फीसदी कम। खुफिया एजेंसियों और राज्य स्तर पर खुफिया विभाग में कार्मिकों का बड़ा टोटा है। जिला स्तर पर इंटेलीजेंस ब्यूरो में चार-पांच लोग होते हैं। सिपाही से उम्मीद रखी जाती है कि वह अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और बिना किसी प्रतिक्रिया के जरूरी जानकारी जुटाता रहे। मगर, बंदोबस्त, चुनाव, राजनीतिक रैलियों और वीआईपी ड्यूटी के चक्कर में उसके काम पर बुरा असर पड़ता है। राज्य सरकारों के पास खुफिया जानकारी जुटाने के लिए विशेष शाखाएं हैं मगर क्या किसी ने कभी इस बात की परवाह की है कि वहां किस तरह के लोग रखे जाते हैं?

विशेषज्ञ और विश्लेषक मानते हैं कि अब खुफिया तंत्र में पूरी तरह बदलाव लाने का समय आ गया है और साथ ही इसकी मुनासिब निगरानी भी होनी चाहिए, चाहे विभिन्न संसदीय समितियों की तर्ज पर निगरानी समिति बनाई जाए या फिर रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री को शामिल करके प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति बनाई जाए। जरूरी है कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किया जाए। सुरक्षा के लिए खुफिया तंत्र के  आधुनिकीकरण को जरूरी बताते हुए आईडीएसए ने प्रस्ताव रखा है कि भर्ती से लेकर प्रशिक्षण, वेतन और करियर में आगे बढऩे की प्रक्रिया में सुधार होना चाहिए ताकि प्रतिभावान लोग खुफिया तंत्र से जुडऩा पसंद करें।

अफसोस इस बात का है कि सुधारों को तब एजेंडा में रखा जाता है जब नुकसान हो चुका होता है। इसीलिए हम हमेशा पीछे भागते रहते हैं। यही वजह है कि हम आज तक ऐसा सिस्टम नहीं बना सके जो किसी उभरती हुई शक्ति के पास होना चाहिए। सुब्रामण्यम समिति की रिपोर्ट काफी समझ-बूझ के साथ तैयार की गई थी मगर लागू करने के मामले में हम कभी सफल नहीं हो सकते। बड़ी समस्या यह है कि जो एजेंसियां स्थापित हो चुकी हैं वही विरोध करती हैं ताकि उनकी जगह खतरे में न पड़े। ऊपर से हमारे यहां राजनीतिक दृढ़ता भी नहीं है। बदलते वैश्विक परिदृश्य, आंतकवाद की बढ़ती चुनौतियों और दिन ब दिन मजबूत होते नक्सलवाद, ड्रग माफियाओं और तस्करों पर प्रभावी रोक के लिए खुफिया तंत्र के पेंच कसने की जरूरत है। खुफिया तंत्र की नाकामी देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए विस्फोटक स्थिति ओर हालात पैदा कर सकती है।

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Sunday, December 2, 2012

भोपाल गैस त्रासदीः 28 साल बाद

भोपाल गैस त्रासदीः 28 साल बाद भी पीड़ितों को मुआवजा नहीं-देश - IBN Khabar

भोपाल।डेढ़ साल पहले भोपाल गैस त्रासदी मामले में अदालत का फैसला आने के बाद केन्द्र और मध्य प्रदेश की सरकार ने वादा किया कि किडनी और कैंसर के गंभीर मरीजों को दो-दो लाख रुपये मिलेंगे। मगर त्रासदी के 28 साल बाद भी हजारों मरीज मुआवजे से महरूम हैं। आपको बता दें कि 3 दिसंबर 1984 को भोपाल यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस निकलने से 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, जबकि हजारों लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए।

 

भोपाल की नगर निगम कॉलोनी में रहने वाली साबरा बी गैस हादसे के बाद से ही किडनी की बीमारी से परेशान हैं। अब नौबत ये आ गई है कि हफ्ते में दो मर्तबा डायलिसिस होती है। भोपाल मेमोरियल अस्पताल में इनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक साबिरा बी को ईएसआरडी यानि टोटल रीनल फेल्योर की बीमारी है। मगर कल्याण आयुक्त ने उन्हें टोटल रीनल फेल्योर में मिलने वाली मदद देने से साफ मना कर दिया है। राजेन्द्र नगर में रहने वाली शशिकला सिंह के पति अजय की मौत बारह साल पहले कैंसर से हुई। डेढ़ साल पहले हुए सरकार के ऐलान ने शशिकला के मन में मदद की उम्मीद जगा दी थी। लेकिन शशिकला को भी कोरा वादा मिला है।

 

भोपाल गैस त्रासदीः 28 साल बाद भी पीड़ितों को मुआवजा नहीं

 

गैस पीड़ित साबरा बी के मुताबिक डायलिसिस होता है। इससे कमजोरी होती है। किडनी की परेशानी है। चल फिर नहीं पाती। उन्होंने दो लाख का आवेदन निरस्त कर दिया। गैस पीड़ित शशिकला सिंह के मुताबिक ब्लड कैंसर से मौत हो गई तो पर्ची आई थी मेरे पास हम लोग कागज़ लेकर गये मगर कुछ हुआ नहीं, कुछ मिला नहीं अभी तक।

 

केन्द्र सरकार का ऐलान होने के बाद जैसे ही वेलफेयर कमिश्नर ने मुआवज़ा देने के लिए सूची मांगी तो भोपाल में 12,700 से ज्यादा गैस पीड़ितों ने कैंसर औऱ किडनी की बीमारी के मुआवज़े की अर्जी लगाई। लेकिन इसमें से मुआवज़े के लिए मंज़ूर हुये सिर्फ चार हज़ार मामले। गैस पीड़ित संगठनों का आरोप है कि सरकार मनमाने तरीके से मामलों को खारिज़ कर रही है।

 

भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन संयोजक अब्दुल जब्बार के मुताबिक

उस सबके बाद यहां जो मेडिकल एक्सपर्ट की टीम बनी उसने मनमाने डंग से नॉर्मस तय कर लिये। जो टोटल रीनल फेलुयर होगा तो ही उसे किडनी का केस कहेंगे। कैंसर में इस इस प्रकार का केस होगा तो ही हम कहेंगे। नतीजतन 12,700 में से 8,000 को मुआवज़ा नहीं मिला।

 

सरकार के मुताबिक कैंसर औऱ किडनी के मरीज तय करने का काम विशेषज्ञों की कमेटी को दिया गया है। जितना बजट है उसमें जरूरतमंदों की ही मदद की जा सकती है। गैस राहत मंत्री बाबूलाल गौर के मुताबिक आप दीजिये हम परीक्षण कराते हैं। लेकिन तथ्य होना चाहिए। मैं कह दूं कि बाबूलाल गौर ही गैस पीड़ित हैं। मैं कह दूं कि किडनी खराब हैं। जांच करवाएंगे आपकी। किडनी खराब नहीं तो आपको कैसे पांच लाख दे दें। जनता का पैसा है।

 

भोपाल गैस त्रासदी। दुनिया के सबसे खतरनाक औद्योगिक हादसे की अट्ठाईसवीं बरसी भी आ गई लेकिन इलाज औऱ मुआवजे की जो शिकायतें पहले साल हुईं थीं वो आज भी बरकरार है। भोपाल का पुराना शहर गवाह है कि केन्द्र औऱ राज्य सरकार ने इस शहर के लोगों के साथ इंसाफ़ नहीं किया है।

 

 

 

 

Friday, November 30, 2012

संजीव भट्ट के खिलाफ

ईमेल हैकिंग मामले में संजीव भट्ट के खिलाफ जांच पर लगी रोक

ईमेल हैकिंग मामले में संजीव भट्ट के खिलाफ जांच पर लगी रोक

Monday, November 26, 2012, 21:43
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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गंजरात के अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता की ईमेल हैक करने के आरोप में राज्य के निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ चल रही जांच पर आज रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाइ्र की खंडपीठछ ने संजीव भट्ट की याचिका पर सुनवाई के दौरान इस जांच पर रोक लगाने का आदेश दिया। भट्ट का दावा है कि गोधरा कांड के बाद 2002 में मुस्लिम समुदायर के खिलाफ हुए दंगों के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने के आरोप लगाये जाने के बाद से ही उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।

अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता की शिकायत पर वस्तत्रपुर थाने की पुलिस ने पांच अगस्त को संजीव भट्ट के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मेहता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया थ कि संजीव भट्ट ने उनके ईमेल को हैक करने के बाद इसकी सूचनाएं दूसरों को मुहैया करायी हैं। यह भी इत्तेफाक है कि संजीव भट्ट और तुषार मेहता लंबे समय तक पारिवारिक मित्र रह चुके हैं। (एजेंसी)

1960 के बाद का सबसे बडा दंगा अहमदाबाद

दंगों में मरता कौन है?

1960 के बाद का सबसे बडा दंगा अहमदाबाद में हुआ। राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति जगमोहन रेड्डी वाले जाँच आयोग ने अहमदाबाद के दंगों के बारे में जो आंकडे दिये। उनके मुताबिक इस दंगे में 6742 मकान और दुकान जलाई गयीं। इनमें सिर्फ 671 हिन्दुओं की थीं बाकी 6071 मुसलमानों की नष्ट हुई। कुल सम्पत्ति का मूल्य 42324068 रुपये था। जिसमें हिन्दू सम्पत्ति 7585845 रु. की थी और मुस्लिम सम्पत्ति 34738224 रुपये की। 512 मृतकों में 24 हिन्दू थे और 413 मुसलमान । बाकी 75 की शिनाख्त नहीं हो सकी थी।


इसके बाद का सबसे बडा दंगा 1970 में भिवंडी में हुआ। इसमें 78 लोग मारे गये। इनमें 17 हिन्दू थे और 59 मुसलमान। बाकी दो की शिनाख्त नहीं हो सकी। भिवंडी दंगे की जांच के लिए नियुक्त न्यायमूर्ति डी. वी. मेडन जांच आयोग के सामने जो बयान दिये गये। उनसे यह प्रकट हुआ कि इस दंगे में 6 मुसलमान औरतों के साथ बलात्कार हुआ। जबकि एक भी हिन्दू औरत बलात्कार की शिकार नहीं हुई। भिवंडी के दंगों के परिणामस्वरूप हुये जलगांव के दंगे में 43 लोग मारे गये, जिनमें एक हिन्दू और बाकी के 42 मुसलमान। नष्ट हुयी कुल सम्पत्ति में 3390977 रुपये मूल्य की सम्पत्ति मुसलमानों की थी और सिर्फ 83725 रुपये मूल्य की हिन्दुओं की।


1967 में रांची-हटिया और नौशेरा में हुये दंगों में मृतकों की कुल संख्या 184 थी। जिनमें 164 मुसलमान और तो 19 हिन्दू, एक की शिनाख्त नहीं हो सकी। जिन दंगों का ऊपर जिक्र आया है, वे 1960 के बाद के भारत के भयंकरतम दंगों में हैं। इसके अलावा जमशेदपुर, अलीगढ, वाराणसी और बंबई जैसे शहरों में भी दंगे हुयें हैं। इन दंगों में भी कमोबेश उपर वाली स्थिति ही रही। शायद ही कोई ऐसा दंगा हुआ होगा, जिसमें मरने वालों में 70 प्रतिशत से ज्यादा मुसलमान न रहें हों। नष्ट हुई सम्पत्ति में भी लगभग यही अनुपात रहा।


सबसे ज्यादा अजीब बात यह है कि लगभग हर दंगे में पुलिस के हाथों गिरफ्तार होने वालों में भी मुसलमानों की ही संख्या अधिक रहती है. मुसलमानों के ही अधिक घरों की तलाशियां भी होतीं हैं। पुलिस भी बहुसंख्यक समुदाय की तरह यह सोचती है कि दंगों के लिये जिम्मेदार मुसलमान हैं। लिहाजा वह यह मानती प्रतीत होती है कि दंगों पर तभी नियंत्रण पाया जा सकता है जब मुसलमानों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। लेकिन इसके बावजूद बहुसंख्यक समुदाय की यह धारणा, कि दंगों में मरने वालों में अधिकतर हिन्दू होतें हैं।

यह धारणा इतनी गहरी है कि तमाम सरकारी आंकडों के बावजूद आम हिन्दू इस बात को नहीं मानता कि वास्तव में दंगों में हिन्दू ज्यादा आक्रामक होतें हैं। इसको न मानने की बात को अगर गहराई से देखा जाय तो पता चलेगा कि इसके पीछे बचपन की वो धारणाएं काम करतीं हैं। जो बचपन से हर हिन्दू घर में बच्चे को यह सिखाया जाता है कि मुसलमान क्रूर होतें हैं और वे किसी की भी जान लेने में नहीं हिचकते। इसके विपरीत हिन्दू तो बडे क़ोमल हृदय का होता है और उसके लिये चींटी की भी जान लेना मुश्किल होता है।

अक्सर आम हिन्दू आपको यह कहते हुए मिलेगा कि अरे साहब ! हिन्दू घर में तो आपको सब्जी काटने की छूरी के अलावा कोई हथियार नहीं मिलेगा। आम हिन्दू का मानना है। कि आमतौर पर मुसलमान अपने घरों में हथियारों का जखीरा रखतें हैं। यही वजह है कि आम हिन्दू को दंगों में मरने वालों के सरकारी आंकडे भी अविश्वसनीय लगतें हैं। दूसरी ओर कोई भी सरकार आंकडों को इस ढंग से पेश करना नही चाहेगी। जिससे आम लोगों के बीच मे यह धारणा बने कि देश में अल्पसंख्यक असुरक्षित है।

Tuesday, November 27, 2012

Top 5 Best Free Windows Virtual Desktop Software

Presented to you from ▐ http://www.facebook.com/egyan4u

Top 5 Best Free Windows Virtual Desktop Software

By: www.eguru24x7.wordpress.com

 

Many people have become accustomed to multitasking and doing it on the computer can be quite challenging if you have a lot of several programs open and not enough screen space to accommodate all of them. Fortunately, the emergence of virtual desktops has changed all that. With virtual desktops, you now have the capability to create multiple versions of your desktop where you can run different programs and switch easily among them. For your convenience, we have reviewed and prepared a list of FREE Top 7 Windows Virtual Desktop Software.

1. Dexpot

A Free virtual desktop software for windows that allow up to 20 possible desktops with a well-organized interface that will make switching among desktops easier and hassle-free. You can configure each virtual desktop according to your need, such as web surfing and email on desktop 1, office programs on #2 and so on.

2. GiMeSpace Free Edition

A small and simple virtual desktop manager for Windows XP or later versions that will allow you to expand your desktop without limits and add more monitors to your computer. It is a simple and effective way to create the desktop space you need.

3. Virtual Dimension

Another free virtual Desktop manager with a more minimalist and straightforward approach. It is easy to install, configure and use with a simple and user-friendly interface.

4. 360Desktop

360desktop will give you an unlimited desktop space and transforms your standard windows desktop into a 360-degree panoramic workspace. It also has a windows taskbar icon that provides a context menu for customizing options. You also get an attractive desktop with custom widgets.

5. VirtuaWin

VirtuaWin is another Windows virtual desktop manager that is free to use and has a simple interface; it provides several customizations for navigation, organization and various workarounds;

Sunday, November 25, 2012

एसएमएस से सऊदी अरब में औरतों की जासूसी

एसएमएस से सऊदी अरब में औरतों की जासूसी

शनिवार, 24 नवंबर, 2012 को 10:44 IST तक के समाचारसऊदी महिलाएं


सऊदी अरब के रुढ़िवादी समाज में महिलाओं पर काफ़ी पाबंदियों हैं.

सऊदी अरब के पुरुषों को उनके परिवार की महिलाओं की गतिविधियों के बारे में मोबाइल फोन पर मेसेज के ज़रिए लगातार जानकारियां हासिल हो रही हैं.

ये एसएमएस आमतौर पर महिलाओं के देश से कहीं बाहर जाने पर मिलते हैं.

इस तरह के मोबाइल संदेशों की सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर काफ़ी आलोचना हो रही है.

ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक संदेश में लिखा है , ''हेलो तालिबान आपके लिए सऊदी अरब के ई-गर्वमेंट ने कुछ टिप्स दिए हैं."

जबकि एक दूसरे पोस्ट में लिखा है कि अब हमें अपनी महिलाओं पर नज़र रखने के लिए माईक्रो-चिप्स का इस्तेमाल करना चाहिए.

इस सेवा की तरफ लोगों का ध्यान तब गया जब अपनी पत्नी के साथ विदेश यात्रा पर जा रहे उसके शौहर को रियाद एयरपोर्ट छोड़ने के तुरंत बाद ऐसा ही एक एसएमएस भेजा गया.

'ग़लत औरत से की शादी ..'

सऊदी अरब में महिलाओं को बिना किसी क़रीबी पुरुष रिश्तेदार के सफ़र करने या गाड़ी चलाने की मनाही है.

इससे पहले एसएमएस सेवा की सुविधा सऊदी अरब के उन पुरुष नागरिकों को दी जाती थी जो इसकी मांग करते थे. ऐसे लोगों को उनकी पत्नियों या परिवार की अन्य महिलाओं के देश से बाहर जाने पर 'अलर्ट मेसेज' मिलते थे.

लेकिन फ़िलहाल ये मैसेज वैसे लोगों को भी मिल रहे हैं जिन्होंने इसकी मांग नहीं की है.

"अगर मुझे अपनी पत्नी के देश से बाहर जाने के जानकारी पाने के लिए एसएमएस की ज़रुरत पड़ती है तो या तो मैंने ग़लत औरत से शादी की है या फिर मुझे एक मनोवैज्ञानिक की ज़रुरत है"

ट्विटर पर कमेंट

ट्विटर पर सक्रिय कुछ लोगों ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसका मज़ाक उड़ाया है. इनमें से कुछ ने तो महिलाओं की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए उनके शरीर पर माइक्रो-चिप्स और पांव में ब्रेस्लेट डालने तक की सलाह दे डाली है.

एक अन्य ट्वीट में कहा गया है, ''अगर मुझे अपनी पत्नी के देश से बाहर जाने के जानकारी पाने के लिए एसएमएस की ज़रुरत पड़ती है तो या तो मैंने ग़लत औरत से शादी की है या फिर मुझे एक मनोवैज्ञानिक की ज़रुरत है.''

सुधार की कोशिश

इस टेक्सट अलर्ट मेसेज की शुरुआत पिछले साल सऊदी हुकूमत के ज़रिए इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट सेवा लागू करने के बाद शुरू की गई है.

सरकार की दलील है कि ई-पासपोर्ट के ज़रिए नागरिकों को अपनी यात्रा संबंधी ज़रुरतों में मदद मिलती है. जिससे उन्हें पासपोर्ट दफ्तर जाने की ज़रुरत नहीं होती.

सऊदी अरब एक बेहद रुढ़ीवादी देश है. हालांकि वहां के राजा किंग अब्दुल्लाह ने पिछले कुछ समय में वहां काफी सुधार लाने की कोशिश कर रहे हैं.

सितंबर 2011 में उन्होंने सऊदी महिलाओं को मतदान करने और स्थानीय निकाय चुनावों में खड़े होने का अधिकार भी दिया था.

Thursday, November 22, 2012

एनएसजी कमांडोज़ के साथ नाइंसाफी की गई: केजरीवाल - IAC exposes 'injustice' with NSG commandos - Navbharat Times

एनएसजी कमांडोज़ के साथ नाइंसाफी की गई: केजरीवाल - IAC exposes 'injustice' with NSG commandos - Navbharat Times

ये जो केजरीवाल हर चार दिन बाद डमरु बजाने लगता है,इससे इसकी छीछालेदर होनी निशचित है|इसका गुरु तो यादव बाबाकै मंदिर मै छिप गया है|
सहमत(0)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
ARUN THE GREAT, BILASPUR का कहना है :
22/11/2012 at 06:41 PM
इसे बोलते है- चॉबे गये च्चब्बे होने दुबे होकर आये/ कांग्रेस की होसियरी धरी की धरी रह गयी / मौका देखकर फ़ासी दिया था(जिसमे थोड़ा सक है) , केजरीवाल ने भी मौका देखकर कांग्रेस को नंगा कर दिया.
सहमत(10)असहमत(1)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
swaraj shiv, noida का कहना है :
22/11/2012 at 05:23 PM
मा कसम अब तो मनीस माफी मांगे तो भी नहीं मिले? सारे मीडिया वालों से आपिल करता हूं के इस मामले मे न्याय करा देना. रोने को होता है दिल.
सहमत(11)असहमत(0)बढ़िया(7)आपत्तिजनक
Rakesh Gaur, Mumbai का कहना है :
22/11/2012 at 05:00 PM
अपनी अंतिम बात कह कर में अपनी बात पूरी करूंगा कृपया मेरे तीनों कमेन्ट एक साथ पढ़े. भूतपूर्व सैनिकों के साथ सबसे बड़ा अन्याय तो श्री केपी सिंह देवजी की अध्यक्षता में 1985 गठित हाईपावर कमेटी ने की थी. आज जरूरत तो इस बात की है कि केजरीवाल उसे पढ़ें और उस पर सरकार से प्रश्न करें. आज जरूरत उस बात की है कि पूर्व सैनिकों की समस्याओं का पुन: आकलन किया जाये व उनकी समस्याओं दूर किया जाये. फिर से एक हाईपावर कमेटी बने जिसमें बहुमत पूर्व सनीकों और सैनिक अधिकारियों का हो.हमारी सरकारों को तो सेम रैंक सेम पेंशन देने में ही उल्टियाँ आ रही थी अब जाकर उसे किसी हद तक पूरा किया है पूरी तरह से अब भी नहीं. यह कोई अकेली समस्या नहीं है और बहुत कुछ है जो देश के भूतपूर्व सैनिक झेल रहे हें. सबक निराकर्ण कर उनके सम्मान की पुनर्स्थापना होनी ही चाहिये.
सहमत(4)असहमत(2)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
RAHUL AGARWAL, MUMBAI का कहना है :
22/11/2012 at 04:58 PM
kejriwal ne is desh ki aam janta ko ek aavaz di hai, kaise ye neta aur afar milkar is desh ko lut rahe hai. kab tak ie desh ki janta is corrupt system ko bardash karegi??????? lagta hai abhi gandhivadi tariko se kam nahi chalega, bhagat sing wale tariko ko hi apna ne ka time aa gaya hai
सहमत(4)असहमत(1)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
BHARAT WASI, BHARAT DESH का कहना है :
22/11/2012 at 04:48 PM
जगह की कमी से पूरी राय नही लिख सका जिश तरह से सरकार के चापलुष मनीष तिवारी ने सुरीण्देर सिंह को 31 लाख रूपिए देने की बात कही और जो इन्होने आरोप लगाया क्या मेल खाता है अगर इनको दिया तब सरकार ने कोई एहसान नही किया क्योकि सुरक्षा के सभी जवान और अधिकारी अपना जीवन दाब पर लगते है बल्कि एन एस जी के जवान इन नेताओ की सुरक्षा करते है जबकि जनता कल की मरती हो आज मर जाये नेताओ को उनसे क्या लेना देना वो सिर्फ चुनाव के समय इनके बाप लगते है बाद में गाली का कुत्ता मानते है जबकि इन सबने हरम की कमाई में कसर नही छोड़ी क्या मनीष तिवारी बता सकते है की नेता कौन सा है जिहसने हरम की कमाई 31 लाख से ज्यादा नही की हो क्या उहसका जीवन दाब पर इनकी तरह लगा. आज जनता को जागना चाहिये अगर नेताओ की सुरक्षा कम नही करते तब सरकार से पूछे की मा गोलिया खाये और और मलाई के साथ सुरक्षा पूरी ले तब क्या वोटो और टॅक्स को देना सही है. जनता सिर्फ अपने लिये सोचे और नेताओ पर कभी भरोषा नही करे अगर जनता धरम - जाती - प्रदेश को छोड़ साथ खड़े ह
सहमत(10)असहमत(0)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
Nomoron, delhi का कहना है :
22/11/2012 at 04:47 PM
सेना मे हर तरफ भ्रष्टाचार ब्याप्‍त है. सारे अफसर पैसा बनाने मे लगे रहते हैं
सहमत(7)असहमत(0)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
SURYA KUMAR , DELHI का कहना है :
22/11/2012 at 04:44 PM
मैरेय हिसाब से अब वक्त आ गया है की हमरेय संविधान में आमूलचूल परिवर्तन करना जरूरी है ओर एह तभी संभव है की जब रामदेव ओर केजरीवाल जैसेय लोग सत्ता में आये! क्यौं की जब तक यॅ कांग्रेस की सरकार रहेगी ए लोग अपनेय को बचने के लिये कभी भी संविधान मे ना तो परिवर्तन करेंगे ना करणेय देंगे इश्स लीएय आब तो जागो ओर सत्ता परिवर्तन करो!बिना संविधान परिवर्तन किये लालू ओर भ्रष्ट नेता ऐसेय है बचतेय रहेंगे!
सहमत(7)असहमत(1)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
Rakesh Gaur, Mumbai का कहना है :
22/11/2012 at 04:41 PM
पिछलाकमेन्ट स्थानाभाव के कारण पूरा नहीं करसका.यह सही है कि हमारे देश में क्या नागरिक और क्या सरकार देश के जाँबाजों को पूरा सम्मान नहीं देते.उसका एकमात्र कारण यहहै कि सेना से सम्बंधित नियम कानून बनाने वाले सब सिविलअधिकारी होते हें,अधिकतर सैनिक अधिकारी केवल सहमति देते हें,जिसके लिये वे अपने स्वार्थों के चलते बाध्य समझते हें.पर यह भी सही है कि केजरीवाल जैसे धंधेबाज एक सैनिक को गुमराह कर अपनी दुकान चमकाने के लिये उपयोग तो कर सकते हें न्याय नहीं दिला सकते.उनको इसमुद्दे का लाभ मिलने के बाद अगलामुद्दा पकडना है और उसका लाभ अपनी राजनीति के लिये उठाना है.एक खुलादुश्मन कहीं अच्छा है एक छुपेहुए बनावटी दोस्त से.देश की जनता को केजरीवाल&कम्पनी पर पूरी नजर रखनी चाहिये इन पर भरोसा करने से पहले,इनको देशकी राजनीतिका अंतिमखुदा मत समझ लो और ना ही यह पहलेखुदा हें.में खुद एक पूर्वसैनिक हूँ और एक सैनिक का दर्द केजरीवाल से कहीं ज्यादा समझ सकता हूँ.इस मुद्देकी नुमायश करके केजरीवाल&कम्पनी मेरी निगाहोसे गिर गयी है.
सहमत(1)असहमत(5)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(Rakesh Gaur को जवाब)
J.S.RAWAT, GUJARAT का कहना है :
22/11/2012 at 06:01 PM
गौर जी हम आपकी बात से बिल्कुल इतफाक नही रखते है.. अगर कोई देश और जनता के हित में आवाज उठा रहा है तो इसमे राजनीति कहा से आ गई.. और किसी को इसका राजनीतिक फायदा भी होता तो भी क्या गलत है... यही इस देश का दुर्भाग्य है कि अगर कोई बुराई के खिलाफ आवाज़ उठाता तो जनता साथ देने के वजाय उसकी आलोचना करते है और इसी का फायदा ए चोर और भ्रष्ट राजनेता उठा रहे है..केजरीवाल की हिम्मत को सलाम... जो देश की जनता को भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूक कर र्हे है...आखिर लोकतंत्र में जनता को ही फैसला करना है...
सहमत(4)असहमत(0)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
(J.S.RAWAT को जवाब)
Rakesh Gaur, Mumbai का कहना है :
22/11/2012 at 07:48 PM
रावतजी आपकी बात सही हो सकती है आपमेरी बत से इत्तेफाक रखें या ना रखें आपका अधिकार है. पर सच यह भी है की किसी पेड़ के पत्तों को चमकाते हुए आगे बढते जाने से बगीचा नहीं सुधरेगा. इस बगीचे के पौधों को पूरी देखभाल और खाद पानी देना होगा, साथ ही खरपतवार को उखाड फेंकना होगा. अगर केजरीवाल में यह करने का दम है तो बहुत ठीक नहीं तो पत्ते चमकाते-चमकाते वे चमक सकते हें बगीचा नहीं. पूर्वसैनिकों की समस्याओं के निदान केपीसिंह देव कमेटी की रिपोर्ट पढ़े बिना नहीं निकलेंगे. यह काम बिना तामझाम और बिना तमाशे के किया जाता तो अच्छा होता. केजरीवाल बताएंगे की उन्होने सुरेन्द्र के लिये इस नाटक से पहले क्या-क्या किया? कृपया वे अपनेराजनैतिक नाटकों का पात्र सैनिकों को ना बनाएं वे उनकेलिये कुछ करें या ना करें यह उनपर निर्भर है. वे अपने नाटकों के पत्र राजनैटिकों तक ही सीमित रखें. वे जो सेना के विषय में कर रहे हें वह भ्रष्टाचार के खिलफ् आवाज नहीं है, वह अपनी दुकान चमकना है और कुछ नहीं.
सहमत(0)असहमत(3)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(Rakesh Gaur को जवाब)
J.S.RAWAT, GUJARAT का कहना है :
22/11/2012 at 08:23 PM
गौर जी क्या इस देश से भ्रष्टाचार मिटाने का काम अकेले केजरीवाल जी का ? क्या केवल व़े ही भ्रष्टाचार के लिये लडेंगे ? हम सबको मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहिये यह हर जागरूक नागरिक का इस देश के प्रति फ़र्ज़ और कर्तव्य है. यंहा बात सेना और सिविल की नही है यंहा बात पूरे देश की है और पूरे देश के अंदर कही भी किसी भी जगर भ्रष्टाचार हो उसका जम कर विरोध होना चाहिये..आज़ाद भारत में पहली बार भ्रष्टाचार के खिलाफ इतने प्रभावशाली लड़ाई लड़ी जा रही है उसके लिये हम सबको केजरीवाल का धन्यवाद देना चाहिये और समर्थन भी करना चाहिये.. जो देश और जनता के हित के लिये लड़ेगा जनता अवश्य उसका साथ देगी.. इस बगीचे रूपी देश की देखभाल करना हर देशभक्त का क्रतव्य है न की अकेले केजरीवाल जी का ? केजरीवाल तो अपना क्रतव्य जनता को जागरूक करके निभा रहे है अब जनता को भी अपना क्रतव्य निभाना चाहिये तभी देश से भ्रष्टाचार खत्म हो सकता है... बाकी लोकतंत्र में हर किसी को अपने बात रखने का अधिकार है और यही तो सही लोकतंत्र है..केजरीवाल जी से कुछ लोग असहमत हो सकते है लेकिन उनको नजरअंदाज़ नही किया जा सकता है देश और जनता के हित का सवाल है.... धन्यवाद.. जय हिन्द.. जय भारत
सहमत(1)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(J.S.RAWAT को जवाब)
Rakesh Gaur, Mumbai का कहना है :
22/11/2012 at 10:12 PM
जी हाँ यह सही है कि देश से भ्रष्टाचार मिटाने की जिम्मेदारी सारे देश की है, अकेले केजरीवाल की नहीं. पर आपकी इस बत से में सहमत नहीं हूँ की वे एक गंभीर व प्रभावशाली प्रयास कर रहे हें भ्रष्टाचार मिटाने का. गंभीर लोग नाटक नहीं करते काम करते हें. ना ही इस बात से सहमत हूँ की वे जनता को जागरूक कर रहे हें. वे अपनी लड़ाई इस राजनीति के मैदान में आगे बढने की लड रहे हें औए एक बाइप्रोडक्ट के रूप में जनता जागरूक हो रही है इसका ध्न्यवाद तो उनको देना पड़ेगा ही. आने वाला समय बतायेगा की वे अपन कारवां कहाँ के लिये लेकर चले थे और कहाँ पहुंचे? या देश उनकी क्या मंजिल सोचता था और वे कहाँ पहुंचे? अगर वे वहीं पर जाकर बैठते हें जहां यह देश उनको बैठे देखना चाहता था, उनको सलाम करने वाले लोगों में मैं अवश्य शामिल होऊंगा. पर उनको सलाम करने की अंधी दौड़ में शामिल होने की जगह में अभी प्रतीक्षा करना बेहतर मानता हूँ.
सहमत(1)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
BHARAT WASI, BHARAT DESH का कहना है :
22/11/2012 at 04:37 PM
राजनीति नेताओ की सरकार का होना देश के लिये अब अभिशाप बन गया इनकी नियत इतनी गंदी होती है अगर कोई मुर्दा इनके सामने आये तब उष्के जेबो की तलासी खुद ले कही उपेर जाते समय अपने साथ नोट लेकर् नही जा रहा जबकि नोटो को हरम से कमाई करने का धरम इन नेताओ का है इस नियत के नेता कैसे सेना और जो देश की क़ुर्बानी के लिये जीवन का बलिदान करते है उनके हो सकते हैं . फेलए सेना प्रमुख ने सेना के घोटाला का टेप सबके सामने रखा क्या असर हुआ बल्कि उनको यातना दी. कई समाचारो में पड़ा की घटिया माल अपना कमिशन लेने के बाद खरीदा जाता है यानी सेना का जवान अपने जीवना को खोदे लेकिन इनकी जेबो मियान नोटो को आना चाहिये बल्कि आज जितने घोआतालो को किया उष्को देशकते हुए आज की सरकार को घोटाला सरकार केहना चाहिये देह की सुरक्षा की भावना ना होने के करण प्रधान मंत्री ने अपने सरकार प्रमुख के आदेश के पालन करते हुए अनपढ की तरह समझोता पर साइन किये और परमाणु हाथियारो की जगह बताई क्या वो सोनियाजी के साथ इटली से आकेर नागरिकता लि. शरम नही आती
सहमत(3)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
Manil Barthwal, Roorkee का कहना है :
22/11/2012 at 04:35 PM
पूरा मुल्क करप्शन की जद मॅ हॅ फिर सेना ईससॅ कैसा बच पायगी
सहमत(5)असहमत(0)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
Dukhi-Aatma, 72virgins का कहना है :
22/11/2012 at 04:29 PM
गलती मनीष तिवारी की नहीं, मनीष तिवारी जैसे लोगो को प्रोमोट करने वाले समाज की है। कमांडो सुरेन्द्र सिंह कहता है कि जिस 31 लाख देने की बात यह कर रहे है वह 11 घायल कमांडो को दिया गया था जिसमे से उसके हिस्से सिर्फ 2.50 लाख रूपये आये। इसका मतलब मनीष तिवारी एक मंत्री की हैसियत से देश को गुमराह कर रहे है। कमांडो सुरेन्द्र सिंह का यह भी दावा है कि उन्हें कोई पेंशन नही दी गई है जबकि मनीष तिवारी कहते है कि सरकार उन्हें 25000/- रूपये महीने दे रही है। यहाँ भी इसका मतलब ये झूट बोल रहे है, यदि यह बात सच है तो इसकी इन्हें क्या सजा मिलनी चाहिए यह कौन निर्धारित करेगा ? कसाब पर ए 35 करोड़ रुपये खर्च कर गये और जिसने देश रख्शा के लिये जान जोखिम मे डाली पह इस तरह भटक रहा है..................वाह रे मेरे देश !!!!!!
सहमत(16)असहमत(1)बढ़िया(9)आपत्तिजनक
(Dukhi-Aatma को जवाब)
nardev sharma, melbourne का कहना है :
23/11/2012 at 12:29 AM
LET THERE B IMPARTIAL ENQUIRY ON WA T THE MINISTER SAYS & WAT THE VICTIM COMMANDO SAYS THE ONE WHO IS LYING SHOULD GET EXAMPLARY PUNISHMENT! IT SHOULD NOT B DIFFICULT TO FIND THE TRUTH! ! MATTER IS VERY SERIOUS>HIGH LEVEL JUDICIAL ENQUIRY SHOULD B ORDERED>WHEN WE HAV A DEFENWHY MABISH TIWARI SHOULD REPLY??TREATMENT OF KASAB IS KNOWN BUT WHETHER THE COMMANDOS GOT WAT THEY DESEVERED??!
सहमत(0)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(Dukhi-Aatma को जवाब)
Rakesh Gaur, Mumbai का कहना है :
22/11/2012 at 04:48 PM
दुखी आत्माजी यदि आपकी जानकारी सही है तो यह भी जान लो किमनीष तिवारी पेशेवर गुमराह करने वाले गैंग के सदस्य हें अपनी इस काबिलयत के बूते यह गैंग 60 साल से हमारा घोड़ा बना कर सवारी गांठ रहा हें. इनकी झूठ बोलने व मूर्ख बना सकने की क्षमता अनन्त है और हमारी मूर्ख बन जाने की क्षमता भी अनन्त ही है.
सहमत(7)असहमत(0)बढ़िया(5)आपत्तिजनक
Indian, pune का कहना है :
22/11/2012 at 04:27 PM
लानत है, भ्रस्टाचार की सारी हदे पार कर दी गयी! कोन इन सेनिको को न्याय दिलवायेगा! दिग्गी बोलेगा श्री मान कसाब जी की आत्मा को सांती दे जेय भारत
सहमत(9)असहमत(0)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
dks, Kanpur का कहना है :
22/11/2012 at 04:26 PM
नेता 5 साल मे पेन्षन पाता है सैनिक 15 साल मे क्यो ????????? एक्स सर्वीस्मॅन
सहमत(13)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
rock indean, INDEAN HARD का कहना है :
22/11/2012 at 04:25 PM
सरकार से पूछनना है की कसाब के उप्पर क्ररोरो रुपपे खर्च कर दिया केया वेह सरकार का जवाई था ओर जो अपनने देश का बच्चा उससे फ्रॉड कर रहे हो यांनी हम सुब समझे की सरकार में जीतने नेता बेठे है सुब अतंकबादी है इन सब के सात भी वोही होँणा चहेया जो कसाब के सात होआ
सहमत(4)असहमत(0)बढ़िया(1)आपत्तिजनक
(rock indean को जवाब)
Indian, pune का कहना है :
22/11/2012 at 04:42 PM
इस देश के 2 जवाई ! एक कसाब जिसको लटका दिया दूसरा रॉबर्ट वाड्रा जो क्भी लटकेगा नही
सहमत(4)असहमत(0)बढ़िया(1)आपत्तिजनक
indian, haryana का कहना है :
22/11/2012 at 04:24 PM
यही है कांग्रेस महान.
सहमत(6)असहमत(0)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
Ashok Yadav, Delhi का कहना है :
22/11/2012 at 04:23 PM
उस समयसेना का मुख्य ऑफीसर कोन था. - जनरल वी के सिंह
सहमत(3)असहमत(0)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
Rakesh Gaur, Mumbai का कहना है :
22/11/2012 at 04:22 PM
सुरेन्द्र सिंह के बयान में विरोधाभास है,जैसे उनका यह कहना की ताजहमले के दौरान वे घायल हुए और उनके दोनों कानों के सुनने की शक्ति जाती रही फिर वे कहते हें कि भ्रष्टाचार उजागर करने के करण उन्हे जबरन सेवा निवृत कर दिया गया.यदि वे सुनने की शक्ति खो बैठेथे तो सेना की नौकरी शारीरिक अक्षमता के करण छोड़नी ही पड़ेगी.यह अवश्य है कि उन्हें नियमानुसार सारे लाभ मिलने चाहिये थे.सरकार कह रहीहै की 31 लाख रुपये दिये और वे कहते हें 4 लाख मिले,यह तो ऐसा विषय है जिसकी पुष्टि तुरंत हो सकती है,वे कहते हें कि उन्हें पेंशन नहीं मिलती पर सरकार कहती है कि उन्हें 25,254 प्रतिमाह पेंशन मिलती है.यदि वे स्वयं सेना से बाहर नहीं आये और शारीरिक अक्षमता के कारण सेना ने निवृत्त किया है तो उनको सेवापेंशन के साथ मेडिकलपेंशन भी मिलेगी.हमारे देश की लालफीताशाही के कारण पेंशन मिलने में काफी समय लगता है अगर 13 महीने उन्हें हो चुकेहें तो पेंशन शीघ्र ही शुरु होनी चाहिये. जहां तक सेना में भ्रष्टाचार का प्रश्न है वो सिविल से कम नहीं.
सहमत(5)असहमत(0)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
abc, abc का कहना है :
22/11/2012 at 04:08 PM
इन सालो को गोली मार दो,जो देश के बाहदुर फोजी का पैसा खा गये, सालो डूब मरो
सहमत(23)असहमत(1)बढ़िया(12)आपत्तिजनक
(abc को जवाब)
Narender Mochi, Ahmedabad Gujarat का कहना है :
22/11/2012 at 04:36 PM
हम भारतीय केवल इस नशे में क्यों रहते हैं "सालो को गोली मार दो". जैसे ही कोई बात खबरों से उजागर होती है लोग एकदम गोली मारने की बात करते हैं ना की यह "कानून अपना फ़र्ज़ निभाएगा"!
सहमत(2)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(abc को जवाब)
Prabha Kant, Delhi का कहना है :
22/11/2012 at 04:30 PM
sabse pahle apko aur arvind kejriwal ko goli maar do jo haar baat mai rajniti karte hai abi rajnitig bane nahi hai par rajnitigo wale sare chochle apnane lage hai ye fauji ab tak chup kyon tha jaise hi kasab ko faasi mili ye a gaya apna dard byan karne agar ye sach bol raha hai to court kyon nahi jata akhir court ne hi to kasab ko faasi ki saja di ti arvind ji aap itne niche na giro kuch to apne aap par sharm karo
सहमत(0)असहमत(5)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
PAWAN, DELHI का कहना है :
22/11/2012 at 04:07 PM
I REQUEST ALL NSG COMMONDOS TO STOP GURADING THESE CONGRESSSE LEADERS AND LET THEM LEAVE AT THE MERCY OF TERRORISTS
सहमत(13)असहमत(3)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
zamin ali rizvi, lucknow का कहना है :
22/11/2012 at 04:05 PM
जब तक चोर और डाकू अनपड नेता मंत्री बनकर संसद है रहेंगे तक तक ऐसा ही होगा ऐ हिन्दुस्तानी लोगो अब तो नींद से जागो कब तक देश को इन भेड़िओं से लुटवाते रहो गे
सहमत(29)असहमत(0)बढ़िया(14)आपत्तिजनक
k p thapliyal, panipat का कहना है :
22/11/2012 at 04:05 PM
मुजे बी एसा लोगो से नफरत अत्ती हा जो अपनी जवानो की एज़त नही करती देस वालो अब वक़्त आ गया हा इसे गदर्रो नेता ग़द्‌र पार्टी को देश से बगवाओ जाई हिन्द
सहमत(11)असहमत(1)बढ़िया(5)आपत्तिजनक
sanktha, delhi का कहना है :
22/11/2012 at 04:04 PM
कांग्रेस सरकार बेशर्मी की सारी हदे पार कर चुकी हैं...कसाब की सात इन भ्रष्टा नेताओं को भी सूली पर चढ़ा देना चाहिये..यही सकचा न्याय होगा...जिन एन एस जी कमांडो ने जान पर खेलकर देश की रक्षा की उनका पैसा भी डकार गयी ए सरकार...ए घोटालों की सरकार हैं...इन्हे हटाओ देश बचाओ...
सहमत(15)असहमत(2)बढ़िया(10)आपत्तिजनक
patel harshad, silvassa का कहना है :
22/11/2012 at 03:55 PM
हो रह़ा हे भारत निर्माण , हो रहा है भारत निर्माण या हो रहा है कॉंग्रेश निर्माण ............???????????????????????????????
सहमत(23)असहमत(2)बढ़िया(11)आपत्तिजनक
arun kumar, ncr का कहना है :
22/11/2012 at 03:47 PM
कांग्रेस का पतन निकट है यह सब कारगुजारिया एक संवेदनहीन ,महा झूटी,महा मक्कार,महा चोर सरकार होने का प्रमाण है केजरीवाल जी को धन्यबाद उन्होने इस सरकार को हर मोर्चे पर नंगा किया है 2014 मे हम मे से कोई भी कांग्रेस को कभी भी वोट नही करेगा इनका हाल होगा ज़ीरो वोट= ज़ीरो सीट
सहमत(53)असहमत(3)बढ़िया(28)आपत्तिजनक
vijay, lucknow का कहना है :
22/11/2012 at 03:40 PM
क्या सेना ने मनीष तिवारी को पहले ही जानकारी दे दी की सुरेन्द्र को 31 लाख दिये गये हैं और सुरेन्द्रा को इसकी जानकारी नहीं दी? ऐसा लगता है की सुरेन्द्र के नाम पर यह पैसा मनीष तिवारी खा गया है.
सहमत(67)असहमत(1)बढ़िया(30)आपत्तिजनक
Ram Sattan Singh, Azamgarh का कहना है :
22/11/2012 at 03:39 PM
हिन्दुस्तान के एक बहादुर सैनिक का हक खाने , इसकी वीरता और शौर्य का मजाक उड़ा इन कांग्रेसियों और नौकर शाहों ने देश के साथ गद्दारी की है. सही कहा है इन वतन के गद्दारों के लिये ,,,, जमी बेंच देंगे, गगन बेंच देंगे...ऐसो आराम के लिये वतन बेंच देंगे... इज्जत क्या चीज है, पैसों के लिये ए अपनी माँ- बहन बेंच देंगे... मनीष तिवारी जैसे धूर्त मंत्री की बातों पर यकीन करना जैसे गधे के सिर् पर सींग उगने के बराबर है. अब हम कैसे कहें कि एक आम आदमी एक स्वतंत्र और सुखी है? जो लोग जाग कर , अपनी नीद खो कर हमारी नीद की रक्षा करते है वतन की रक्षा करते है, वो आज दुखी और परेशान है. धिक्कार है ऐसी सरकार पर और ऐसे अफसरों पर जो देश के लहू से अपने घरों के दिये जलाते हैं.
सहमत(44)असहमत(3)बढ़िया(13)आपत्तिजनक
(Ram Sattan Singh को जवाब)
Sachin Tanwar, Basai Dara Pur का कहना है :
22/11/2012 at 04:14 PM
लगता है इस बहादुर कॉमंडो के पैसे को सलमान खुर्शीद जैसे बैमान लोगो नेय खा लिया है
सहमत(8)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
Sanjeet, Delhi का कहना है :
22/11/2012 at 03:35 PM
एक और खुलासा| मान गये केजरीवाल को| खुलासों का राजा है केजरीवाल पर कोई भी खुलसस किसी को सजा न्हैं दिलवा सका ना ही किसी को उसका हक मिला|
सहमत(24)असहमत(15)बढ़िया(8)आपत्तिजनक
(Sanjeet को जवाब)
qmr, noida का कहना है :
22/11/2012 at 04:12 PM
यार संजीत केजरीवाल तब सजा दिला पायेगा जब उसको हम सब साथ देंगे, मतलब उसको वोट करेगे,..
सहमत(9)असहमत(1)बढ़िया(5)आपत्तिजनक
(qmr को जवाब)
Sanjeet, Delhi का कहना है :
22/11/2012 at 08:30 PM
क्या केजरीवाल सभी सबूतों के साथ कोर्ट नहीं जा सकते| ए सिर्फ राजनीति हो रही है| पेहले कांग्रेस, फिर ब्ज्प और अब केजरीवाल| सब कुर्सी की ताक़त चाहते हैं बस| केजरीवाल कभी न्हैं चाहते की भ्रष्टाचार्र कहातम हो वर्ना ए मुद्दा भी हाथ से निकल जायेगा| साथ तो हमेशा है उनके साथ पर रिज़ल्ट हमेशा ज़ीरो है| केजरीवाल से एक बार पूछा गया की नौकरी क्यों छोररी तो जवाब था मुझे पवर चाहिये बस|
सहमत(0)असहमत(1)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(Sanjeet को जवाब)
Ram Sattan Singh, Azamgarh का कहना है :
22/11/2012 at 03:58 PM
जब चोर ही न्याय की गद्दी पर बैठा हो तो क्या उम्मीद कर सकतें है?
सहमत(24)असहमत(2)बढ़िया(9)आपत्तिजनक
dabangg, delhi का कहना है :
22/11/2012 at 03:32 PM
पूरे देश मे कर्रेक्प्षन है इसके लिये सभी राजनीतिक पार्टिया जिम्मेदार है... एक बार अरबिंद केजरीवाल को भी चान्स दिया जाये क्या पता कुछ भला हो इश देश का...
सहमत(44)असहमत(7)बढ़िया(25)आपत्तिजनक
SiR, Mumbai का कहना है :
22/11/2012 at 03:31 PM
साए कांग्रेस के सारे नेता चोर ही नही बल्के महा चोर है. घपले बाज
सहमत(26)असहमत(2)बढ़िया(13)आपत्तिजनक
satya, delhi का कहना है :
22/11/2012 at 03:27 PM
जब खुर्शीद पर 71 लाख रुपये का आरोप लगा तब बेनी प्रसाद ने कहा की 71 लाख एक नेता के लिये कोई बड़ी बात नही है ओर जब एक कमांडो अपनी जन हटेली मे रख कर देश के लिये लड़ता है तो कहतो हो की उसको 31 लाख दे दिये वा भई वा तुम बिना मेहनत के 71 लाख ड्कार जायो ओर जिसने अपनी जिंदगी के 14 साल देश की सेवा मे लगा दिये उसे ठ न ठ न गोपाल ??????आज व़ह अपन्ग हो गया शायद खुर्शीद का ट्रस्ट उसकी मदद करे... ह्हहहहहहहहहह्ह
सहमत(49)असहमत(1)बढ़िया(24)आपत्तिजनक
amit chaudhary, ghartholi Baijnath का कहना है :
22/11/2012 at 03:27 PM
हमारी सरकार चोर है
सहमत(34)असहमत(2)बढ़िया(17)आपत्तिजनक
Om, Delhi का कहना है :
22/11/2012 at 03:24 PM
ए कॉंग्रेससी तो सिर्फ अमुका देख ते है पैसा खाने का ... शेर्म् नम की चीज़ बिलजूम नही बची है. और ए रक्षा से जुड़ा मामला है एह मनीष तिवारी के सफाई देना का क्या मतलब ? ए वो ही तिवारी है जिस ने अन्ना को भला बुरा कहा और आन्दोलन को हवा दी. लगता है कॉंग्रेससी नया डूबा ने का जिम्मा इस ने अपने खंडो पर लिया है. इसलिये तो मंत्रीपद के रूप मे इस को बक्शीश दी गयी.
सहमत(24)असहमत(1)बढ़िया(12)आपत्तिजनक
Vishweshwar, Ahmedabad, India का कहना है :
22/11/2012 at 03:24 PM
यदि कोई पॉलिटीशियन एक दिन के लिये संसद मे चूना जाये तो वह पेंशन का हकदार होगा | और कोई सोल्जर को इसके लिये 15 वर्ष की सर्विस करना अनिवार्य है| अंधेर नगरी चोपट .......
सहमत(56)असहमत(1)बढ़िया(27)आपत्तिजनक
(Vishweshwar को जवाब)
shiva, Agra का कहना है :
22/11/2012 at 04:12 PM
जब तक चोर कांग्रेस रहेगी यही सब होता रहेगा
सहमत(7)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
alok, delhi का कहना है :
22/11/2012 at 03:17 PM
सचमुच यह खबर बहुत अफसोस जनक व विशवास तोडने वाली है|अपने ही भाईयो कॉ धोखा?
सहमत(58)असहमत(1)बढ़िया(26)आपत्तिजनक
S K V, MUMBAI का कहना है :
22/11/2012 at 03:16 PM
भारत निर्माण का सपना बुना कांग्रेस ने घोटाले किये कई गुना
सहमत(45)असहमत(2)बढ़िया(25)आपत्तिजनक
soniamanmohangandhi, delhi का कहना है :
22/11/2012 at 03:12 PM
आज़ाद देश के गुलाम नागरिकों को नमन ! हमने तो हरयाणा मे रॅप करवाना सुरु कर दिया ऐसा भ्रष्टतंत्र इस देश मे आ गया है, की लोकतंत्र ने लाज के मारे ख़ुदकुशी करने की ठान ली है? ठीक है हमने लुटा, यह सारे कम काग़ज़ पर हुये सिर्फ, मगर अब तुम्हे गड़बड़ी का पता चला है और सवाल पूंछ रहे हो !ठीक है हमने बेईमानी की, सबने लुटा तो हमने भी लुट लिया ! सवाल यही है तुम क्या उखड लोगे?, अबतक क्या उखड पाये जो अब उखड लोगे ? हिन्दुस्तान के गंदी नाली के कीडे है हम (पता नहीं इनकी माँ ने किस किस के संपर्क से इन्हे पैदा किया) अपनी औकात दिखा रहे है. घूस मिल जाये तो हम अपनी मदर को भी बेच दें 2जी, सी डब्ल्यू जी, सी वी ओ, कोयला, नरेगा,मनरेगा, थिलियम घोटाला (यह आने वाला घोटाला है, थिलियम समुद्र तट पर पायी जाती है) ! इस देश के महा योधा, गंधर्व, राजा महाराजा, मुगल शसक और अंग्रेज़ो ने इस देश को इतना कभी नही लूटा था जितना की हमने ने लूट डाला/ इस देश की सरकार क्या सोचती है की सारा मीडिया मूर्ख और बिका हुआ है क्या? हर पल प
सहमत(19)असहमत(4)बढ़िया(5)आपत्तिजनक
AMIT VATS, gzb का कहना है :
22/11/2012 at 03:12 PM
कुत्ते है साले...सब कुत्ते...इनकी नजर मे जान दाव पर लगाने और दूसरो की जान बचाने वाले कुछ नही....तो आम जनता अपने बारे मे समझ सकती है....हमारी हालत इनकी नज़र मे क्या होगी?
सहमत(36)असहमत(1)बढ़िया(14)आपत्तिजनक
mukesh, delhi का कहना है :
22/11/2012 at 03:10 PM
यह देश है वीर ज्वनो का अलबेलोका म्सत्तानो का इस देस का यारो क्या कहना !जै हिन्द !
सहमत(12)असहमत(1)बढ़िया(7)आपत्तिजनक
Indian, India का कहना है :
22/11/2012 at 03:09 PM
यही करण है की आजकल कोई सेना में भरती नही होना चाहता है सेना की इस दुर्गति के पीछे सेना के ही पदाधिकारिओं का दोष है सेना के अधिकारी अगर भ्रष्टाचार करते हैं तो उन्हे राष्ट्रदोह के कानून के तहेत मुकद्दमा चलना चाहिये और तत्काल प्रभाव से उनकी छुट्टी कर देनी कर देनी चाहिये तभी सेना का खोया गौरव वापिस आ पयेग.यहन पर एह भी बता डून की देश पर मर मिटने के जज़्बेय वेल नौजवान अभी भी देश में बहुत हैं ज़रूरत सिर्फ भरोसा वापिस लाने की है
सहमत(47)असहमत(0)बढ़िया(20)आपत्तिजनक
(Indian को जवाब)
Ashok Yadav, Delhi का कहना है :
22/11/2012 at 04:27 PM
सेना के मुख्य ऑफीसर का नाम है जनरल वी के सिंह (अन्ना का साथी)
सहमत(2)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(Indian को जवाब)
RAHUL KUMAR, DELHI का कहना है :
22/11/2012 at 03:25 PM
ह्मरी सरकार चौधरी चरण सिंह के बहुमूल्य शब्दो को भूल चुकी है जब उन्होने देश को एकजुट बनाने और लोगों में उत्साह भरने के लिये काहे थे की "सीमा पर जवान और खेत में किसान" हमारे देश की मज़बूत नीव है
सहमत(25)असहमत(0)बढ़िया(11)आपत्तिजनक
(RAHUL KUMAR को जवाब)
Rajesh, Mumbai का कहना है :
22/11/2012 at 04:26 PM
ये तो लाल बहादुर शास्त्रीजी ने भी सालों पेहले कहा था ' जय जवान जय किसान' वो सचमुच मे एक गुदडी का लाल था...........
सहमत(2)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(RAHUL KUMAR को जवाब)
Nitin, Delhi का कहना है :
22/11/2012 at 04:05 PM
लाल बहादुर शाश्त्री जी ने नारा दिया था जय जवान जय किसान
सहमत(5)असहमत(0)बढ़िया(1)आपत्तिजनक
(Indian को जवाब)
Chu tia, patna का कहना है :
22/11/2012 at 03:22 PM
बिल्कुल ठीक! सेना से अच्छा है की किसी राजनैतिक पार्टी में भरती हुआ जाए!

वाड्रा के चलते DLF को मिली जमीन: केजरीवाल - - Navbharat Times

ashutosh, mau का कहना है :
05/11/2012 at 10:47 PM
आओ कसम खाएं इनको हराना है राहुल गाँधी ,सोनिया गाँधी , पी. चिदंबरम . लालू . मुलायम . प्रियंका गाँधी ,राजनाथ , श्री प्रकाश जायसवाल . सलमान खुरसिद ,नितिन गरबरी,मनीष तिवारी ,नरेन्द्रा मोदी ,बालठाकरे , शरद पवार मायावती , राज ठाकरे शिला दीक्षित ,कपिल सिब्बल , आओ कसम खाएं इनको संसद मे रहना चाहिया केजरीवाल,अन्ना ,किरण ,, साज़िया इल्मी ,प्रशांत, मनीष सिसोदिया ,सन्तोस हेगड़े , कुमारविश्वाश , और टीम अन्ना , टीम केजरीवाल के प्रमुख सदस्य और साथ मे वी. के . सिंह जैसे लोग संसद मे रहते तो आज जन लोकपाल , सिटिज़न चार्टर जैसे मजबूत कानून लागू होता उठो देश के लाल और दिखा दो की मा के दूध मे कितना दम है ए लोग हमे जीने नही देंगे जै हिन्द

सहमत(0)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
ashutosh, mau का कहना है :
05/11/2012 at 09:36 PM
कास हर घर मे केजरीवाल होते हर घर मे अन्ना होते ,हर घर मे किरण होती , हर घर मे साज़िया होती , हर घर मे वी. के. सिंह होते . तो आज भारत फिर सोने की चिड़िया कहलाता पूरा विश्व भारत से कापता भारत मे कोई आर्थिक नीति नही है रोजगार नीति नही है ,पूरा देश ग्रीह युध्य की तरफ जेया रहा है

सहमत(0)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
shiv nath makodi, kalupur का कहना है :
11/10/2012 at 06:41 PM
कल हम केजॅरिवल कोवोट देंगे औरकांग्रेस को जेल बेजे गे

सहमत(4)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
haryana, delhi का कहना है :
11/10/2012 at 05:52 PM
कॉंग्रसे करकर भारत तो दिल खोल कर लूट रही है

सहमत(0)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
raja rajput, new delhi का कहना है :
10/10/2012 at 05:30 PM
नवभारत टाइम्स से मेरा अनुरोध है के प्लीज़ अपनी लिबर्टी को मत बेचो. नही का
तो सबका विश्वाश खत्तम हो जायगा . आप एक हमारे देश को रेप्रेज़ेंट करता हो प्लीज़ कॉंग्रीस के चमचागिरी मत करो . नही तो देश आप को कभी माफ नही करेगा. आप का एडिटिओर कहा है जिसने मोदी के अगनिष्ट मे लिखा था वो सही आदमी नही है हमे आपकी जरूरत है


सहमत(12)असहमत(0)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
raja rajput, new delhi का कहना है :
10/10/2012 at 05:20 PM
कजेरीवाला प्लीज़ हमारे देश को बचा लो नही तो कांग्रेस हमारा पूरा विनाश कर देगी. कुत्ता डिगी बोल नही रहा है आज कल नही भौकता खुअब है. सोनिया अपने सात पूरे कांग्रेस को ले डुबेगी. आप लोग कसम लो के अगले चुनाव मे केजेरीवाला को चुनेगे. जै हिन्द.

सहमत(16)असहमत(1)बढ़िया(9)आपत्तिजनक
india friend, delhi का कहना है :
10/10/2012 at 04:50 PM
दोस्तो हमे कजरीवाल जेसे साहसी पुरुष का सात देना चाइये! अगर इनको चुप करा दियागया , तो बाद मे हम पछताएंगे ! यहा समय उठने का समय है इनका सात दो ! अब सुबह होगी !

सहमत(18)असहमत(0)बढ़िया(9)आपत्तिजनक

raj, gurgaon का कहना है :
10/10/2012 at 03:57 PM
एअक बात तो ह्हमे भी सुना टीम अन्ना ज़ी की द्ल्फ़ ने हुड़ा सरकार को बहुत कुछ दिया है गुर्गाओं मे हल्दीराम होटेल से गोल्फ कोर्स रोड पर 10 एकर का फ़्रमहौसे द्ल्फ़ ने हुड़ा के दमद तो डिफ्ट मे दिया है ईसका काया मतलब है ओर डूडा के दामाद के 5 पेट्रोल पंप भी ओपन हुएआए है जो बादशापुर से फ़रीदाबाद वाली रओड पर है

जिस फार्म मे डूडा के दामाद रहते है हुड़ा सरकार के सबी गूवरमेंट डिपार्ट्मेंट्स मे जाजो को नोकरी दी जाती है ओर एअक बात जातो के एरिया के हो कोई भी बिजली का बिल भी नही भारता है


सहमत(10)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
apurv, india का कहना है :
10/10/2012 at 12:33 PM
टीम अन्ना का एक आदमी जब पूरी सेना के समान काम कर रही है तो यदि पूरी टीम यदि सत्ता में आ जाये तो इस देश की पूरी तस्वीर बदल जायेगी।लेकिन अफसोस1इसकी पकड केवल शिक्षित शहरी और जागरूक लोगों तक ही है।परन्तु जितने भी उसके प्रभाव वाले क्षेत्र हैं उसमें पार्टी के सदस्य सत्ता में आ जाते हैं तो उसकी रोशनी से बाकी अंधेरा भी धीरे-धीरे छंटने लगगे।अंधेरे को हटाने के लिए एक दिया ही काफी है।

सहमत(14)असहमत(0)बढ़िया(14)आपत्तिजनक
J.S.RAWAT, GANDHIDHAM का कहना है :
10/10/2012 at 12:31 PM
लूटो कॉंग्रेसी लूटो जितना लूट सकते हो, अब आपका पाप का घड़ा भर चुका है. जनता हिसाब तो मांगेगी. कल एक सोनिया भक्त का करनामा देखा... वाह ! क्या कमाल किया देश के बीकलांगो को भी नही छोड़ा.. सोनिया के लिये जान देने वाले देश की जनता की जान लेनी पर तुले है. अब भगवान ही बचाए इस देश को इन देशद्रोही से....

सहमत(20)असहमत(1)बढ़िया(13)आपत्तिजनक
soniamahachor, delhi का कहना है :
10/10/2012 at 11:22 AM
आज़ाद देश के गुलाम नागरिकों को नमन !
ऐसा भ्रष्टतंत्र इस देश मे आ गया है, की लोकतंत्र ने लाज के मारे ख़ुदकुशी करने की ठान ली है?
ठीक है हमने लुटा, यह सारे कम काग़ज़ पर हुये सिर्फ, मगर अब तुम्हे गड़बड़ी का पता चला है और सवाल पूंछ रहे हो !ठीक है हमने बेईमानी की, सबने
लुटा तो हमने भी लुट लिया ! सवाल यही है तुम क्या उखड लोगे?, अबतक क्या उखड पाये जो अब उखड लोगे ?
हिन्दुस्तान के गंदी नाली के कीडे है हम (पता नहीं इनकी माँ ने किस किस के संपर्क से इन्हे पैदा किया) अपनी औकात दिखा रहे है.
घूस मिल जाये तो हम अपनी मदर को भी बेच दें 2जी, सी डब्ल्यू जी, सी वी ओ, कोयला, नरेगा,मनरेगा, थिलियम घोटाला (यह आने वाला घोटाला है,
थिलियम समुद्र तट पर पायी जाती है) !
इस देश के महा योधा, गंधर्व, राजा महाराजा, मुगल शसक और अंग्रेज़ो ने
इस देश को इतना कभी नही लूटा था जितना की हमने ने लूट डाला/
"ना मुझको कांग्रेस से डर है न कांग्रेस के नेताओं से डर लगता है
ऐ सोनिया तेरे भ्रष्टाचार की निति से डर लगता है


सहमत(10)असहमत(0)बढ़िया(5)आपत्तिजनक
India friend, delhi का कहना है :
10/10/2012 at 11:08 AM
दोस्तो हमे कजरीवाल जेसे साहसी पुरुष का सात देना चाइये! अगर इनको चुप करा दियागया , तो बाद मे हम पछताएंगे ! यहा समय उठने का समय है इनका सात दो !
अब सुबह होगी !


सहमत(22)असहमत(0)बढ़िया(11)आपत्तिजनक

Lalit Kumar Sharma, New Delhi का कहना है :
10/10/2012 at 10:43 AM
अमिताभ बच्चन की फिल्म दीवार देखने यह नेहरू गाँधी खन वाड्रा इटालियाना फैमिली के लोग क्यों नहीं जाते ?

इस फिल्म में एक बहू ट्परसिद्ध डाइलॉग है " मेरा बाप चोर है", उसे सुनते ही इनके शरीर के सारे अंगों से पसीना छूट जाता है.

सहमत(14)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
agarwal, chennai का कहना है :
10/10/2012 at 10:10 AM
दोस्तो ए सची घटना है .> एक दिन एक आदमी ने मुझसे मोबाइल मांगा बोला भाई साब एक अर्जेंट कॉल करना है सिर्फ कुछ सेकेंड ,, मैने उसको मोबाइल दे दिया ओर मॅदूसरे काम मे बिज़ी हो गया थोड़ी देर बाद उसने थॅंक्स कह कर मोबाइल वापिस कर दिया,, कुछ देर बाद मैने बॅलेन्स चेक किया 70 रूपय की बात कर गया >> आपको यकीन नही होगा चार घंटे तक मे कमरा बंद करके रोया था उस की इतनी आसानी से मे बेवकूफ बन गया >> आप सोच सकते है जब महज़ 70 रूपय के लिये मुझे इतनी ठेस लगी थी ,,>>>>> तो इतने बड़े घोटाले से देश के 125 करोड़ लोगो को कितनी ठेस लगी होगी>>>> जय हिन्द

सहमत(35)असहमत(0)बढ़िया(23)आपत्तिजनक
(agarwal को जवाब)
vasu, india का कहना है :
10/10/2012 at 10:16 AM
आम जनता की हकीकत verry nice

सहमत(16)असहमत(0)बढ़िया(14)आपत्तिजनक
TanVir, Delhi का कहना है :
10/10/2012 at 10:03 AM
आज लोगों को ग़रीब और कमज़ोर करने की ज़िम्मेदार ये तीन गुंडा झुंड (कांग्रेस, भाजपा व बसपा) और इन की सहयोगी गुंडे झुंड हैं । अब हमारी ये ज़िम्मेदारी है कि इनको वोट न दें ।

सहमत(12)असहमत(2)बढ़िया(9)आपत्तिजनक
(TanVir को जवाब)
neeraj gupta, bhilai का कहना है :
10/10/2012 at 08:17 PM
भाजपा अछी है -पर केजू सबसे अच्छा है लोगों के लिये

सहमत(4)असहमत(0)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
IBTL, india का कहना है :
10/10/2012 at 10:00 AM
इस बात की पूरी संभावना है कि गांधी परिवार अब राबर्ट को निपटाना चाहता है इसलिए अरविन्द के जरिए खुद कांग्रेस का ही एक वफादार खेमा राबर्ट को भ्रष्ट साबित करने के अभियान पर निकल पड़ा है. राबर्ट के भ्रष्ट साबित हो जाने पर सोनिया परिवार की राबर्ट से मुक्ति पाने की मन मांगी मुराद पूरी हो जाएगी.


सहमत(7)असहमत(10)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
(IBTL को जवाब)
s punj, london का कहना है :
10/10/2012 at 05:16 PM
i have a friend who bought al and in goyla dairy area for 5 lakh now price is 2 crore and he bouht two flats in dawrka for 7 lakh and now sales price is 2crore each we can not compare old and new price then he bought a flat in noida for 42 lakh not built yet price has gone one crore people has too much money

सहमत(0)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
IBTL, india का कहना है :
10/10/2012 at 09:57 AM
राबर्ट वाड्रा के खिलाफ अचानक अरविन्द का यह खुलासा चौंकानेवाला है। राबर्ट बाड्रा के भ्रष्टाचार पर भाजपा भी बयानबाजी कर चुकी है। अब अरविन्द कह रहे हैं कि आज की तारीख में राबर्ट वाड्रा की परिसंपत्तियां करीब तीन सौ करोड़ की हैं। इसमें वे सिर्फ उन संपत्तियों का जिक्र कर रहे हैं जिसमें डीएलएफ शामिल है। अरविन्द का जो प्रमाणपत्र सामने आया है उसके मुताबिक राबर्ट वाड्रा ने डीएलएफ से बिना व्याज का कर्ज लिया और उसी पैसे से डीएलएफ की ही संपत्तियां खरीदीं। व्यावसायिक घराने भ्रष्टाचार के ऐसे ही अनोखे संस्कार विकसित करने में माहिर होते हैं इसलिए अरविन्द के आरोप गलत होंगे इस पर संदेह करने की जरूरत नहीं है। सवाल अरविन्द के आरोप की सच्चाई से नहीं जुड़ा है। सवाल जुड़ा है अरविन्द के खुलासे से? राबर्ट वाड्रा के भ्रष्टाचार को सामने लानेवाले अरविन्द को प्रियंका की परिसंपत्तियों का ब्योरा क्यों नहीं मिल पाया जो आज की तारीख में गांधी परिवार की समस्त मिल्कियत की घोषित मैनेजर हैं?


सहमत(4)असहमत(1)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
IBTL, india का कहना है :
10/10/2012 at 09:55 AM
जो संकेत हैं वे शक पैदा करते हैं। अन्ना हजारे पिछले करीब एक दशक अघोषित तौर पर नेताओ के इशारे पर नेताओं के खिलाफ अनशन का प्रहसन करते रहे हैं। संभवत: राजनीतिक जमात ने भूमंडलीकरण से बहुत कुछ सीखा है और अपने विरोधी खुद ही खड़े करो की तर्ज पर महाराष्ट्र में यह फार्मूला सफल भी रहा है। दिल्ली में जब अरविन्द केजरीवाल ने नवंबर 2010 में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम शुरू किया था तो उनका एकमात्र मकसद था कि कामनवेल्थ खेल में हुए घोटालों के लिए सुरेश कलमाड़ी को गिरफ्तार किया जाए। अगर कलमाड़ी के खिलाफ अरविन्द न खड़े हुए होते तो कलमाड़ी से पहले शीला दीक्षित तिहाड़ में नजर आती। इसके बाद अरविन्द के ऊपर शीला का सिपहसालार होने के इतने आरोप लगे कि अब जाकर अरविन्द ने बिजली के मुद्दे पर शीला सरकार के खिलाफ ही धरना प्रदर्शन कर दिया। फिर भी शीला की छाप इतनी आसानी से उनके ऊपर से मिटनेवाली नहीं है।


सहमत(2)असहमत(0)बढ़िया(1)आपत्तिजनक
(IBTL को जवाब)
Kishan Mohan, Delhi का कहना है :
10/10/2012 at 10:46 AM
भई किस पार्टी ने ड्राफ्ट तैयार करके दिया है? किसी एक आदमी का काम तो हो ही नही सकता. ड्राफ्ट देख कर सॉफ है ना तो तुम कांग्रेस के हो ना ही कजेरीवल के... तुम भा. जा. पा. के या ब स प या किसी और ही पार्टी के हो. ज़ीसे सीधा दिशा फायेदा हो.


सहमत(5)असहमत(0)बढ़िया(5)आपत्तिजनक
(Kishan Mohan को जवाब)
dhirchauhan, kanpur का कहना है :
10/10/2012 at 12:05 PM
मोहन जी असल बात है कि मुझे मीडिया वालों पे शक है और में एक बहुत कमजोर और सिर्फ वोटर भर हूँ जो चुनाव ड्यूटी की वजह से अक्सर वोट भी नहीं कर पाता मीडिया का रुख सॉफ इशारा कर रहा है कि कुछ तो दाल में काला है आइ बी टी एल एक साइट का नाम है मुझे कुछ मिला और मैने उसे आप लोगों को शेयर किया भीड़ का हिस्सा बनना मुझे अच्छा नहीं लगता इसीलिये में अपनी छठीइंद्री को भी इस्तेमाल करता रहता हूँ ए भी हो सकता है मुझे कॉंग्रेश पर भरोषा हो सकता है परइलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कभी नहीं हो सकता !

सहमत(1)असहमत(2)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
(dhirchauhan को जवाब)
Kishan Mohan, Delhi का कहना है :
10/10/2012 at 12:36 PM
मीडिया पे तो शक मुझे भी है चौहान जी. परंतु फिलहाल केजरीवाल पे नही शक कर सकता. क्योकि मेरी छ्टी इंद्री ऐसा करने से सॉफ मना कर रही है. और में एलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भरोसा कर सकता हू पर कांग्रेस पर नही. क्योकि एलकोट्रॉनिक मीडिया कोरोडो लोगो के हातो मे है ना की सोनिया या अटल जी जैसे किसी एक आदमी के हाथो मे है. सोशियल नेटवर्किंग आंड ब्लॉग्गिंग आजकल के असली हथियार है.

सहमत(5)असहमत(0)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
S M OJHA, GORAKHPUR का कहना है :
10/10/2012 at 09:42 AM
केजरीवाल साहब और पैनी धार करे, अभी आपकी झोली मे और बम पटाखे है समय समय पर न छोड़े कुछ एक साथ भी छोड़े ताकि देशवासी काली करतूतो से वाकिफ हो सके यह तो तय है कि कांग्रेस को जाना है पर देश चूसक जेल जाय तो हमारी मायूसियत दूर हो. जो समाचार मे विवरण है वह लेखा वाले ही समझ सकते है,ऐसा एक कम्पनी मे नही है. रीयल एस्टेट आज कल अकूत धन पैदा कर रहा है, सारे राजनीतिबाजो के गाढ़ी कमाई का धन इस पेशे मे है और इससे भी बेमेल प्रविष्टिया बैलेन्स शीट मे मिलेगी यह बिल्कुल पक्का है. दिन चौगुना और रात आठ गुना सिर्फ इनका ही धन क्यो बढ रहा है? कोल्हू के बैल की तरह मेहनतकश आम आदमी फिर भी त्रस्त है? वही बिना मेहनत के ये मस्त है? आदि काल की लूट वादी परम्परा आज भी बदस्तूर कायम है. शोषक और शोषित आज भी उसी मानसिकता मे जी रहे है. इससे आम जन विद्रोही और मानसिक रूप से अराजक होता जा रहा है. सनशीलता समाप्तप्राय है. ज्वालामुखी फूटने की कागार पर है अगर शीघ्र कोई निर्णय या आमूल बदलाव नही आया तो स्थिति भयावह होगी

सहमत(6)असहमत(1)बढ़िया(8)आपत्तिजनक
bittoo, thailand का कहना है :
10/10/2012 at 09:35 AM
ह्मारे देश का क़ानून देखो चोरो ,ब्रश्टाचारी , बलातकारियो को भी वी . वी . आइ .पी बनाता है ओर उनए जनता के पेसे से ज़ेड प्ल्स सुरक्षा भी देता है ! वनदेमातरम

सहमत(9)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
tota babu, chennai का कहना है :
10/10/2012 at 09:31 AM
केज़रीवाल को एक नसीयत देता हु .> दूर से पहलवान को ललकारना कोई बड़ी बात नही दंगल मे उतरोगे तो खटिया खड़ी हो जायेगी

सहमत(3)असहमत(31)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
(tota babu को जवाब)
Daddy, India का कहना है :
10/10/2012 at 03:14 PM
एक था गटर जब जब उसका मुंह खुलता था तो दुर्गन्ध आती थी और माहौल खराब होता थ

सहमत(4)असहमत(0)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
(tota babu को जवाब)
kishan Mohan, Delhi का कहना है :
10/10/2012 at 10:49 AM
तोता बाबू आप भी ललकार के देख लो एक बार. आपकी खटिया तो यही खड़ी हो जायेगी.

सहमत(7)असहमत(2)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
munna lal gupta , indore का कहना है :
10/10/2012 at 07:37 AM
वाड्रा और डीएलएफ के बीच लेनदेन का मामला जल्दी ठंडा होने वाला नहीं, सवाल ये है कि क्या सरकार पूरे मामले का सच देश के सामने लाने के लिए जांच का फैसला लेगी या नहीं? सलमान जी ने ले लिया जो लंगड़ो की चेर साइकिल खा गया ुआसेके संतान भे वेसी ही---- होंगी परंतु फेसला आने के बाद फेसला आने मे दस साल तो लाँगेगे बयान देने वेल सभी नेता चहेते है की सच देश के सामने आये अरविन्द जी आप तो बोले आप का बोलना ही देश को सोनया जी से मुक्ति दिला सकता है

सहमत(23)असहमत(0)बढ़िया(9)आपत्तिजनक
(munna lal gupta को जवाब)
KULDEEP SINGH, SUNDER NAGAR, HIMACHAL PRADESH का कहना है :
10/10/2012 at 08:59 AM
बड़ी ही शर्मनाक बात है कि इन लोगो ने अपनी आत्मा को इस तरह मर दिया है की ए चोर विकलाओंगो को भी नही बक्श रहे है, शर्म आती कि एइसे वक्ती देश के इतने बड़े पड पर है. भगवान ही इन्हे सजा दे क्योंकि देश का जो कानून है वो तो इनके लिये बना ही नही है. सलाम करना चाहूंगा आजतक न्यूज़ चॅनेल की टीम को इन्हे एक्सपोज़ करने के लिये.

सहमत(11)असहमत(0)बढ़िया(7)आपत्तिजनक
LOKPAL KI AAWWAAZZ, JANTER MANTER DELHI का कहना है :
10/10/2012 at 06:00 AM
अये मेरे वतन के लोगो अभ आंख से पोंछ लो पानी ! जहा मिले कॉंग्रेससीयो की
इतनी मारो की याद आ जाये उनको अपनी नानी!!!!!!!!!!!!!!! मेरे भाइयो एह वक़्त
सोने का नही हा जागो और केजरीवाल आंड कंपनी के हाथ मजबूत करो सिरफ
टिक्का टिपणी करने से कुत्च नही होगा. गाव गाव शहर श्हार जाकर युवा मंडल बनाऊ
जिसका नाम रखो ALL INDIA YOUTH AGAINST COROUPTION. AUR KEJRIWAL
KI PARTY KA NAAM RAKHO LIBERAL PARTY OF INDIAहम लोगो का काम होगा की
पिछले 5 से 7 साल मे कांग्रेस के मंत्री और उनके रिश्तेदारो ने कैसे अपनी आय 50%
से 500% की है उन सभका हिसाभ केजरीवाल को दे. 2014 के लिये कमर कस्स लो!!!


सहमत(21)असहमत(0)बढ़िया(17)आपत्तिजनक
vipan, USA का कहना है :
10/10/2012 at 05:30 AM
सन् 1982 के आस-पास पंजाब के सरहंद कसबा मे तिलक नाम का आदमी जो रेलवे रोड पर चाय पकौडो की दुकान चलाता था उस ने एक स्कीम शुरू की आज 40 रू. जमा करा तीन महीने बाद 120 रू. वापस लो! शुरू मे कुछ लोग ही इस मे शामिल हुए पर जब उस ने तीन महीने बाद लोगो को तीन गुणा रकम वापिस की तो लोग ज्यादा से ज्यादा रूपये उस की स्कीम मे लगाने लगे ओर दो साल मे वे करोडो का लेनदेन रोजाना करने लगा ! सरकार को तब होश आई जब बैंक ओर डाकधर की बचत स्कीमो मे पैसा जमा होने की जगह निकलने लगा ओर सरकार ने उस पर कायॅवाही की उस के बाद तिलक के खिलाफ शिकायत का सिलसिला शुरू हो गया लोगो के करोडो रूपये इस मे डूब गये ! इस मे अनपढ ही नही पढे लिखे वकील,डीएसपी,बैक मैनेजर वगेरा भी थे तब मै सोचता था की लोग कितने मूखॅ है बिना सोचे समझे लालच मे आ गये लेकिन आज तीन चार दिन रोज की न्यूज पढने के बाद मुझे लगता है हिन्दुस्तान मे एक भी मुखँ नही सब के सब समझदार है आज भी कोई इन्हे लालच दिखा अपने पीछे लगा लेता हे जैसे केजरीवाल कानून अपने हाथ ! आगे जारी..

सहमत(5)असहमत(19)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
(vipan को जवाब)
bharat vassi, delhi का कहना है :
10/10/2012 at 08:25 AM
भई vipan. महतमा गाँधी ने कानून तोडा. नमक आन्दोलन किया उनेहे कांग्रेस ने रास्ट्रीय पिता की उपाधी मिली, नेहरू ने कानून तोडा तो उसे रास्ट्रीय चाचा की उपाधी मिली, अंग्रेज़ दमन करे तो दिक, अंग्रेजो के भेस में ए दमन करे तो कानून का उलंगण... संसद में जाने से पहले जो कसम खाते है उसी से उल्टा काम करते है, अगर इसके लिए आवाज़ उटाओ तो संसद की तोरिह्न..लालची कों नही है, मा का प्यार भी लालची होता है.इस्के लिए वो दुनिया से लड जाती है, भूखी रह कर अपने बच्चे को को खिलाती है. आप अपने पीछे USA लिखते है. अगर आप सच में usa में है. तो आप लालची नही है. आगार आप बहुत पड़ते है ओर अच्छी नोकरी,या अच्छे business में चले जाते हैईओर जनता या परिवार का कुछ नही करते तो आप भी तो लालची हुए

सहमत(13)असहमत(1)बढ़िया(7)आपत्तिजनक
(vipan को जवाब)
vipan, USA का कहना है :
10/10/2012 at 06:27 AM
ले कर बिजली का कटा कनेक्शन जोड दिया ओर फोटो भी अखबारो मे छिपवा दी साथ मे सरकार को चैलेंज मैने कानून तोडा मुझे जेल भेजो कुछ लोग भी उस के साथ सरकार इस के खिलाफ कोई कायँवाही करती है या नही मेरे हिसाब से नही क्यो की महाराष्ट ठाकरे परिवार ने भी कई बार कानून तोडा पर सरकार ने कुछ नही किया ! पर केजरीवाल के लिये वे दिन डूब के मरने वाला होगा जब इलेक्शन लडने के लिये इसी सविधान की कसम खाये गा जिस मे कानून की रक्षा करना लिखा होगा ! वाड्रा पर इल्जाम लगा केजरीवाल कहते हो की मै गल्त हूं तो मेरे पर केस करो पर मै कहता हूं केजरीवाल अगर तुम्हारे हाथ पक्के सबूत है तो तुम FIR क्यो नही लिखवाते या सिफँ लीडर बनने का ड्रामा रच रहे हो! अभी लोग तुम्हारे साथ है तुम ने कुछ सपने दिखाये लोग समझदार जो इन सपनो के पीछे लग गये ! क्या तुम्हारा राज आने पर इन को बिजली के बिल नही आये गे ? बिल न जमा करने पर कनेक्शन नही कटे गा ? लोग अभी तो समझदार है मूखँ तब बने गे जब सपना टूटेगा ! मेरा भारत महान......जय-हिन्द !

सहमत(5)असहमत(11)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
(vipan को जवाब)
dineshC, bhopal का कहना है :
10/10/2012 at 10:06 AM
विपिन में तुमसे सहमत हूँ. मीडिया ने सोनिया, एंटोनी, बबलू और मन्नू को महिमा मंडित किया और ए लोग देश को लूटते रहे कुछ टुकड़े मीडिया को भी मिले अब इन लोगों पर से लोगों का विश्वास उठ गया है इसीलिये ए लोग अब केज़रीवाल को महिमा मंडित कर रहे है. दोस्तो एक बात ध्यान रखो मीडिया जिसको ईमानदार बताये समझो वो सबसे बड़ा चोर निकलेगा. वैसे लोगों की आदत धोखा खा के सम्हालने की है तो खाओ धोखा और फिर रोते रहना जब पता चलेगा की ए केज़रीवाल तो बहुत बड़ा ब्लेक मेलर निकला.

सहमत(3)असहमत(5)बढ़िया(2)आपत्तिजनक

(vipan को जवाब)
manjil, lana का कहना है :
10/10/2012 at 08:32 AM
सपना देखना चोर दो अंकल,

इंडियन कानून नेता टोह क्या एक चोर को भी जेल न्ही करा सकता.



सहमत(2)असहमत(1)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
Roshanlal, Compton का कहना है :
10/10/2012 at 04:07 AM
हजारो करोड़ोका धपला करनेवाले राजा, कलमाड़ी और कनिमोली का कुछ नही हुवा तो इस रॉबर्ट का क्या होनेवाला है. दिखानेके लिये उसे कुछ महीने जेल मे बंद करेंगे फिर मामला ठंडा होनेपर छोड़ दिये जायेंगे. जनताकी याद दाश्त बहुत कम होती है. वो काले धंदे करके 300 करोड़ जमा करनेवाला कृपाशंकर सींग अब आराम कर रहा है. कोर्ट ने भी पोलिसको जल्द तहकीकात करनेका आदेश दिया था. क्या हुवा? कोर्ट भूल गया, पोलिसकुछ नही कर रहे. काला धंदा और जोरसे शुरु है.

सहमत(8)असहमत(1)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
Nand, USA का कहना है :
10/10/2012 at 01:04 AM
केवल लेंड डील ही क्यूं. कामन वेअल्थ में भी जितने कांट्रॅक्ट द्डीएलेफ को मिले उसमे भी जिजाजी का हाथ हैं

सहमत(22)असहमत(0)बढ़िया(14)आपत्तिजनक
mukesh, delhi का कहना है :
10/10/2012 at 12:56 AM
dhyan dene ki baat ye hai ki kya ye saare neta jija ji ke liye kaam karte hain ya sarkar ke liye koi jija ko clean chit de raha hai ek hi raat main janch bhee kar li itni jaldi to 2g bhee solve nahi ho paya mane to google par history of nehru check karne ko jo pichhla comment likha tha wo hilight hi nahi hua mujhe to nbt par bhee shak horha h ki kahin wo bhee inki bate nahi chupa rahe agar mera comment hi light hota h to maafi cahunga .

सहमत(7)असहमत(0)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
omp, u.s.a. का कहना है :
10/10/2012 at 12:30 AM
जिस थाली मे खाया उसी मे छेद-60 साल से कॉंग्रेस सरकार के टुकड़ों पर पलते रहे--अब उसी की बुराई-अगर वह इतनी ही बुरी थी तो हर बार उसे ही क्यों जिताते रहे-बुराई--बुराई---आयेप्लोगन ने कभी-भी अच्छा नही देखा आपको गालियों के अलावा आता ही कुछ नहीन देखोगे ही-इंतजार कीजिये--सन 2014 मे आपकी बोलती बंद हो जावेगी--देखते रहियो-----

सहमत(2)असहमत(32)बढ़िया(1)आपत्तिजनक
(omp को जवाब)
mukesh, delhi का कहना है :
11/10/2012 at 01:30 AM
omp,usa-aapke too naam se hi pata lag raha h ki aap cong ke tukdo par pal rahe ho .aap ko to bharat se sirf paisa batorne walon main intrest h.hum log cong ki thali main se nahi khate khud kama kar khate hain aur har cheej par tax pay karte hain jisko ye sarkar ghotale kar ke kha rahi h 2014 ka injar kyon kar rahe ho aapke comment par kitne log sehmat hain isse pata chal jayega bolti kiski band hogi ye khud ek gaali h to log gaali hi denge mujhe aap se shikayat nahi aap ki parvarish se h ab mr.usa ki soch bharat ke liye kya hogi ye sabhi amajh sakte h dhanyawad.

सहमत(0)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(omp को जवाब)
Sumit, India का कहना है :
10/10/2012 at 08:18 PM
भाइयो हमारे कांग्रेसी नेताओं की बहुत सारी नाजायज़ औलाद भी तो हैं .......आखिर खून तो वही है तो बात भी उनकी ही करेगा......धन्यवाद

सहमत(1)असहमत(0)बढ़िया(1)आपत्तिजनक
(omp को जवाब)
Indian, India का कहना है :
10/10/2012 at 08:08 PM
हम कांग्रेस के टुकड़ो पे पल रहे है या कांग्रेस हमारे टुकड़ो पे पल रही है?

सहमत(0)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(omp को जवाब)
Desi, USA का कहना है :
10/10/2012 at 08:47 AM
दोस्त तेरी आत्मा मर चुकी है....टू मानेय गो तो नही पर हो सके तो देव भूमि बरत भूमि कभी वापस नही आना...तेरे और तेरे परवर के मनहूस कदम देव भूमि पर नही पडनेय चाहीये...

सहमत(6)असहमत(0)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
(omp को जवाब)
TRUE INDIAN, BHARAT का कहना है :
10/10/2012 at 03:37 AM
यूयेसे मे बैठ के ज्ञान दे रहा है ....साला यंहा खाने के लाले हो गये और टू हॅरामी उन नेताओ का फेवर ले रहा है जो एसी मे बैठ के कामन आदमी का भविस्यबना..60सालो मे क्या कांग्रेस ने हालत कर दी....इन 60 सालो मे जापान जैसा देश 2 बार बर्बाद हो के खड़ा भी हो गया...और तुम जैसो चमचो की वजह से.. कांग्रेस के हरामी उपेर बैठे है...रिलिटी देख वर्ना कुछ सालो मे देस को बेचने वेल ए दललटेरी माअ बहनो को बेच देंगे

सहमत(19)असहमत(1)बढ़िया(14)आपत्तिजनक
AJAY, REWARI का कहना है :
10/10/2012 at 12:02 AM
अब आई काग्रेसी जीजा की गरदन हाथ में

सहमत(24)असहमत(1)बढ़िया(15)आपत्तिजनक
bansi9, alld का कहना है :
09/10/2012 at 11:54 PM
कॉगरेस दवारा दियै गये छठे वेतन आयौग की ओलादो तुम लोगो का बाप जोहराम की कमाई घर ला रहा उसे खाकर तुम लोग बलबला रहे हो|फेसबुक देखकर तुम लोगो की बुधी सडं गयी है|करानती सडकौ पर होती है|नेट पर नही|

सहमत(12)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
raj kumar srivastava, gorakhour का कहना है :
09/10/2012 at 11:52 PM
केजरीवाल जीतना चाहे आरोप और सबूत पेश कर ले पर होगा वही जो कांग्रेस चाहेगी कांग्रेस की रानी सोनिया से बड़ा घोटालेबाज कौन है ये सब जानते है की मनमोहन सिंह की औकात क्या है नाम के पीएम है पर सबकुछ तो सोनिया गांधी है जो देश को बर्बाद कर रही है साथ में विपक्ष भी केवल गुटबाजी में परेशान है कोई विरोध करने वाला नहीं वरना कांग्रेस कबका चली जाती अब तो माया मुलायम तो सबसे बड़े कांग्रेस के कुत्ते है जो जनता को बेवकूफ बनाकर जी रहे है अब तो जो जनता करेगी तो करेगी इस देश का क्या हाल होगा गरीब तो परेशान है ही पर हर कोई मजबूर है

सहमत(27)असहमत(1)बढ़िया(23)आपत्तिजनक
(raj kumar srivastava को जवाब)
k, d का कहना है :
10/10/2012 at 08:59 AM
लेकिन यार आजकल श्री श्री 1008 मोनी जी बाबा कहन हैं उनका कोई स्टेट्मेंट ही नही आ रहा, पैसे पेड़ पर तो लगते नही है एक और घोटाले का पेड़ नज़र आ गया जमीन गोटाला, मौनी बाबा अभी भी चुप हैं क्योंकि दामाद जी शामिल है डौगी राजा भी चुप हैं भोंकना बंद कर दिया, जै मोनी बाबा

सहमत(4)असहमत(0)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
BHARAT WASI, BHARAT DESH का कहना है :
09/10/2012 at 11:45 PM
जिश तरह लिखा की रॉबर्ट वादेरा 3000 करोड़ भी हरम की कमाई कार्ले कोई कुछ बिगड़ नही सकता धनी लोग और नेता लोग हरम की कमाई सिर्फ भारत में नही करते बल्कि मुस्किल से कोई देश होगा जहा नही करते वर्ना सभी देशो में इश तरह हरम की कमी करते है अमेरिका सबसे बड़ा और अमीर देश है वहा की नेता लोग और धनी लोग हरम की कमाई करते है कई मला समाचार में पड़ा जबकि छोटे स्टेर में नही होता यानी आम जनता को वो शिकार नही बनाते. बल्कि देश में जहा देखो बिना हरम की कमाई देने के बिना सही काम भी कोई नही करता. लेकिन इहसणे जो अपना हरामी पन दिखाया की देश को बनाना रिपब्लिक कहा तब जनता इश्को अपना रूप दिखाये जो कहा वो अटंगवाडी से बुरा काम किया क्योकि सोनिया जी ने देश पर कब्जा किया हुआ है. कांग्रेस सिर्फ डाकुओ की हो गयी जबकि इनका देश ए के लिये कभी बड़ा योगदान रहा. जनता को उहसके नीचता के बयान के लिये अनोडलन करे या काहे जब देश बनाना रिपब्लिक है तब वोटो और टॅक्स को देना हरम है बल्कि 15 अगुस्त और 26 जानुराय को खुहसी का नही मातम का दिन ह

सहमत(8)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
BHARATT WASI, BHARA DESH का कहना है :
09/10/2012 at 11:37 PM
मेरी राय है जिहसके पस कमाई ज्यदा हो वो कुछ भी कर सकता है कानून भी उष्का एक बॉल नही उखड सकता डी एल एफ हो या देश का कोई इतना बड़ा रहिस हो जैसे टाटा आदि वो अपनी हरम की कमाई तब तक नही कर सकते जब तक एह अपनी बंड नेताओ को मरने के लिये ना दे. अगर धन ज्यादा मिलने की बात हो तब एह नेताओ के सामने आओनी बहन बेटी को रात को माजू लेने के लिये भेज स्कते है जिश करण से सोनिया ने कहा की देश पर सब जगह रेप होता है कही उनका अपना भी अनभव हो क्योकि इटली आदि वहा जो साथ में देश जितने भी है वो रेप को गलत नही मानते बल्कि 75 साल वाक़अ भी रेप का भगत है कोई नेता बिना हरम की कमाई वाला नही मिलेगा जिनके करण कोई नेता बिना हरम की कमाई वाला नही मिलेगा डी एल एफ ने सिर्फ रॉबर्ट वादेरा ही नही मालूम कितने हरयाणा सरकार और भारत सरकार से मरबाइ होगी और उनको हरम की कमाई से नौनिहाल करते हुए कितनो अरबो का देश को चूना लगाया होगा उनको मालूम नही सोनिया जी के बिना इशरो में प्रधान मंत्री के अधीन होते हुए 2 लाख करोड़ का सफाया नही हो सकता

सहमत(5)असहमत(0)बढ़िया(3)आपत्तिजनक

atul, ahimla का कहना है :
09/10/2012 at 11:29 PM
गुड केजरी वॉल जी सब भ्रष्टचरियो की वाट लगा दो. अभ तो हद है गई कानून मंत्री ने तो बिक्लागो का पैसा भी खा लीया.

मे शिमला का हु रॉबर्ट वाड्रा ओर उसकी बीबी शिमला के पास छेरबरा मे घर बना रहे है जबकी शिमला मे कोई बाहर का प्रॉपर्टी नही ले सकता. एनको पता नही केसे मील गई..

सहमत(19)असहमत(0)बढ़िया(13)आपत्तिजनक
bansi9, alld का कहना है :
09/10/2012 at 11:05 PM
मैनै एक कमैट ९'३० पर लिखा था अभी तक नही आया समपादक जी|

सहमत(4)असहमत(1)बढ़िया(1)आपत्तिजनक
darshan, MUMBAI का कहना है :
09/10/2012 at 11:05 PM
वाड्रा और डीएलएफ ने हरियाणा कॉंग्रेस सरकार से साँठगाँठ करके अरबो की जमीन कौडियो के मोल खरीदकर बहुत बढ़ा घोटाला किया है ए बात बहुत स्पष्ट और सॉफ है लेकिन देशद्रोही,लुटेरी कॉंग्रेस सरकार इतने सारे सबूत होने पर भी जांच तक कराने के लिए तय्यार नही ए बड़ा शर्म की बात है! अरबो का धन कमाकर ए जँवाई अपने देश के लोगो को ही बनाना रिपब्लिक केहकर मजाक बनाता है लेकिन गूंगी बेहरी जनता कुछ नही करती. केजरीवाल ही एक मर्द और जाँबाज सिपाही है जो इतने ताकतवर लोगो के खिलाफ लढ रहा है. इस घोटाले मे वाड्रा और डीएलएफ के " सीए" सलाहकार को तुरंत पकड़कर पुलिसिया पूछताछ हो तो सारी कहानी पिक्चर की तरह साफ हो जाएगी, लेकिन जब सरकार ही इसमे शामिल है तो कोई कुछ नही करेगा. इस घटना को ना भूलकर लोगो को ध्यान मे रखना चाहिए और आनेवाले चुनाव मे कॉंग्रेस को मिट्टी मे मिलाकर बीजेपी की सरकार को चुनकर देना चाहिए अगर वो वाड़ा करे के चुनकर आनेपर वाड्रा, 2ग, 3ग, कॉमनवेल्थ, कोयला, नरेगा, इत्यादि अनगिनत घोटालो की तुरंत जांच करेगी.

सहमत(18)असहमत(0)बढ़िया(12)आपत्तिजनक
Suresh Sarvaiya, Raipur (Chhattisgarh) का कहना है :
09/10/2012 at 10:56 PM
वाड्रा की सम्पत्ति पर विवाद पर लगातार खुलासे - परसों अरविन्द केजरीवाल ने आरोप लगाये, कल वाड्रा ने स्पष्टीकरण दिया और आज केजरीवाल ने और सबूत पेश किये. कल फिर वाड्रा इस पर कुछ कहेगा वाड्रा सम्पत्ति पर ये अंतहीन बहस है. इनका कोई मतलब नहीं है. केन्द्र सरकार के साथ-साथ अब तो हरयाणा सरकार भी वाड्रा के साथ खड़ी है. इसलिये सरकार से उम्मीद करना कि वो मामले की तह तक जायेगी, ऐसा नहीं लगता है. सैयां भये कोतवाल तो अब डर काहे का. इसलिये केजरीवाल की संस्था इंडिया अगेन्स्ट करप्शन को चाहिये कि वे पोलिस के पास एफ आई आर दर्ज कराएं और विशेष जांच दल से मामले की तह तक जाने के लिये माननीय न्यायालय का दरवाज़ा खटखटायें. यही एक उपाय है जिससे इस मामले पर दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा.

सहमत(14)असहमत(0)बढ़िया(9)आपत्तिजनक
(Suresh Sarvaiya को जवाब)
India, India का कहना है :
10/10/2012 at 08:20 PM
जब तक सीबीआइ सरकार के कब्जे में है दूध का दूध पानी का पानी कभी नही हो सकता.

सहमत(0)असहमत(0)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
skumars, usa का कहना है :
09/10/2012 at 10:52 PM
It will be not good if they create a website and post all corruption related documents so people can see.

सहमत(11)असहमत(1)बढ़िया(5)आपत्तिजनक
santhosh, Chennai का कहना है :
09/10/2012 at 10:45 PM
दोस्तों!! "आपको क्या लगता है, प्रियंका, राहुल की मिलीभगत के बिना रॉबर्ट बड़ेरा इतना बड़ा भ्रस्टाचार कर सकता है?".
.दोस्तों! "गूड़गौव और फ़रीदाबाद में बी.पी.टी.पी. रियल स्टेट कंपनी भी इसी की है/"


सहमत(18)असहमत(0)बढ़िया(9)आपत्तिजनक
mootul, nasik का कहना है :
09/10/2012 at 10:42 PM
केजरीवाल से एक ही सवाल उनोने राष्ट्रीय संघ सेवॅक क्यो छोड़ी????????????????????????????

सहमत(2)असहमत(34)बढ़िया(0)आपत्तिजनक
(mootul को जवाब)
Amit Sharma, Faridabad का कहना है :
10/10/2012 at 03:31 AM
कांग्रेस भ्रष्टाचार के पैसे तेरी माँ को तो भेजे थे, तो यह सवाल कर रहा है. तुझे नही पता की कॉंग्रस क्या कर रही है. भारत माता को तो बेच दिया, अब तेरी................................ थोड़ा लिखा बहुत समझो , नही तो पूरी फिल्म की कहानी सुना दूं.

सहमत(6)असहमत(0)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
(mootul को जवाब)
LAPETU, adi का कहना है :
10/10/2012 at 12:11 AM
यार चिलाता क्यो है उसने छोड़ी तो तू पकड ले,फालतू का सवाल क्यो कर रहा है,

सहमत(8)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
(mootul को जवाब)
navin, nagpur का कहना है :
09/10/2012 at 11:52 PM
बेकार का सवाल है. ....

सहमत(10)असहमत(0)बढ़िया(4)आपत्तिजनक
alok, blr का कहना है :
09/10/2012 at 10:34 PM
दोस्तों!! 'आजकल "दिग्गी राजा" नज़र नही आ रहे/'

सहमत(25)असहमत(0)बढ़िया(6)आपत्तिजनक
(alok को जवाब)
rakesh, faridabad का कहना है :
09/10/2012 at 11:06 PM
कांग्रेस बड़ी ही समझदारी से काम ले रही है, उसे यह लगता होगा की कही दिग्गी राजा अपने बड़बोले सवभाव की वजह से कही कुछ जायदा ना बोल दें और कांग्रेस को लेने के देने पड जाये......इसलिये आजकल उनको सरकारी अवकाश पर 10 जनपथ में तैनात किया हुआ है ???????????

सहमत(13)असहमत(1)बढ़िया(8)आपत्तिजनक
rakesh, faridabad का कहना है :
09/10/2012 at 10:32 PM
मुझे एक बात का जवाब अभी तक नही मिल पा रहा है ????एक तरफ तो यह कहा जा रहा है की एह दो INDIVIDUALS की आपसी डील है और इस में सरकार का कुछ भी लेना देना नही है....और दूसरी तरफ पूरी UPA सरकार और उसके कुछ चमचे रोज एह ब्यान दे रहे है की वाड्रा ने कुछ भी गलत नही किया ??? और तो और सभी मंत्रीओ और उनके मंत्रालायो के बीच वाड्रा को CLEAN CHIT देने की होड लगी हुई है..........इस सब को देख कर तो एह लगता है , कुछ काला ही नही बल्कि सारा का सारा ही काला है.....कोई भी जांच करा लो AND THE RESULT WILL BE ZERO (CLEAN CHIT).....

सहमत(19)असहमत(0)बढ़िया(14)आपत्तिजनक
(rakesh को जवाब)
ramashankar mani tripathi, gorakhpur का कहना है :
10/10/2012 at 10:00 AM
निसंदेह अरविन्द केजरीवाल जी एक देश प्रेमी इंसान है जिसे देश के बारे मे चिंता है / राबर्ट बाढ़रा पर लगाये गये आरोप सही है या नही इसकी जांच कौन करेगा. सभी कॉंग्रेस के जीमेदार मंत्री गण एकसाथ आरोप को झूठा करने मे लगे है .सीधे शब्दो मे सोनियाजी के दामाद की चापलूसी करते नज़र आ रहे है.उन्हेअपनी कुरसी की चिंता है .देश जाये चूल्हे मे .

सहमत(3)असहमत(0)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
BHARAT WASI, BHARAT DESH का कहना है :
09/10/2012 at 10:05 PM
केजरी वॉल अगर आप रॉबर्ट वादेरा को नंगा करके इश्के शरीर मेप किये गये जितने बईमानी की कांई लिख दे तब भी इश्का एक बॉल नही उखड सकते जब यह सोनियाजी का जमाई है जब इनकी सास्स कमाई में अमेरिका की रिपोर्ट के अनुसार नंबर 4 पर है और इनके ससुर राजीव गाँधी के बारे में विक्लिश ने 198000 करोड़ स्वीइस बैंक में जमा बताया तब क्या इसने 300 करोड़ बईमानी की कमाई की तब कौन सा गुनाह है अगर 3000 करोड़ कमा लेता तब कौन सा गुनाह है बेसाक जनता भूख से आत्म हत्या कार्ले इश्के घर से क्या जाता है लेकिन एह इंसान अटंगवाडी से ज्यादा देश के लिये खतरा है हरम की कमाई नेताओ को कानून ने अनुमति दी हो लेकिन कानून ने एह अनुमति नदी दी होगी कोई देश को बनाना रिपब्लिक काहे क्योकि देश इनके बाप उ का नही है वो सबका है जो एहा पैदा हुआ. सोनियाजी ने अगर अब सम्भिधन में जोड़ दिया कोई भी नेता की औलाद और जमाई देश को बनाना रेपुबलीच केह सकता है और केहता है तब वो राष्ट्रपति से नकद 10 करोड़ दिला सकती है और एक मेडल भी दिला सकती है. क्योकि चुप है.

सहमत(24)असहमत(1)बढ़िया(17)आपत्तिजनक
eknastik, delhi का कहना है :
09/10/2012 at 09:51 PM
मुझे लगता है की जो लोग केजरीवाल और अन्ना की कॉंग्रेस के साथ सांठ गाँठ की बात कर रहे थे और केजरीवाल का मज़ाक उड़ा रहे थे ,अब उनका मूंह बंद हो गया है.
केजरीवाल कमज़ोर नहीं बहुत बहादुर है,भारत के 100 करोड़ हिजड़ों के लिये एक मिसाल है. चाहे कुछ भी हो जाये भारत के हिजड़ों को कोई फर्क नहीं पड़ता .बस मीडिया की खबरों का मज़ा लेते रहो.


सहमत(57)असहमत(3)बढ़िया(43)आपत्तिजनक
(eknastik को जवाब)
ek hindustani, india का कहना है :
10/10/2012 at 12:25 AM
भई साहब आप भी उन 100 करोड़ में से एक हो क्या??????

सहमत(1)असहमत(6)बढ़िया(2)आपत्तिजनक
मनोज, दिल्‍ली का कहना है :
09/10/2012 at 09:48 PM
केजरीवाल जी मैं आपसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूं पहला तो यह कि अगर आप इतने दूध के घुले थे आपने वो सात लाख का चेक वापस क्‍यों किया था और उस वक्‍त आपने कहा था कि आप इसको जमा कराने के बाद कानूनी कार्यवाही करेंगे। आपके पास देश के टॉप वकील यानी प्रशांत भूषण और शांति भूषण हैं तो आप सीधे न्‍यायालय जाकर इन बेईमानों पर केस क्‍यों नहीं चलाते। सड़क पर इस नौटंकी का क्‍या मतलब है, मैं न्‍यायालय में जाने के लिए इसलिए कह रहा हूं क्‍यों कि इस देश की किसी भी संस्‍था यहां तक कि संसद पर भी आपका भरोसा नहीं है। दूसरी बात आप बिजली के कनेक्‍शन जोड़कर और लोगों से बिजली के बिल जलाने का आहवान करके क्‍या दिखाना चाहते हैं क्‍या आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं, आपका घर शायद यूपी में है, यूपी में बिजली और कानून की जो स्थिति है वो किसी से छुपी नहीं है, वहां आपने कोई अंदोलन नहीं किया, क्‍या वहां आम लोग नहीं रहते हैं या आपकी नजर दिल्‍ली में 2013 में होने वाले चुनावों पर है।

सहमत(9)असहमत(55)बढ़िया(5)आपत्तिजनक
(मनोज को जवाब)
Anil Jain, Balaghat MP का कहना है :
10/10/2012 at 08:48 AM
मनोज भाई एकदम सही कहा आपने केजरीवाल न्‍यायालय जाकर इन बेईमानों पर केस क्‍यों नहीं चलाते, सड़क पर इस नौटंकी का क्‍या मतलब है? मनोज भाई क्या आप को पता नही की भारत में न्यायालयीन प्रक्रिया किस कछुए कि चाल से चलती है? क्या यह ठीक नही कि भ्रष्‍टाचार के ऐसे गंभीर मामले फिर वो चाहे वे कांग्रेस, बी जे पी सहित किसी भी पार्टी के ही खिलाफ क्यों न हों आम जनता के सामने आने चाहिये ताकि जनता चुनावों के दौरान अपना फैसला सुना सके? क्योंकि जब तक न्यायालय का फैसला आयेगा तब तक तो कई राज्यों में विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव भी निपट चुके होंगे और यही कांग्रेस पार्टी चाहती है. कानूनी अदालत में जब फैसला होना हो होता रहेगा. जनता की अदालत में भी मुकदमा जरूरी है बेईमानों की अक्ल ठिकाने लगने के लिये. हाँ अगर आप दिल की गहराइयों से कांग्रेस के समर्थक हैं फिर चाहे उनके नेता कितनी भी बेशर्मी पर उतर आयें हों तो आपसे माफी चाहता हूँ आपके दिल को ठेस पहुंचाने के लिये....

सहमत(5)असहमत(0)बढ़िया(3)आपत्तिजनक
(मनोज को जवाब)
amit, aligarh का कहना है :
09/10/2012 at 10:51 PM
अबे कॉंग्रेससी कुत्ते, दिग्गी की नाजयग औलाद, इस देश की CBई आंड कोर्ट को करीद रखा है, कॉंग्रेससी दलालो ने. काया हुआ, 2जी आंड कोयला का. कुछ नहीं होगा कोर्ट में.

सहमत(21)असहमत(3)बढ़िया(15)आपत्तिजनक
(मनोज को जवाब)
indian, india का कहना है :
09/10/2012 at 10:47 PM
अबे हिजड़े टू तो कुछ करता नही जब कोई करता है तो टांग खींचता है. तुझ जैसे को बीच चौराहे पे मरना चाहिये कुत्ते की मौत. और टू मारेगा भी ऐसे ही याद रखना.

सहमत(17)असहमत(5)बढ़िया(13)आपत्तिजनक
(मनोज को जवाब)
rajendra vora, mumbai का कहना है :
09/10/2012 at 10:22 PM
मनोज मूज़े आपकी तरफ सहानुभूति है और एक प्रकार का रोष भी. बुल्ली अंधेब बंद करके दूध पिटी है इसका ए मतलब तो नही की दुनिया उसे देखती नही. हा आप बिल्ली की केटेगरी के जरूर आते हो.

सहमत(25)असहमत(1)बढ़िया(14)आपत्तिजनक
(मनोज को जवाब)
ddd, beng का कहना है :
09/10/2012 at 10:17 PM
अबेय गधेय तुझेय कुछ समझ नही आता क्या. अरविन्द जनता के लिये ही काम कर रहा है, और आप जैसे च्चकके इस देश को डुबोने में लागेय हो


सहमत(29)असहमत(5)बढ़िया(17)आपत्तिजनक
ravi, mumbai का कहना है :
09/10/2012 at 09:10 PM
यदि आपको देश वचाना है तो कंगेसीऔ को चपल से मारकर देश से पाकिस्तान बापस का रास्ता दिखा दो

सहमत(62)असहमत(2)बढ़िया(33)आपत्तिजनक
Hindu, Hindustan का कहना है :
09/10/2012 at 09:10 PM
ए न्यूज़ ऐसे छाप रहे हैं जैसे सारे पत्रकारो के जीजा है वाड्रा. वाड्रा ने भारत के संविधान को केला कह कर अपने गद्दारी का सबूत पेश किया है. इसे तो कसाब की तरह जेल मे होना चाहिये था.

सहमत(64)असहमत(1)बढ़िया(38)आपत्तिजनक
Ramanand, delhi Laxmi nagar का कहना है :
09/10/2012 at 08:58 PM
केजरीवाल हम लोग आप के सात है आप तैयार रहो जिसको जो करना है कर ले बाकी हम लोग आप के सात है अन्ना जी आप के सात आजाएँगे आप लड़ाए लड़ते रहो

सहमत(56)असहमत(4)बढ़िया(29)आपत्तिजनक
(Ramanand को जवाब)
Jay, Ramgadh का कहना है :
09/10/2012 at 10:06 PM
सिर्फ बोलने से काम नही चलेगा ... कंधे से कंधा मिलकर काम करना है ...केजरीवाल और उसकी टीम बहूत छोटी है और भ्रस्ताचर बहूत ज्यादा है ...